patna crime news : वाह रे बिहार पुलिस ! कानून के रखवाले ही तोड़ रहे हैं कानून, युवक से छीन लिए 2300 रुपए; अब मिली यह सजा

पटना में पुलिसकर्मी ने राह चलते युवक से 2,300 रुपये लूटे। विशेष अदालत ने चार दोषी पुलिसकर्मियों को 3-3 साल कैद और 10-10 हजार जुर्माना सुनाया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Dec 2025 10:27:31 AM IST

patna crime news : वाह रे बिहार पुलिस ! कानून के रखवाले ही तोड़ रहे हैं कानून, युवक से छीन लिए 2300 रुपए; अब मिली यह सजा

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patna crime news : बिहार पुलिस की छवि पर एक बार फिर कलंक लगा है। राजधानी पटना में पुलिसकर्मियों द्वारा एक राहगीर से लूटपाट करने का मामला सामने आया है, जिसमें पटना सिविल कोर्ट की निगरानी में बनी विशेष अदालत ने चार दोषी पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है। मंगलवार को सुनाए गए फैसले में, एक जमादार और तीन पुलिसकर्मियों को तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी गई। इसके साथ ही अदालत ने सभी पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।


इस मामले में दोषी पाए गए पुलिसकर्मी हैं तत्कालीन सहायक अवर निरीक्षक विद्यानंद यादव, सिपाही नौशाद, मोती राम और वाहन चालक वीरेन्द्र कुमार। आरोप था कि ये चारों पुलिसकर्मी पुलिस गश्ती के दौरान एक राहगीर के साथ गाली-गलौज और मारपीट करते हुए उसके रुपये छीनते हैं। यह घटना सितंबर 2017 की है, जब शिकायतकर्ता सुधीर कुमार पटना जंक्शन की ओर जा रहे थे। गश्ती के दौरान पुलिसकर्मियों ने उनसे 2,300 रुपये छीन लिए और उन्हें गाली-गलौज करते हुए पीटकर भगा दिया।


सुधीर कुमार ने इस घटना के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए गांधी मैदान थाने में चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस जांच में आरोप सही पाए गए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने पर मामले की चार्जशीट विशेष अदालत में दायर की गई। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपित पुलिसकर्मी न केवल गश्ती के दौरान लूटपाट में शामिल थे, बल्कि उन्होंने शिकायतकर्ता के साथ अश्लील गालियां भी दी थीं, जो उनकी वर्दी की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।


विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पुलिसकर्मी जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होते हैं, लेकिन इस मामले में दोषियों ने अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया और नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालते हुए कानून के खिलाफ कार्य किया। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी स्थिति में पुलिसकर्मियों द्वारा किसी नागरिक के साथ इस प्रकार का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।


यह मामला बिहार पुलिस की छवि के लिए गंभीर है। विशेषज्ञों का कहना है कि कठोर कार्रवाई न होने पर पुलिसकर्मियों में गलत आदतें बढ़ सकती हैं और आम जनता का पुलिस पर विश्वास कमजोर पड़ सकता है। इसलिए अदालत ने दोषियों को कारावास की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया, ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।


बिहार में समय-समय पर पुलिस की वर्दी दागदार होने की घटनाएं सामने आती रही हैं। पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले आए हैं, जिसमें पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए या नागरिकों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए पकड़े गए। यह घटना भी उसी श्रेणी में आती है। जनता का पुलिस पर भरोसा बनाए रखना और उनके अधिकारों की सुरक्षा करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।


विशेष अदालत ने दोषी पुलिसकर्मियों की सजा सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि कानून के तहत किसी को भी पुलिस की छवि खराब करने या किसी नागरिक को पीटने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को न केवल दंडित किया जाएगा बल्कि इससे पुलिस में अनुशासन भी सुनिश्चित होगा।


इस घटना के बाद पुलिस विभाग ने भी सुधार की प्रक्रिया तेज कर दी है। सभी गश्ती दलों को चेतावनी दी गई है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करें और किसी नागरिक के अधिकारों का हनन न करें। साथ ही पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण और निगरानी की प्रक्रिया को और सख्त किया जा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।


सुधीर कुमार जैसी जागरूक नागरिक कार्रवाई इस मामले में अहम साबित हुई। उनका कदम दिखाता है कि अगर लोग अपने अधिकारों के लिए आगे आएं और न्याय के लिए संघर्ष करें, तो कानून उनके पक्ष में खड़ा होता है।


पटना की विशेष अदालत ने यह संदेश दिया है कि किसी भी स्थिति में पुलिसकर्मियों द्वारा किसी नागरिक के साथ दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी पुलिसकर्मी जेल की सजा भुगतेंगे और उनके विरुद्ध जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला न केवल पीड़ित के लिए न्याय है बल्कि पूरे समाज के लिए भी उदाहरण है कि कानून के सामने कोई भी ऊपर नहीं है, चाहे वह पुलिसकर्मी ही क्यों न हो।


इस घटना ने यह साबित किया कि बिहार में पुलिस की छवि और भ्रष्टाचार पर जागरूकता बढ़ रही है, और न्यायपालिका इस पर कड़ी नजर रखती है। जनता की सुरक्षा और कानून का पालन सर्वोपरि होना चाहिए, और यह फैसला इसी सिद्धांत को बल देता है।