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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 09 Aug 2025 08:35:37 AM IST
पटना हाई कोर्ट - फ़ोटो Google
Bihar News: पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राजीव रंजन की तलाक याचिका को बरकरार रखते हुए उनकी पत्नी संगीता राय की अपील को खारिज कर दिया है। यह मामला पारिवारिक न्यायालय, पटना के 31 अक्तूबर 2018 के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें राजीव रंजन को संगीता राय के खिलाफ क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक मंजूर किया गया था। न्यायाधीश पी. बी. बजनथ्री और एस. बी. पी. सिंह की खंडपीठ ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर इस फैसले को उचित ठहराया, साथ ही संगीता को 50,000 रुपये मुकदमा खर्च के रूप में देने का आदेश दिया है।
राजीव रंजन ने 2009 में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1) के तहत तलाक की अर्जी दायर की थी, जिसमें उन्होंने पत्नी संगीता राय पर हिंसक और असहयोगी व्यवहार का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया कि विवाह के कुछ वर्षों बाद संगीता का व्यवहार अमर्यादित हो गया और उन्होंने पति से 2006 में अलगाव कर लिया। इसके बाद संगीता ने राजीव के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए जो जांच में झूठे पाए गए। कोर्ट ने इन झूठे मुकदमों और निराधार आरोपों को क्रूरता का आधार माना है।
मामले में एक दुखद घटना का भी जिक्र है, जहां 2005 में संगीता ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिसमें उनकी बेटी की मृत्यु हो गई थी। उनके बेटे की गवाही के अनुसार, संगीता ने खुद और बच्चों पर केरोसिन डालकर आग लगाई थी। कोर्ट ने इसे गंभीर क्रूरता का मामला माना। इसके अलावा, संगीता का कथित तौर पर सह-प्रतिवादी के साथ संबंध और लंबे समय तक पति से अलग रहना भी तलाक के लिए पर्याप्त आधार माना गया। खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि झूठे आरोप और वैवाहिक संबंधों से दूरी मानसिक उत्पीड़न का कारण बनती है।
पटना हाई कोर्ट के इस फैसले ने न केवल तलाक के आधार को स्पष्ट किया, बल्कि वैवाहिक विवादों में क्रूरता की परिभाषा को भी रेखांकित किया। कोर्ट ने संगीता को भरण-पोषण देने से इनकार करते हुए मुकदमा खर्च के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। यह फैसला उन मामलों में मिसाल बन सकता है, जहां झूठे आरोप और लंबे अलगाव को तलाक का आधार बनाया जाता है। इस निर्णय से वैवाहिक विवादों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बल मिलेगा।