Bihar road widening : बिहार में सड़कें चौड़ी करने की बड़ी जरूरत, एनएच-एसएच और एमडीआर में चार लेन का प्रतिशत बेहद कम

बिहार में सड़कों की लंबाई बढ़ी है, लेकिन चौड़ाई अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक एनएच, एसएच और एमडीआर में चार लेन सड़कों का प्रतिशत बेहद कम है, जिससे ट्रैफिक दबाव बढ़ रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 30 Nov 2025 07:11:39 AM IST

Bihar road widening : बिहार में सड़कें चौड़ी करने की बड़ी जरूरत, एनएच-एसएच और एमडीआर में चार लेन का प्रतिशत बेहद कम

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Bihar road widening : बिहार में सड़क नेटवर्क का दायरा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन चौड़ी और सुगम सड़कों के मामले में राज्य अब भी पीछे है। पथ निर्माण विभाग की ताजा रिपोर्ट बताती है कि राज्य की सड़कों की लंबाई बढ़ी जरूर है, पर उनकी चौड़ाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। खास तौर पर नेशनल हाईवे (एनएच), स्टेट हाईवे (एसएच) और मुख्य जिला सड़कों (एमडीआर) में चार लेन या उससे अधिक चौड़ाई वाली सड़कों का प्रतिशत काफी कम है। यही कारण है कि बढ़ती आबादी और वाहनों का दबाव वर्तमान सड़क ढांचे पर भारी पड़ रहा है।


एनएच की लंबाई बढ़ी, चौड़ी सड़कें कम

बिहार में फिलहाल नेशनल हाईवे की कुल लंबाई 6389 किलोमीटर है। सुनने में यह आंकड़ा बड़ा लगता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इनमें से मात्र 1816 किलोमीटर सड़क ही चार लेन या उससे अधिक चौड़ी है। यानी कुल एनएच का सिर्फ 28 फीसदी हिस्सा ही बेहतर चौड़ाई वाली सड़क श्रेणी में आता है। इसके अलावा अब भी 406 किलोमीटर एनएच सिंगल लेन (3.75 मीटर) की स्थिति में हैं।


दो लेन यानी सात मीटर चौड़े एनएच की लंबाई 3215 किलोमीटर है, जो अच्छा संकेत जरूर है, लेकिन भारी ट्रैफिक वाले राज्य में यह चौड़ाई पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। सड़क विशेषज्ञों के अनुसार बिहार में जिस तेज़ी से वाहन संख्या बढ़ी है, उसके हिसाब से चार लेन या उससे अधिक चौड़ाई वाले मार्गों का विस्तार जरूरी है।


स्टेट हाईवे की स्थिति भी चिंताजनक

स्टेट हाईवे राज्य के प्रमुख जिलों और बाजारों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिहार में एसएच की कुल लंबाई 3617 किलोमीटर है, लेकिन इनमें से केवल 40 किलोमीटर सड़क ही चार लेन की है। यह कुल एसएच का मात्र 1.11 प्रतिशत होता है।रिपोर्ट के अनुसार 268 किलोमीटर स्टेट हाईवे अब भी सिंगल लेन (3.75 मीटर) है, जबकि 270 किलोमीटर सड़कें 5.50 मीटर की इंटरमीडिएट लेन श्रेणी में आती हैं। सबसे बड़ा हिस्सा दो लेन (7 मीटर) का है, जिसकी लंबाई 3038 किलोमीटर है। हालांकि दो लेन सड़कें भी मध्यम ट्रैफिक के लिए ही उपयुक्त मानी जाती हैं, भारी वाहनों और लंबी दूरी की यात्रा के लिए चौड़ी सड़कों की आवश्यकता होती है।


मुख्य जिला सड़कों (एमडीआर) का हाल सबसे कमजोर

एमडीआर को शहरों और कस्बों की प्रमुख सड़कों की श्रेणी में रखा जाता है, जिनकी कुल लंबाई 16,784 किलोमीटर है। हैरानी की बात है कि इनमें से केवल 116 किलोमीटर सड़क ही चार लेन या इससे अधिक चौड़ी है, जो कुल एमडीआर का सिर्फ 0.69 प्रतिशत है।एमडीआर में 5343 किलोमीटर सिंगल लेन और 7983 किलोमीटर इंटरमीडिएट लेन की सड़कें हैं। सड़कों की इस स्थिति से साफ है कि शहरों के अंदर बढ़ते ट्रैफिक को संभालने के लिए जिला स्तरीय सड़कों को चौड़ा करना आवश्यक है।


शहरी सड़कें भी चौड़ाई में पिछड़ीं

राज्य में कुल 26,791 किलोमीटर शहरी सड़कें हैं, जिनमें से मात्र 1973 किलोमीटर यानी सिर्फ 7 प्रतिशत सड़कें ही चार लेन या उससे अधिक चौड़ी हैं। शहरीकरण की गति और बढ़ते व्यावसायिक गतिविधि के बीच यह स्थिति यातायात जाम और दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन रही है।


राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे बिहार

राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो देश में एक लाख आबादी पर औसतन 10.90 किलोमीटर एनएच उपलब्ध है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा मात्र 4.54 किलोमीटर है। इससे स्पष्ट है कि आबादी के हिसाब से बिहार में सड़क नेटवर्क का दबाव कहीं अधिक है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों के अनुसार साल 2005 की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है। तब बिहार में केवल 3600 किलोमीटर एनएच था, जो अब बढ़कर 6389 किलोमीटर हो गया है। लेकिन चौड़ाई के स्तर पर अभी भी काफी काम बाकी है।


सड़क नेटवर्क का समग्र डेटा

26,791 किमी — शहरी सड़कें

5612 किमी — सिंगल लेन सड़कें

8660 किमी — इंटरमीडिएट लेन

9463 किमी — सात मीटर चौड़ी दो लेन सड़कें

1973 किमी — चार लेन और उससे अधिक चौड़ी सड़कें


सुधार की आवश्यकता और आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में आर्थिक विकास, औद्योगिकीकरण और पर्यटन विस्तार के लिए सड़क नेटवर्क की गुणवत्ता सुधारना बेहद जरूरी है। चार लेन सड़कों को बढ़ाने से न केवल यातायात सुगम होगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।सरकार कई परियोजनाओं पर काम कर रही है, नए एनएच निर्माण और वर्तमान सड़कों के चौड़ीकरण की योजनाएँ जारी हैं। लेकिन राज्य की बड़ी आबादी और यातायात भार को देखते हुए सड़कों का विस्तार तेज़ रफ्तार से करना होगा। बिहार में सड़क नेटवर्क का विस्तार तो हुआ है, लेकिन चौड़ाई के मामले में अभी लंबी दूरी तय करना बाकी है।