1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 14 Dec 2025 11:50:40 AM IST
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Bihar rural road project : बिहार सरकार ने ग्रामीण सड़कों के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए ठेकेदारों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने का फैसला किया है। राज्य में ग्रामीण कार्य विभाग (Rural Works Department) ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद यदि किसी ठेकेदार के कागजात जांच में गलत, अपूर्ण या संदिग्ध पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यह है कि ग्रामीण इलाकों में बनने वाली सड़कें टिकाऊ हों, समय पर पूरी हों और सरकारी धन का सही उपयोग हो सके।
ग्रामीण कार्य विभाग ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट जिम्मेदारी सौंपी है। सभी एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों (कार्यपालक अभियंताओं) को निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी ठेकेदार के साथ टेंडर के बाद अग्रीमेंट (समझौता) करने से पहले उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी कागजातों की मूल प्रति (ऑरिजिनल कॉपी) से गहन जांच करें। विभाग ने साफ कहा है कि केवल कागजी औपचारिकता निभाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि दस्तावेजों की सत्यता और वैधता की पूरी तरह से पुष्टि करना अनिवार्य होगा।
विभागीय आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तभी अग्रीमेंट करें, जब वे ठेकेदार के सभी दस्तावेजों से पूरी तरह संतुष्ट हों। इसमें ठेकेदार का पंजीकरण, तकनीकी योग्यता, वित्तीय क्षमता, पूर्व अनुभव, मशीनरी और मानव संसाधन से जुड़े कागजात शामिल हैं। यदि बाद में यह पाया जाता है कि जांच में लापरवाही बरती गई है या जानबूझकर गलत कागजातों को नजरअंदाज किया गया है, तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही भी तय की जा सकती है।
ग्रामीण कार्य विभाग का मानना है कि कई बार निर्माण कार्यों में देरी या गुणवत्ता में कमी की मुख्य वजह ठेकेदारों की तकनीकी और वित्तीय कमजोरी होती है। गलत या फर्जी कागजात के आधार पर काम मिलने के बाद ठेकेदार समय पर कार्य पूरा नहीं कर पाते, जिससे परियोजनाएं लंबित रहती हैं और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है।
सूत्रों के अनुसार, विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि काम को तय समय पर और बेहतर गुणवत्ता के साथ पूरा कराने के लिए संबंधित अधीक्षण अभियंता (Superintending Engineer) सप्ताह में कम से कम एक बार निर्माण स्थल का निरीक्षण करें। निरीक्षण के दौरान वे यह सुनिश्चित करेंगे कि निर्माण कार्य स्वीकृत नक्शे, तकनीकी मानकों और समय-सीमा के अनुसार चल रहा है या नहीं। निरीक्षण रिपोर्ट को नियमित रूप से विभागीय रिकॉर्ड में दर्ज करना भी अनिवार्य किया गया है।
इसके साथ ही अधीक्षण अभियंताओं को यह विशेष जिम्मेदारी दी गई है कि वे यह जांचें कि ठेकेदार अग्रीमेंट की सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं या नहीं। यदि किसी भी स्तर पर यह पाया जाता है कि ठेकेदार ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया है—जैसे घटिया सामग्री का उपयोग, काम में अनावश्यक देरी, या स्वीकृत डिजाइन से अलग निर्माण—तो तत्काल कार्रवाई की जाए। ऐसी स्थिति में ठेकेदार पर जुर्माना लगाने, भुगतान रोकने या ब्लैकलिस्ट करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
विभागीय निर्देशों के अनुसार, अग्रीमेंट की शर्तों के उल्लंघन से जुड़ी सभी जानकारियां अधीक्षण अभियंता के माध्यम से ब्राडा (BRADA) के अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह सचिव को भेजनी होंगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उच्च स्तर पर भी मामलों की निगरानी हो और किसी भी तरह की अनियमितता को दबाया न जा सके।
सरकार के इस फैसले को ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। ग्रामीण सड़कों का सीधा संबंध आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी, कृषि उत्पादों की ढुलाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से है। ऐसे में यदि सड़कें समय पर और अच्छी गुणवत्ता के साथ बनती हैं, तो इसका लाभ सीधे ग्रामीण जनता को मिलेगा।
कुल मिलाकर, बिहार सरकार और ग्रामीण कार्य विभाग का यह सख्त रुख यह संकेत देता है कि अब निर्माण कार्यों में लापरवाही और अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ठेकेदारों के साथ-साथ अधिकारियों की जवाबदेही तय कर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि विकास कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता से कोई समझौता नहीं होगा।