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बिहार में इतने दिनों तक बालू खनन पर लगी रोक, सरकार ने कहा- नहीं होगी रेत की कमी

बिहार सरकार ने सभी नदी घाटों से बालू खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। मानसून के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि खान एवं भूतत्व विभाग का दावा है कि बालू की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 14 Jun 2025 10:11:56 PM IST

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बालू खनन पर रोक - फ़ोटो google

PATNA: राज्य की नदियों से बालू खनन पर 15 जून से 30 सितंबर 2025 तक पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला बिहार सरकार ने लिया है। यह रोक हर साल मानसून के दौरान पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से लगाया जाता है। इस बार भी मानसून से पहले यह पाबंदी लगायी गयी है। इस दौरान न तो किसी भी घाट से बालू की खुदाई की जा सकेगी और न ही किसी बंदोबस्तधारी को खनन की अनुमति दी जाएगी।


खान एवं भूतत्व विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम को स्पष्ट निर्देश जारी किये हैं। विभाग ने भरोसा दिलाया है कि इस अवधि में राज्य में बालू की कोई किल्लत नहीं होगी। निर्माण कार्यों में उपयोग के लिए पहले से ही 30 लाख क्यूबिक फीट (CFT) से अधिक बालू का भंडारण घाटों के सेकेंडरी लोडिंग प्वाइंट्स पर किया गया है। इसके अलावा जब्त बालू और लाइसेंस प्राप्त स्टॉकधारियों के पास भी पर्याप्त मात्रा में बालू उपलब्ध रहेगा।


बता दें कि बिहार में हर साल करीब 50 करोड़ CFT बालू की खपत होती है। लेकिन अवैध खनन की वजह से वास्तविक निकासी सरकारी रिकॉर्ड से कम रह जाती है। सरकार इस असंतुलन को रोकने के लिए मानसून के दौरान खनन पर रोक लगाकर पर्यावरण और नदी तंत्र को पुनर्जीवित करने का प्रयास करती है। इस बार की पाबंदी भी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों का पालन करते हुए लगाई गई है, ताकि नदियों में रहने वाले जलीय जीवों की रक्षा हो सके और मानसून के दौरान होने वाले प्राकृतिक क्षरण को रोका जा सके।


खनन पर रोक के साथ-साथ राज्य के बाहर बालू भेजने पर भी प्रतिबंध लागू रहेगा। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कैमूर और झारखंड से लगे गया, नवादा जैसे जिलों से अन्य राज्यों को होने वाली आपूर्ति पर भी रोक रहेगी। इस अवधि में ई-चालान जारी नहीं किए जाएंगे और आपदा प्रबंधन समूह इस पर निगरानी बनाए रखेगा।


खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव दिवेश सेहरा ने भी स्पष्ट किया है कि केवल खनन पर प्रतिबंध है, परिवहन पर नहीं। यानी, पहले से भंडारित बालू की ढुलाई और बिक्री जारी रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि स्टॉक पॉइंट्स पर पर्यवेक्षण के इंतजाम किए गए हैं ताकि उपभोक्ताओं को बालू की कमी का सामना न करना पड़े।


बिहार में इस समय कुल 457 पीला बालू घाट अधिसूचित हैं, जिनमें से 161 घाट चालू हैं। वहीं 37 घाटों को सरेंडर कर दिया गया है और उनकी दोबारा बंदोबस्ती की प्रक्रिया जारी है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, इस बार स्टॉक व्यवस्था को पहले से बेहतर बनाया गया है ताकि सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की जरूरतें पूरी की जा सकें।


मानसून के दौरान निजी क्षेत्र में निर्माण कार्यों की गति धीमी हो जाती है, क्योंकि लोग कृषि कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। लेकिन सरकारी परियोजनाएं जैसे पुल-पुलिया निर्माण, PMAY (प्रधानमंत्री आवास योजना) और अन्य अधोसंरचना कार्य प्रभावित न हों, इसके लिए विभाग विशेष ध्यान देगा। प्रशासन द्वारा किए गए भंडारण और निगरानी के उपायों से उम्मीद है कि इस मानसून में राज्य को बालू संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।