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Bihar News: तेजस्वी यादव की योजनाओं की ‘नकल’ कर रही एनडीए सरकार? विपक्ष ने लगाया आरोप

Bihar News: बिहार में एनडीए सरकार पर तेजस्वी यादव की जनकल्याणकारी योजनाओं की नकल करने का आरोप। राजद ने कहा, सरकार के पास न नीति है, न दृष्टि – सिर्फ घोषणाओं की चोरी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 05 Aug 2025 08:50:50 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE


Bihar News: बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार में मौलिकता और नीति-दृष्टि का अभाव है, और वह तेजस्वी यादव द्वारा पहले से घोषित जनकल्याणकारी योजनाओं की नकल कर रही है।


दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रदेश सचिव आभा रानी डोमिसाइल योजना पर NDA की सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि जिस डोमिसाइल नीति (स्थानीयता नीति) को एनडीए सरकार ने पहले विधानसभा में खारिज कर दिया था, आज उसी नीति को चुनावी हथियार की तरह चुपचाप जनता के सामने पेश किया जा रहा है। गौरतलब है कि यह नीति राज्य में नौकरी और शिक्षा के अवसरों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की मांग के केंद्र में रही है।


तेजस्वी यादव ने कुछ माह पहले युवाओं के लिए स्थानीयता आधारित रोजगार गारंटी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि, युवाओं के लिए अलग से ‘बिहार युवा आयोग’, 20,000 रुपये तक की छात्रवृत्ति, अशक्त और वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान योजना, तथा रसोइयों, रात्रि प्रहरियों, शारीरिक शिक्षकों और आशा-ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि जैसी योजनाओं की घोषणा की थी।


अब, विपक्ष का आरोप है कि यही योजनाएं एनडीए सरकार द्वारा अलग-अलग मंचों से घोषित की जा रही हैं बिना किसी ठोस नीति या बजट प्रावधान के। राजद प्रवक्ता ने कहा “यह न सिर्फ एनडीए सरकार की वैचारिक दिवालियापन को दर्शाता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि बिहार में असली नेतृत्व और नवाचार की सोच सिर्फ तेजस्वी यादव के पास है। बीते बीस वर्षों में जिनकी सरकारों ने युवाओं और गरीबों की उपेक्षा की, वही अब जनता को भ्रमित करने के लिए हमारी घोषणाओं की नकल कर रहे हैं।”


इस बार चुनाव में युवाओं, बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दे केंद्र में हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इन मुद्दों पर अपनी-अपनी योजनाएं लेकर मैदान में हैं, लेकिन मतदाताओं के लिए यह तय करना मुश्किल नहीं होगा कि कौन सी योजना व्यावहारिक है और कौन सी केवल चुनावी जुमला।


राजद का दावा है कि तेजस्वी यादव का "10 लाख सरकारी नौकरी" वाला वादा जब पहली बार सामने आया था, तो एनडीए नेताओं ने उसे "असंभव" करार दिया था। लेकिन अब, जब सरकार ने खुद 5 लाख नौकरियों की बात कही है, तो सवाल उठता है: क्या सरकार पहले ही समझ चुकी थी कि तेजस्वी का विज़न ज़मीनी हकीकत से जुड़ा है? अब जब बिजली की मुफ्त यूनिट, महिलाओं के लिए विशेष स्कीमें, और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा जैसे मुद्दे भी एनडीए के घोषणापत्र में दिखने लगे हैं, तो विपक्ष का आरोप है कि यह सीधा "कॉपी-पेस्ट" है।


बिहार की राजनीति हमेशा से जमीनी मुद्दों और विकास के वादों पर निर्णायक रही है। इस बार भी असली लड़ाई नीति बनाम नकल की बताई जा रही है। चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है, और उससे पहले यह आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई और तेज़ होगी।