Bihar Teacher Transfer : नए साल से लागू होगी शिक्षकों के तबादले की नई नीति, शिक्षा विभाग ने नियमावली को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज की

Bihar Teacher Transfer : बिहार में शिक्षकों के तबादले की नई नीति नए साल से लागू होने वाली है। शिक्षा विभाग समेकित स्थानांतरण नियमावली को अंतिम रूप दे रहा है, जिससे छह लाख शिक्षकों को बड़ा लाभ मिलेगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 12 Dec 2025 07:25:38 AM IST

Bihar Teacher Transfer : नए साल से लागू होगी शिक्षकों के तबादले की नई नीति, शिक्षा विभाग ने नियमावली को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज की

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Bihar Teacher Transfer : बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर लंबे समय से चल रही जटिलताओं और अस्पष्ट व्यवस्था को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग अब ठोस पहल कर रहा है। नए साल से राज्य में शिक्षकों के तबादले की नई नीति लागू होने की उम्मीद है। इसके लिए विभाग शिक्षक स्थानांतरण नियमावली में संशोधन करते हुए इसे अंतिम रूप देने में जुटा है। माना जा रहा है कि एक महीने के भीतर नियमावली को राज्य कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा।


लंबे समय से स्पष्ट नीति के अभाव में परेशानी

पिछले कई वर्षों से शिक्षकों को व्यावहारिक और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत तबादले का लाभ नहीं मिल पा रहा था, क्योंकि स्थानांतरण के लिए कोई एकीकृत और स्पष्ट नियमावली मौजूद नहीं थी। इस वर्ष सवा लाख से अधिक शिक्षकों का अंतरजिला तथा जिले के भीतर तबादला किया गया, लेकिन इसके लिए विभाग को कई तरह के अलग-अलग आदेश जारी करने पड़े।


स्पष्ट दिशानिर्देश न होने के कारण तबादले से जुड़े हजारों मामले अदालतों तक पहुंच गए। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि ठोस नीति के अभाव में न केवल न्यायिक विवाद बढ़े, बल्कि इससे कई स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियां भी बाधित हुईं।


छह लाख शिक्षकों को नई नीति से मिलेगा लाभ

राज्य के करीब 79 हजार सरकारी स्कूलों में लगभग छह लाख शिक्षक कार्यरत हैं। नई समेकित स्थानांतरण नियमावली लागू होने के बाद सारे कोटियों के शिक्षकों—पुराने शिक्षक, विशिष्ट शिक्षक, विद्यालय अध्यापक, प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक—सभी को इसका लाभ मिलेगा।


वर्तमान में लगभग एक लाख से अधिक शिक्षक अंतरजिला या जिले के भीतर तबादले का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब बड़े पैमाने पर तबादला नई नीति लागू होने के बाद ही किया जाएगा। केवल विशेष परिस्थितियों में ही अपवादस्वरूप तबादला संभव है।


चुनाव से पहले लागू करने की थी योजना, लेकिन शिक्षक संघों की आपत्तियों से अटकी प्रक्रिया

शिक्षा विभाग की प्रारंभिक योजना थी कि विधानसभा चुनाव से पहले ही तबादला नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिल जाए। हालांकि नियमावली के कुछ बिंदुओं पर शिक्षक संघों ने आपत्ति दर्ज की, जिसके कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। अब विभाग इन आपत्तियों पर मंथन करते हुए नियमावली को संशोधित कर रहा है, ताकि इसे नए साल में लागू किया जा सके।


ऑनलाइन आवेदन ही मान्य होंगे, ऑफलाइन प्रक्रिया समाप्त

नई स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता और सुगमता पर विशेष जोर दिया गया है। अधिसूचना जारी होते ही शिक्षकों से तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। इसके लिए अलग से सूचना जारी की जाएगी।महत्वपूर्ण बात यह है कि भौतिक रूप से आवेदन जमा करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। केवल ऑनलाइन प्राप्त हुए आवेदन ही मान्य होंगे और इन्हीं पर विचार किया जाएगा। इससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, समयबद्ध और व्यवस्थित बनेगी।


नियुक्ति के पांच साल तक नहीं मिलेगा तबादले का अवसर

नई नियमावली में एक महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ा गया है—नियुक्ति के पहले पांच साल तक शिक्षकों को स्थानांतरण का अवसर नहीं दिया जाएगा। हालांकि यदि कोई शिक्षक गंभीर बीमारी, पारिवारिक आपात स्थिति या अन्य संवेदनशील परिस्थितियों में तबादले की मांग करता है, तो उसे अपवाद के तहत नियुक्ति के पांच साल पूरे होने से पहले भी ऐच्छिक तबादला मिल सकता है। इस प्रावधान से अनावश्यक तबादला आवेदनों में कमी आएगी और शिक्षा व्यवस्था अधिक स्थिर बनेगी।


राज्य में स्कूलों की वर्तमान स्थिति

शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में विभिन्न श्रेणियों के कुल विद्यालयों की संख्या इस प्रकार है—प्राथमिक विद्यालय: 40,270,मध्य विद्यालय:27,903 बुनियादी विद्यालय:391,माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय: 9,360 इन सभी स्कूलों में कार्यरत लाखों शिक्षकों के लिए अब एकीकृत स्थानांतरण नीति लागू की जा रही है, ताकि लंबे समय से चली आ रही असमानता और भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके।


2006 से अब तक नियमावली लागू नहीं हो सकी

बिहार में वर्ष 2006 से नियोजित शिक्षकों की बहाली शुरू हुई, लेकिन इसके बाद से आज तक स्थानांतरण के लिए स्पष्ट, स्थायी और एकीकृत नियमावली लागू नहीं हो सकी। बीच-बीच में विभाग ने अलग-अलग श्रेणियों के लिए अलग नियमावली अवश्य बनाई, लेकिन वे कभी व्यवहार में नहीं लाई जा सकीं। इसी कारण स्थानांतरण से जुड़े मामलों में अक्सर भ्रम और विवाद उत्पन्न होते रहे।


नई नीति से उम्मीदें बढ़ीं

शिक्षकों में उम्मीद जगी है कि नई समेकित और डिजिटल आधारित स्थानांतरण नियमावली से पारदर्शिता बढ़ेगी, शिकायतें घटेंगी और स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था अधिक सुचारू होगी। विभाग का दावा है कि इस नीति से न केवल तबादलों में स्पष्टता आएगी, बल्कि न्यायालयों में लंबित मुकदमों में भी कमी आएगी।