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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 14 Sep 2025 01:30:21 PM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार में अपराध की दुनिया में हथियारों की तस्करी एक पुरानी समस्या रही है, लेकिन हाल के खुलासों ने यह साफ़ किया है कि आज भी यह तस्करी धरल्ले से हो रही है। बिहार पुलिस और एनआईए की संयुक्त जांच में सामने आया है कि पूर्वोत्तर राज्यों से AK-47 जैसी घातक हथियारों की बड़े पैमाने पर तस्करी बिहार में हो रही है, नागालैंड इनमें टॉप पर है। म्यांमार की सीमा से सटे इलाकों के रास्ते ये हथियार सस्ते में खरीदे जाते हैं और बिहार पहुंचते-पहुंचते इनकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है। वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण जैसे जिलों में इनकी खरीद-बिक्री का बड़ा नेटवर्क सक्रिय है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है। मई 2024 में मुजफ्फरपुर से शुरू हुई जांच ने पूरे रैकेट को उजागर कर दिया था और अब चार आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल भी हो चुकी है।
मुजफ्फरपुर में ही इस नेटवर्क को पहला बड़ा झटका लगा था। मई 2024 में स्थानीय पुलिस ने रेलवे स्टेशन से विकास कुमार और सत्यम कुमार को गिरफ्तार किया, जिनके पास AK-47 का बट और स्कोप बरामद हुआ। जांच में पता चला कि विकास ने गोपालगंज के अहमद अंसारी से यह हथियार खरीदा था जो नागालैंड के दीमापुर से सप्लाई होता था। तीन दिन बाद अंसारी को दीमापुर से पकड़ा गया, उसके पास मोबाइल और वॉकी-टॉकी भी मिले। एनआईए ने अगस्त 2024 में केस अपने हाथ में लिया और हाल ही में 29 अगस्त को मंजूर खान उर्फ बाबू भाई को गिरफ्तार किया। मंजूर विकास का करीबी था जो नागालैंड से AK-47 और गोलियों की तस्करी में मुख्य सूत्रधार था। एनआईए के अनुसार, ये हथियार म्यांमार के रास्ते आते हैं, जहां एक AK-47 महज 17 हजार रुपये में मिल जाती है, लेकिन बिहार पहुंचने पर 7 लाख तक बिकती है।
वहीं, अप्रैल में बिहार एसटीएफ ने भोजपुर के आरा में कुख्यात बुटन चौधरी के घर पर छापा मारा, जहां से एक AK-47 के साथ हैंड ग्रेनेड बरामद हुए थे। इसी जिले के शाहपुर नगर में जुलाई में एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में दो अपराधियों पंकज राय उर्फ सत्यजीत राय और अंकित कुमार को पकड़ा गया। उनके घरों से एक लोडेड AK-47, देसी बंदूकें, पिस्टल, रिवॉल्वर, 76 कारतूस, पांच मैगजीन और तीन फोन जब्त किए गए थे। पंकज जमीन के कारोबार से जुड़ा बताया जाता है, लेकिन दोनों का अंतरराज्यीय गिरोह से कनेक्शन संदिग्ध है। पुलिस को शक है कि ये हथियार भी नागालैंड के ही रूट से आए थे। पूर्वी चंपारण और वैशाली में भी ऐसी खरीद-फरोख्त की खबरें मिल रही हैं।
यह खुलासा बिहार की कानून-व्यवस्था के लिए चेतावनी है। एनआईए की जांच जारी है, जिसमें चीन और म्यांमार के रूट की गहराई से पड़ताल हो रही है। हथियार तस्करों का मकसद सार्वजनिक शांति भंग करना और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना है। बिहार पुलिस ने अब सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वोत्तर से आने वाले रूट को पूरी तरह सील करना चुनौतीपूर्ण है। अगर यह नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त हो गया तभी अपराध दर में कमी आ सकती है। फिलहाल, जांच एजेंसियां अन्य फरार सदस्यों की तलाश में जुटी हैं।