बिहार में ‘शोले स्टाइल’ ड्रामा: पिता की डांट से नाराज बेटी 70 फीट ऊंचे मोबाइल टावर पर चढ़ी, मचा हड़कंप बिहार में ‘शोले स्टाइल’ ड्रामा: पिता की डांट से नाराज बेटी 70 फीट ऊंचे मोबाइल टावर पर चढ़ी, मचा हड़कंप Bihar Assembly Election : बिहार चुनाव के बीच राबड़ी देवी पर केंद्रित महारानी वेब सीरीज-4 का ट्रेलर लांच;महज संयोग या कोई प्रयोग Zoho Mail: Zoho Mail पर डेटा ट्रांसफर करने का आसान तरीका, जाने कैसे... Mongolian Falcon Price: कहां बिका दुनिया का सबसे महंगा बाज? इतनी कीमत में खरीद सकते हैं सवा किलो सोना Mongolian Falcon Price: कहां बिका दुनिया का सबसे महंगा बाज? इतनी कीमत में खरीद सकते हैं सवा किलो सोना Bihar STET Exam Date 2025: बिहार STET 2025 परीक्षा 14 अक्टूबर से तय, बोर्ड ने फर्जी खबरों पर लगाई रोक Delhi new secretariat : दिल्ली को मिलेगा नया और आधुनिक सचिवालय, जल्द बदल जाएगा पता; एक ही छत के नीचे सारे विभाग बिहार चुनाव से पहले बड़ी कार्रवाई: मुजफ्फरपुर में ट्रक और थार से लाखों रुपए की विदेशी शराब जब्त, स्मगलर अरेस्ट Betting Markets In India: भारत में कितने सट्टा बाजार? जानिए आज हर एक का पूरा लेखा-जोखा!
1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Fri, 24 Jan 2025 12:07:38 PM IST
- फ़ोटो Google
Bihar Politics: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की आज 101 वीं जयंती है. पूर्व मुख्यमंत्री की जयंती पर बिहार में राजकीय समारोह का आयोजन किया जाता है.सादगी के प्रतीक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर उनके निजी सचिव रहे व बिहार के वरिष्ठ पत्रकार ने पुरानी यादों को जिंदा कर दिया है. जब कर्पूरी ठाकुर ने जाली बिल के आधार पर सरकारी पैसे लेने से साफ मना कर दिया था.
जाली बिल के आधार पर सरकारी पैसा लेने से साफ मना कर दिया
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि, कर्पूरी ठाकुर ने जाली बिल के आधार पर सरकारी पैसा लेने से साफ मना कर दिया था. यह बात तब की है जब मैं कर्पूरी ठाकुर का निजी सचिव था. हमलोग बिहार विधान मंडल भवन स्थित प्रतिपक्ष के नेता के कक्ष में बैठे हुए थे. कर्पूरी जी ने एक कागज देते हुए मुझसे कहा कि इसे ले जाकर लेखा शाखा में दे दीजिए. मैंने विधान सभा सचिवालय की लेखा शाखा के संबंधित क्लर्क को दे दिया. कर्पूरी ठाकुर का 6 सौ रुपए का वह बिल था.क्लर्क ने उस कागज को देखा और उसके बाद मुझे ऊपर से नीचे तक गौर से निहारा. अपना बुरा सा मुंह बनाकर उसने कहा-- ‘‘कैसे -कैसे लोग खादी का कुर्ता-पायजामा पहन कर बड़े -बड़े नेताओं के साथ लग जाते हैं. आपको कोई बुद्धि है ? यह सिर्फ छह सौ रुपए का बिल है. इतने बड़े नेता का काम छह सौ में कैसे चलेगा ? जाइए,इसे 13 सौ का बनाकर ले आइए।’’ मैं लौटकर कर्पूरी जी के पास गया और उस क्लर्क की उक्ति दुहरा दी. कर्पूरी जी ने दांत पीसते हुए गुस्से में कहा--‘‘लाइए कागज ,मुझे बिल पास नहीं करवाना है. ये लोग लुटेरे हैं. राज्य को लूट लेंगे।’’ ऐसा कह कर उन्होंने उस कागज को टेबल की दराज में रख लिया.बाद में मुझे पता नहीं चला कि उस बिल का क्या हुआ.
क्लर्क का ‘‘उज्ज्वल भविष्य’’...भ्रष्टतम मुख्यमंत्री का पीए बन गया
सुरेन्द्र किशोर अपने फेसबुक पर आगे लिखते हैं, '' अब उस क्लर्क का ‘‘उज्ज्वल भविष्य’’ देखिए.उसे राज्य के भ्रष्टत्तम मुख्य मंत्रियों में से एक माने जाने वाले उसके स्वजातीय नेता ने अपना निजी सचिव बना लिया. यानी वह प्रमोशन पाकर मुख्य मंत्री का निजी सचिव बन गया.इस देश-प्रदेश में ऐसे ही मिलता गया भ्रष्टाचार को संस्थागत स्वरुप.आजादी के तत्काल बाद से ही बिहार सहित पूरे देश में यह गोरख धंधा शुरू हो गया था।
बेतिया के जिस डी ई ओ के यहां से दो करोड़ रुपए नकद बरामद हुए हैं,वह अफसर तो भ्रष्टाचार के वटवृक्ष की टहनी मात्र है।जड़ें तों कहीं और हैं।अपने शासन काल में खुद कर्पूरी ठाकुर ने भरसक कोशिश की थी कि भ्रष्टाचार पर प्रहार किया जाये, पर जहां पूरे कुएं में भांग पड़ी हो तो एक या दो व्यक्ति कितना क्या करेगा ? कर्पूरी ठाकुर ने अपने मुख्य मंत्रित्व काल (1977-79)में सी.बी.आई.को लिख दिया था कि ‘‘सी.बी.आई.को बिहार सीमा में कोई भी गंभीर मामले की जानकारी मिले तो वह गोपनीय ढंग से उसकी जांच शुरू कर दे। उसमें राज्य सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं होगी।’’ यह आदेश सन 1996 के आरंभ तक बिहार में प्रभावी रहा.