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Bihar News: बिहार के किसानों को अब अनुमंडल स्तर पर मिलेगी यह बड़ी सुविधा, भागदौड़ से हमेशा के लिए हुआ छुटकारा

Bihar News: बिहार में 25 जिलों में यह सुविधा उपलब्ध हो जाने के बाद राज्य के किसानों को सुविधा होगी, समय भी बचेगा और खेती में लाभ भी होगा। दौड़-भाग से मिलेगा छुटकारा..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 01 Oct 2025 08:37:44 AM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार के किसानों के लिए बड़ी खबर, अब खेत की मिट्टी की जांच के लिए जिला या प्रमंडल मुख्यालयों तक दौड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बिहार सरकार ने 2025-26 तक 25 जिलों में 32 नई अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं खोलने का फैसला किया है। इससे किसान अपने नजदीकी अनुमंडल में ही मिट्टी की सेहत और फसल की उपयुक्तता का पता लगा सकेंगे। कृषि विभाग ने इस योजना को तेजी से लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे खेती में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।


नई लैब गोपालगंज, भभुआ, गयाजी, नवादा, भोजपुर, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, बेगूसराय, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, भागलपुर, मुंगेर और मधेपुरा में एक-एक खुलेंगी। वहीं, पटना, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, रोहतास, सुपौल, मधुबनी और सारण में दो-दो प्रयोगशालाएं बनेंगी। अभी बिहार में 14 अनुमंडल स्तरीय, 38 जिला स्तरीय और 9 चलंत मिट्टी जांच लैब काम कर रही हैं। इसके अलावा, 72 ग्राम स्तरीय लैब और कृषि विश्वविद्यालयों-कृषि विज्ञान केंद्रों की प्रयोगशालाएं भी जांच में मदद दे रही हैं।


इन लैब में मिट्टी के 12 पैरामीटर.. नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, पीएच स्तर आदि की जांच होती है। नमूना संग्रहण को पारदर्शी बनाने के लिए सॉफ्टवेयर बेस्ड सिस्टम लागू है। कृषि कर्मी खेतों में जाकर मिट्टी के सैंपल, खेत का फोटो, अक्षांश-देशांतर और किसान का ब्योरा ऐप पर अपलोड करते हैं। इससे नमूने की प्रामाणिकता बनी रहती है। पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत 5 लाख मिट्टी नमूनों की जांच हुई, जिससे लाखों किसानों को फायदा मिला।


यह सुविधा किसानों को यह समझने में मदद करती है कि उनकी मिट्टी में कौन से पोषक तत्व कम हैं और कौन सी फसल सबसे अच्छी होगी। खरीफ और रबी की बुआई से पहले यह जानकारी फसल उत्पादन बढ़ाने में कारगर है। गोपालगंज के एक किसान रामाशीष सिंह ने बताया कि जांच के बाद उन्हें पता चला कि उनकी मिट्टी में जिंक की कमी है, जिसे ठीक कर धान की पैदावार 20% बढ़ी है। अनुमंडल स्तर की लैब से समय और पैसे की बचत होगी, क्योंकि अब दूर नहीं जाना पड़ेगा।