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Bihar News: 'मंत्री' हटे तो घोटाले वाली फाइल दबा दी गई ? RCD में 26 cr का घोटाला ! झारखंड सरकार के अफसर ने RTI से दी जानकारी- सभी पत्र फर्जी, मेरे दफ्तर से नहीं हुए जारी, जिम्मेदार इंजीनियरों पर एक्शन कब...

Bihar News: सूचना के अधिकार (RTI) के तहत झारखंड सरकार के पाकुड़ खनन विभाग ने भी साफ कर दिया है कि जिन दस्तावेजों के आधार पर एक्स्ट्रा कैरेज कॉस्ट का भुगतान हुआ, वे उनके कार्यालय से कभी जारी ही नहीं हुए।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 04 Apr 2025 11:49:44 AM IST

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- फ़ोटो SELF

Bihar News: पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल-1 गया में हुए 26 करोड़ के खुलासे से तीन महीने बीतने के बाद भी भ्रष्टाचार के आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री सह सूबे के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने 1st Bihar/ Jharkhand के खुलासे के बाद जांच बिठाई थी. शुरूआती जांच में आरोप सही साबित हुए थे. इसके बाद बजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने स्वीकार किया था कि पथ प्रमंडल गया-1 डिवीजन में 26 करोड़ का खेल किया गया है. यह खेल तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव के कार्यकाल में इंजीनियरों और ठेकेदार में मिलकर किया है. विजय सिन्हा के विभाग से हटते ही मामला ठंढे बस्ते में जाते दिखाई पड़ रहा. इधर सूचना के अधिकार के तहत झारखंड सरकार के अधिकारियों ने एक बार फिर से पुष्टि कर दी है कि, जिस पत्र पर एक्स्ट्रा कैरेट कॉस्ट का भुगतान किया गया है, वह झारखंड से पाकुड़ खनन कार्यालय से जारी नहीं हुआ है.

झारखंड सरकार ने आरटीआई से दी सत्यापित कॉपी, कहा- मेरे यहां से जारी नहीं हुए पत्र

बिहार के एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने झारखंड के पाकुड़ खनन कार्यालय से गया पथ प्रमंडल-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा द्वारा सत्यापन के लिए भेजे गए पत्र के आलोक में दी गई सूचना की सत्यापित प्रति की मांग की थी. इस आलोक में पाकुड़ जिले के खनन अधिकारी ने पिछले महीने ही सत्यापित पत्र उपलब्ध कराया है. जिसमें 8 अगस्त 2024 को कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल सं-1 गया को भेजे पत्र का उल्लेख किया है.पाकुड़ के खनन पदाधिकारी ने यह भी बताया है कि गया पथ प्रमंडल सं-1 के सहायक अभियंता निशांत राज ने उक्त पत्र को रिसीव किया था. चिट्ठी में उन छह पत्रों को सत्यापित करने का जिक्र है, जिसे गया पथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने करने को कहा था. खनन पदाधिकारी ने अपने पत्र में एक बार फिर से दुहराया है कि संबंधित सभी पत्र जो 2015 में विभिन्न तारीख में जारी करने का जिक्र है, उसमें एक भी कार्यपालक अभियंता पथ निर्माण विभाग गया को निर्गत नहीं है. कार्यालय से मिलान करने के बाद यह जानकारी दी जा रही है. यानि खनन कार्यालय पाकुड ने एक बार फिर से अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी. ऐसे में अब भी अगर पथ निर्माण विभाग जिम्मेदार अधीक्षण और कार्यपालक अभियंता जिन्होंने एक्स्ट्रा कैरेज भुगतान करने का बड़ा खेल किया, के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया, तब विभाग पर ही बड़े सवाल खड़े होंगे.

सरकार ने किया स्वीकार 1st bihar/Jharkhand का खुलासा 100 फीसदी सही

27 जनवरी 2025 को बिहार सरकार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 1st bihar/Jharkhand के खुलासे को प्रमाणित किया था. उन्होंने कहा था कि पथ प्रमंडल गया-1 में पूरा खेल किया गया है. पथ प्रमंडल गया के अंतर्गत बजीरगंज-तपोवन पथ 19.18  किलोमीटर, जमुआ - सेवतर पथ  17.5 किलोमीटर, भिंडस - चमण्डीह पथ 21.3 किलोमीटर के निर्माण समाग्री में बड़ा खेल किया गया है. जांच में इन तीनों पथों के निर्माण में भारी गड़बड़ी का पता चला है. पत्थर के एक्सट्रा कैरेज को लेकर शिकायत थी.  राजा कंस्ट्रक्शन के द्वारा काम किया गया था. इस कंपनी के सभी कार्यों की समीक्षा की जाएगी. डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने आगे कहा कि 2016 में 26 करोड़ से अधिक राशि को अवैध और गलत तरीके से भुगतान किया गया है. तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव के कार्यकाल में गड़बड़ी हुई थी. उस समय सत्ता में बैठे लोगों ने गड़बड़ी की और दोषी पदाधिकारी पर कार्रवाई नहीं की. 

 जानें पूरा मामला.......

बता दें, 1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर को पूरे मामले का खुलासा किया था. खुलासे के बाद 27 दिसंबर 2024 को पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता से शो-कॉज पूछा गया था.1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को प्रमाण के साथ खुलासा किया कि पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल सं-1 गया में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों-करोड़ का घोटाला हुआ है. आंतरिक खुलासा खुद गया के कार्यपालक अभियंता ने ही कराया, पर दबाकर बैठे रहे. मकसद वसूली करना था. पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015, 408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 (सभी पत्र 2015 के हैं) को सत्यापित करने को कहा. पाकुड के खनन कार्यालय से सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.  

 पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब

पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई है कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं।

Extra कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान 

बता दें, आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास  मेरे पास है। पूरा मामला  Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान का है. झारखंड के पाकुड खनन कार्यालय का फर्जी पत्र लगाकर 2015-16 में करोड़ों का भुगतान लेने की बात है. सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंताओं ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान किया. 

मामले को दबाकर बैठे रहे कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा 

खुलासे के बाद पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा मामले को दबाकर चुप्पी साधे बैठे रहे. तब हमने उनसे भी पूछा था. लेकिन उनके पास जवाब नहीं था, वे बचते दिख रहे थे.बचने के लिए फोन अपने सहायक अभियंता को थमा दिया था. सहायक अभियंता ने कहा था कि यह मामला कार्यपालक अभियंता के क्षेत्राधिकार में है. यानि जवाब न देकर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई। वहीं पथ निर्माण विभाग गया अंचल के अधीक्षण अभियंता भी पूरे खेल को जान रहे थे.  हमने उनसे भी पूछा, वे भी इस मसले पर चुप हो गए. उनसे पूछा गया कि इस मामले पर क्या कार्रवाई होगी ? इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं था. ऐसा लग रहा था कि वे भी इस पूरे खेल में शामिल हों.