1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 21 May 2025 04:08:54 PM IST
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Bihar News: बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने पटना में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में मखाना को "माँ का खाना" बताते हुए इसके पोषण और आर्थिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मखाना विकास बोर्ड के गठन का सकारात्मक प्रभाव अब सामने आने लगा है और इसके माध्यम से लगभग 50 हजार मखाना उत्पादक किसानों को सीधे ऋण उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकेगी।
पटना के एक होटल में आयोजित मखाना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मखाना को भी अन्य कृषि उत्पादों की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का दर्जा मिलना चाहिए ताकि किसानों को बाजार में स्थायी और लाभकारी कीमत मिल सके। उन्होंने मखाना की चक्रीय खेती की भी वकालत की, जिसमें मखाना-मछली, मखाना-सिंघाड़ा, और मखाना-पान की मिश्रित खेती मॉडल को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे भूमि और जल संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा और किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा।
बता दें कि बाजार और निर्यात की दिशा में सरकार मखाना प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना को भी बढ़ावा दे रही है। विदेशों में निर्यात के लिए क्लस्टर आधारित योजना पर काम हो रहा है। GI टैग मिलने के बाद मखाना की अंतरराष्ट्रीय पहचान और मांग में वृद्धि हुई है। उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आज भारत में 85 प्रतिशत मखाना का उत्पादन बिहार में होता है और वैश्विक स्तर पर इसकी 60 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले बिहार के पास है, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है।
इस संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार को बिहार कृषि विज्ञान अकादमी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा, समस्तीपुर), कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान एसोसिएशन (AERA) तथा अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने मखाना की कृषि, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात से जुड़ी संभावनाओं पर चर्चा की। यह पहल बिहार के किसानों के लिए न केवल एक आर्थिक अवसर का द्वार खोलेगी, बल्कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और उद्यमिता को भी बढ़ावा देगी।