1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Nov 2025 04:34:08 PM IST
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Bihar Education Department : बिहार शिक्षा विभाग ने स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। नए आदेश के तहत किसी भी शिक्षण संस्थान सरकारी, निजी या कोचिंग सेंटर के परिसर में आवारा कुत्तों की मौजूदगी पाए जाने पर सीधे तौर पर संबंधित प्रधानाध्यापक, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) और जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) को जिम्मेदार माना जाएगा। विभाग ने साफ कहा है कि परिसर में स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करना अब अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में जारी किया गया आदेश
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. बी. राजेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के आधार पर यह नई एसओपी जारी की है। एसओपी का मुख्य उद्देश्य भटकते कुत्तों के प्रवेश को रोकना, खाद्य अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान करना और परिसर को बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित बनाना है। इसमें कहा गया है कि स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों की चहारदीवारी और फेंसिंग मजबूत होनी चाहिए ताकि बाहर से कोई जानवर परिसर में न आ सके। विद्यालय संचालन के समय मुख्य द्वार को पूरी तरह बंद रखने का निर्देश दिया गया है।
परिसर में खुले हिस्सों को बंद करना अनिवार्य
एसओपी में स्पष्ट कहा गया है कि विद्यालय परिसर के जो हिस्से खुले हैं और जहां से कुत्तों का प्रवेश संभव है, उन्हें तुरंत बंद किया जाए। हर स्कूल और कॉलेज में “भटकते कुत्तों को भोजन न दें” का बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही मिड डे मील कक्ष के आसपास सुरक्षात्मक फेंसिंग लगाई जाएगी ताकि भोजन के कारण कुत्तों के आने का खतरा कम किया जा सके।
विभाग ने सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि किसी भी परिस्थिति में परिसर में कुत्तों को भोजन देना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। दो सप्ताह में सभी संस्थानों की सूची बनेगीजारी गाइडलाइन के अनुसार, दो सप्ताह के भीतर जिले के सभी सरकारी व निजी शिक्षण संस्थानों—स्कूल, कॉलेज और कोचिंग—की सूची तैयार की जाएगी। इसमें यह भी दर्ज होगा कि किन संस्थानों में कुत्तों से संबंधित घटनाएं या संभावनाएं अधिक हैं। यह सूची जिला पदाधिकारी को सौंपी जाएगी।
कुत्ते के काटने या खरोंचने पर तत्काल चिकित्सा सलाह
एसओपी में कहा गया है कि बच्चों या कर्मचारियों को कुत्ते के काटने या खरोंचने की स्थिति में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर से संपर्क करना होगा। इसके लिए स्कूल परिसर में संबंधित सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे।संदिग्ध या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों की सूचना तुरंत वार्ड पार्षद या स्थानीय निकाय को देने का निर्देश है। इसके लिए हर संस्थान में एक नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जिनका नाम, पदनाम और मोबाइल नंबर स्कूल के मुख्य द्वार पर प्रदर्शित रहेगा।
लापरवाही पर होगी कार्रवाई, अधिकारियों पर तय होगी जिम्मेदारी
यदि किसी स्कूल में अवशिष्ट भोजन या स्वच्छता लापरवाही के कारण कुत्तों की उपस्थिति पाई जाती है, तो प्रधानाध्यापक, BEO और DEO संयुक्त रूप से जिम्मेदार माने जाएंगे। BEO प्रत्येक तीन माह में स्कूलों का निरीक्षण करेंगे, जबकि DEO भी हर तीन महीने में निरीक्षण कर रिपोर्ट राज्य मुख्यालय को भेजेंगे।
खाद्य अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान जरूरी
मिड डे मील से जुड़े निर्देशों में साफ कहा गया है कि भोजन का गिरना, बचे हुए भोजन को खुले में फेंकना या अपशिष्ट जल बहाना कुत्तों को आकर्षित करता है। इसलिए खाद्य अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान अनिवार्य किया जाएगा। यदि किसी विद्यालय में अवशिष्ट भोजन के कारण कुत्तों की मौजूदगी पाई जाती है, तो यह गंभीर लापरवाही मानी जाएगी।
जागरूकता कार्यक्रम हर माह आयोजित होंगे
परिसरों में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने के लिए हर माह छात्रों और कर्मियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होंगे। “सुरक्षित शनिवार” कार्यक्रम के तहत बच्चों को पशुओं के आक्रामक व्यवहार, उससे बचाव के उपाय और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी जाएगी।एसओपी में कहा गया है कि पकड़े गए कुत्तों को वापस उसी स्थान पर नहीं छोड़ा जाएगा। स्थानीय निकाय उन्हें पकड़कर नसबंदी, टीकाकरण करने के बाद निर्धारित आश्रय स्थल पर भेजेंगे।
शिक्षा विभाग के इस नए आदेश को बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब देखना यह है कि स्कूल- कॉलेज किस तरह इस निर्देश का पालन सुनिश्चित करते हैं और लापरवाही पर कैसी कार्रवाई होती है।