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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 02 Jul 2025 09:09:17 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News:
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति गरमा गई है। दलों के बीच बयानबाज़ी के साथ-साथ अब निजी और पारिवारिक मतभेद भी सार्वजनिक मंचों पर उभरने लगे हैं। ताजा मामला लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के बीच चल रही सियासी तकरार से जुड़ा है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती का तीखा बयान सामने आया है।
दरअसल, अरुण भारती ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X (पूर्व में ट्विटर) पर मांझी पर अप्रत्यक्ष हमला बोलते हुए लिखा "बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा दे देना का अनुभव वाकई चिराग पासवान जी के पास नहीं है।" यह बयान स्पष्ट रूप से जीतन राम मांझी की राजनीतिक परिपक्वता और उनकी निर्णय लेने की क्षमता पर सवाल खड़ा करता है। ज्ञात हो कि मांझी ने 2015 में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता पर कई बार सवाल उठ चुके हैं।
अरुण भारती के इस बयान को केवल पारिवारिक कटाक्ष नहीं, बल्कि चिराग पासवान को मजबूत करने की एक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, बिहार की जनता और पार्टी कार्यकर्ता लगातार यह मांग कर रहे हैं कि चिराग पासवान राज्य में आकर नेतृत्व संभालें।
पार्टी द्वारा कराए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण की प्रारंभिक रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि शाहाबाद क्षेत्र की जनता चिराग पासवान को नेतृत्व सौंपने के लिए तैयार है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चिराग की लोकप्रियता युवाओं और पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं में काफी मजबूत बनी हुई है।
दरअसल, इस विवाद की शुरुआत जीतन राम मांझी के एक तंज भरे बयान से हुई थी, जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से चिराग पासवान की राजनीतिक समझ और अनुभव पर निशाना साधा था। मांझी ने कहा था कि "राजनीति में जोश से ज़्यादा होश ज़रूरी होता है, सिर्फ भाषण देने से कोई नेता नहीं बनता।" इस बयान के बाद ही अरुण भारती ने पलटवार करते हुए मांझी की कार्यशैली और पुराने फैसलों को कटघरे में खड़ा किया।
इस प्रकरण ने यह भी दिखाया है कि बिहार की राजनीति में अब रिश्तों और परिवार के बीच की रेखाएं भी धुंधली होती जा रही हैं। जब एक राजनीतिक नेता का नज़दीकी रिश्तेदार ही सार्वजनिक मंच से सवाल खड़े करता है, तो यह न सिर्फ दल के अंदरूनी हालात को उजागर करता है, बल्कि जनता के बीच नई बहस को भी जन्म देता है।