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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 06 Aug 2025 08:36:15 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार में गंगा नदी का रौद्र रूप एक बार फिर से तबाही मचा रहा है। भागलपुर और मुंगेर जैसे जिलों में बाढ़ और कटाव ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। 6 अगस्त को गंगा का जलस्तर भागलपुर में खतरे के निशान (33.88 मीटर) से 0.39 मीटर और मुंगेर में 0.40 मीटर ऊपर दर्ज किया गया। भागलपुर के 16 में से 14 प्रखंड विशेष रूप से बिहपुर, खरीक, इस्माइलपुर और सबौर बाढ़ की चपेट में हैं। ममलखा पंचायत का मध्य विद्यालय और गोराडीह के कई गांव जलमग्न हैं, जिससे स्कूल बंद कर दिए गए हैं। मुंगेर के हवेली खड़गपुर, बरियारपुर और सदर प्रखंड में कृष्णनगर, कुतलुपुर और टीकारामपुर जैसे गांवों में 4-5 फीट पानी भर गया है, जिससे लोग छतों और सड़कों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
गंगा के कटाव ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। भागलपुर में 2001 में बने विक्रमशिला सेतु के बाद नदी की धारा में बदलाव ने राघोपुर, बुद्धुचक और ममलखा में कटाव को बढ़ाया। फरक्का बराज और रिवरबेड पर सिल्ट जमा होने से नदी उथली हो गई, जिससे तटबंधों पर दबाव बढ़ा और कई जगह बांध टूट गए। गोराडीह में चांदन नदी का बांध टूटने से गांव डूब गए हैं और सबौर-जमसी सड़क बंद है। मुंगेर में तेलियाडीह पंचायत के कृष्णनगर गांव में 500 लोग पानी से घिरे हैं और बाढ़ पीड़ितों को पॉलीथिन तक नहीं मिला है। स्थानीय लोगों ने बताया है कि 5 दिनों से घरों में पानी भरा है और प्रशासन की मदद नाकाफी है।
प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू किए हैं लेकिन ग्रामीणों में असंतोष है। भागलपुर में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं और 1400 नावों के साथ 20 सामुदायिक किचन चलाए जा रहे हैं। मुंगेर के जिला आपदा पदाधिकारी कुमार अभिषेक ने बताया है कि गंगा का जलस्तर 39.05 मीटर पर है और अगले 24 घंटों में स्थिर होने की उम्मीद है। आश्रय स्थल और मेडिकल कैंप चिह्नित किए गए हैं, लेकिन कुतलुपुर और जाफर नगर में लोग नावों के सहारे शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। बिहार जल संसाधन विभाग ने 394 संवेदनशील स्थानों पर कटाव-रोधी कार्य किए, लेकिन भारी बारिश और सिल्ट ने तटबंधों को कमजोर कर दिया है। ऐसे मव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हवाई सर्वेक्षण कर राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
बाढ़ ने खेती को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। भागलपुर के पकड़तल्ला, पन्नुचक और साधुपुर में खरीफ फसलें डूब गईं और किसानों को रबी फसल से ही उम्मीद बची है। मुंगेर में धरहरा और जमालपुर में खेतों की मिट्टी बह गई। स्थानीय लोग फरक्का बराज और अपर्याप्त बाढ़ प्रबंधन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने हेल्पलाइन (0612-2292024) और बाढ़ प्रबंधन सहायता केंद्र सक्रिय किया है जो 72 घंटे पहले चेतावनी जारी करता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि बटेश्वर स्थान से खबासपुर तक बोल्डर पिचिंग तटबंध बनाए जाएं। लोगों से नदियों के किनारे न जाने और बच्चों को पानी से दूर रखने की अपील की गई है।