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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 27 Jul 2025 01:56:21 PM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: राजधानी पटना में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (BASU) के बनने का काम अब तेजी से होना शुरु हो चुका है। यह विश्वविद्यालय 224.53 एकड़ के विशाल परिसर में बनेगा और पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्य पालन के क्षेत्र में बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यहां डेयरी इंजीनियरिंग भवन सहित कई प्रमुख भवनों का निर्माण पूरा भी हो चुका है। जो कि आधुनिक तकनीक और नवीनतम उपकरणों से लैस हैं।
भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने इस बारे में बात करते हुए बताया है कि इस विश्वविद्यालय का निर्माण चरणबद्ध तरीके से हो रहा है। इसमें शैक्षणिक, प्रशासनिक, आवासीय और अनुसंधान सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डेयरी इंजीनियरिंग भवन में 5,704 वर्ग मीटर क्षेत्र में डेयरी प्रोसेस इंजीनियरिंग, फूड इंजीनियरिंग और कंप्यूटर लैब जैसी अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। इसके अलावा एक कार्यशाला और चार सेमिनार हॉल भी बनाए गए हैं जो छात्रों और शोधकर्ताओं को प्रशिक्षण और अनुसंधान में मदद करेंगे।
इस विश्वविद्यालय में 1,200 दर्शकों की क्षमता वाला एक भव्य ऑडिटोरियम, इनडोर और आउटडोर खेल परिसर और गेस्ट हाउस का निर्माण भी प्रगति पर है। इस गेस्ट हाउस में 40 सिंगल रूम, 10 वीआईपी रूम और 20 डॉरमेट्री बेड होंगे। छात्रों के लिए आवासीय सुविधाओं में बालक छात्रावास में 350 स्नातक छात्रों के लिए डबल सीटर, 210 स्नातकोत्तर और 140 पीएचडी छात्रों के लिए सिंगल सीटर बेड की व्यवस्था है।
वहीं बालिका छात्रावास में 200 स्नातक छात्राओं के लिए डबल सीटर, 90 स्नातकोत्तर और 60 पीएचडी छात्राओं के लिए सिंगल सीटर बेड उपलब्ध होंगे। ILFC प्रशासनिक ब्लॉक, सामुदायिक केंद्र, शॉपिंग भवन, सेंट्रल स्टोर, पशु प्रयोगशाला, चारा विश्लेषण और गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला और कुलपति आवास जैसे भवनों का निर्माण भी पूरा हो चुका है।
ज्ञात हो कि BASU का निर्माण 2016 में शुरू हुआ था जब इसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय से अलग कर स्थापित किया गया था। 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 889.26 करोड़ रुपये की लागत से इसके निर्माण कार्यों की आधारशिला रखी थी। राज्य के विश्वविद्यालयों में बिहार वेटरनरी कॉलेज, संजय गांधी डेयरी टेक्नोलॉजी संस्थान और किशनगंज में मत्स्य पालन कॉलेज शामिल हैं। डेयरी इंजीनियरिंग विभाग जो कि 1981 में स्थापित हुआ था, अब B.Tech (डेयरी टेक्नोलॉजी) के साथ-साथ भविष्य में M.Tech और Ph.D. कार्यक्रम शुरू करने की भी योजना बना रहा है।
यह विभाग डेयरी प्रक्रिया, उपकरण डिजाइन, ऊर्जा संरक्षण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग पर जोर देता है। विश्वविद्यालय के 80% स्नातकों को COMFED, Amul, Nestle और Mother Dairy जैसी कंपनियों में 3.5-12 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर नौकरियां भी मिल रही हैं।इस विश्वविद्यालय का प्लेसमेंट सेल उद्योगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।
बताते चलें कि इस विश्वविद्यालय में हरित भवन सिद्धांतों का पालन किया जा रहा है, जिसमें सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा-कुशल डिजाइन शामिल हैं। वैज्ञानिकों के लिए 50 आवास और 222 कर्मचारी फ्लैट्स का निर्माण भी हो रहा है। सिविल कार्यों के साथ-साथ फिनिशिंग का काम तेजी से चल रहा है और नियमित निरीक्षण से गुणवत्ता सुनिश्चित की जा रही है। यह विश्वविद्यालय बिहार के छात्रों को पशु चिकित्सा, डेयरी तकनीक और मत्स्य पालन में महत्वपूर्ण हुनर सिखाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान देगा।