Best Course: 12वीं के बाद करें ये बेस्ट कोर्स, मोटी सैलरी के साथ-साथ मिलेगा विदेश घूमने का भी मौका Expressway In Bihar: बिहार का यह 'हाईवे' 3700 cr से बन रहा, पटना समेत इन इलाकों का होगा विकास...चमक जायेगी किस्मत Khelo India Youth Games 2025:बिहार में खेल इतिहास का सुनहरा पल...8500 खिलाड़ी दिखाएंगे दम! Bihar Mausam Update: बिहार के इन 12 जिलों में आंधी, तूफान-मूसलाधार बारिश की संभावना, IMD ने जारी किया अलर्ट... Pooja Murder Case: मुश्ताक से अजीत बन पूजा को फांसा, जान की भीख मांगती रही मगर नहीं माना हैवान, रूह कंपा देगा यह हत्याकांड Bihar weather alert: बिहार में मौसम का कहर...12 जिलों में मूसलाधार बारिश और आंधी-तूफान का अलर्ट, IMD ने किया चेतावनी जारी RCBvsCSK: "जीता हुआ मैच हार जाना कोई इनसे सीखे", रोमांचक मैच में बेंगलुरु ने चेन्नई को धोया, फिर विलेन बने MS Dhoni INDvsPAK: युद्ध हुआ तो भारत के सामने 4 दिन भी नहीं टिकेगा पाकिस्तान, ये है सबसे बड़ी वजह.. राष्ट्रीय सुरक्षा में चूक: पाकिस्तानी महिला से शादी छुपाने पर CRPF जवान बर्खास्त SAHARSA: बाइक की डिक्की से उच्चकों ने उड़ाए 5 लाख रुपये, CCTV में कैद हुई तस्वीर
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 03 May 2025 04:43:58 PM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार में लगातार साइबर ठगी का मामला सामने आ रहा है। अब राजधानी पटना में एक वरिष्ठ डॉक्टर से साइबर ठगी की कोशिश करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों ने खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अधिकारी बताकर डॉक्टर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में फंसाने की धमकी दी और फर्जी केस "मैनेज" करने के नाम पर दो लाख रुपये की मांग की।
इस मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दानापुर स्थित सुल्तानपुर भट्ठा के वार्ड नंबर 15 निवासी राजेश कुमार और रंजीत कुमार को 2 मई को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, दोनों आपस में सगे भाई हैं और पहले भी कई लोगों को इसी तरह ठग चुके हैं। ईओयू के डीआईजी (साइबर) ने आज यानि शनिवार को बताया कि सगुना मोड़ स्थित एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अज्ञात नंबर से कॉल कर ईडी की कार्रवाई का डर दिखाया गया और रुपये की मांग की गई। इस शिकायत के बाद ईओयू की साइबर टीम ने जांच शुरू की।
जांच के दौरान तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर साइबर अपराधियों की पहचान की गई और फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के मोबाइल फोन से एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट मिला, जो रिटायर्ड कमिश्नर "कारूराम" के नाम से बनाया गया था। इसी अकाउंट का इस्तेमाल कर कई लोगों को डराया-धमकाया गया था। जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों से भी इसी तरह की ठगी कर चुके हैं। पुलिस को उनके मोबाइल में फर्जी दस्तावेज, चैट हिस्ट्री, और बैंक लेन-देन से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं।
अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि ठगी की रकम किन-किन बैंक खातों में ट्रांसफर हुई और उन खातों के पीछे कौन लोग हैं। इस बात की भी आशंका है कि यह एक बड़ा साइबर ठग गिरोह है, जो सुनियोजित तरीके से काम कर रहा है। डीआईजी ने आम जनता से अपील की है कि कोई भी अनजान कॉल या मैसेज आने पर, जिसमें सरकारी अधिकारी बनकर धमकी दी जा रही हो, उसकी सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल को दें। उन्होंने यह भी कहा कि बिना जांचे-परखे किसी के कहने पर पैसे का लेन-देन न करें।
पुलिस अब यह पता लगाने में लगी है कि आरोपियों ने पूर्व में किन-किन लोगों से संपर्क किया था, और किस माध्यम से पैसे की उगाही की गई? साथ ही यह भी जाँचा जा रहा है कि फर्जी पहचान के लिए इस्तेमाल की गई सिम कार्ड और बैंक खाता किसने उपलब्ध कराया। आने वाले दिनों में इस गिरोह से जुड़े और भी लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।