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Bihar News: सरकार घटाने जा रही पटना सचिवालय घंटा घर की लंबाई? आखिर क्यों लिया गया यह फैसला?

Bihar News: पटना सचिवालय के घंटा घर की ऊंचाई 51 फीट कम करने का बना प्लान, एयरपोर्ट रनवे विस्तार के लिए है जरूरी। 1917 में बना था यह ऐतिहासिक टावर, जानें पूरा मामला।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 15 Jun 2025 07:24:56 AM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: पटना के सचिवालय में 1917 में बना ऐतिहासिक घंटा घर अब अपनी ऊंचाई के कारण चर्चा में है। जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे पर विमानों की सुरक्षित लैंडिंग में यह टावर बाधा बन रहा है। एयरपोर्ट प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर घंटा घर की ऊंचाई 17.5 मीटर (लगभग 51 फीट) कम करने की मांग की है। वर्तमान में टावर की ऊंचाई 184 फीट है, जिसे घटाकर 133 फीट करने की योजना है। इस मुद्दे पर सोमवार, 16 जून को एयरपोर्ट और जिला प्रशासन की बैठक होने वाली है। यह कदम पटना एयरपोर्ट के रनवे विस्तार और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए उठाया जा रहा है।


घंटा घर का निर्माण न्यूजीलैंड के वास्तुकार जोसेफ फियरिस मनी की देखरेख में हुआ था। 1917 में इसका निर्माण पूरा हुआ था, तब इसकी ऊंचाई 198 फीट थी। 1934 के भूकंप में टावर क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे इसकी ऊंचाई 184 फीट रह गई। 1924 में लंदन और मैनचेस्टर के बिग बेन की तर्ज पर इसमें घड़ी लगाई गई, जिसे जिलेट एंड जॉनसन कंपनी ने बनाया था। घड़ी की घंटे की सुई 4.5 फीट और मिनट की सुई 5.5 फीट लंबी है, जबकि इसका दो क्विंटल वजनी पेंडुलम इसे और खास बनाता है। यह टावर पटना की आर्किटेक्चरल हेरिटेज का हिस्सा है, लेकिन अब इसके संरक्षण और एयरपोर्ट की जरूरतों के बीच संतुलन की भारी चुनौती है।


एयरपोर्ट प्रशासन का कहना है कि रनवे की लंबाई कम होने और घंटा घर की ऊंचाई के कारण विमान लैंडिंग में जोखिम बढ़ गया है। हाल ही में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। पटना का रनवे 1,954 मीटर लंबा है, जो बड़े विमानों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों (2,500-3,000 मीटर) से कम है। रनवे विस्तार के लिए 67 एकड़ जमीन की और जरूरत है, लेकिन अधिग्रहण में देरी और घंटा घर की बाधा इसे जटिल बना रही है। ऊंचाई कम करने से लैंडिंग का ग्लाइड पाथ बेहतर होगा, जिससे सुरक्षा बढ़ेगी। हालांकि, ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाने पर सवाल भी उठ रहे हैं।


यह मामला बिहार सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि घंटा घर को संरक्षित रखते हुए एयरपोर्ट की जरूरतें पूरी करनी होंगी। पुरातत्व विभाग और हेरिटेज विशेषज्ञों की राय लेने की बात हो रही है। जबकि स्थानीय लोग और इतिहास प्रेमी चाहते हैं कि टावर की पहचान बरकरार रहे।