Bihar News: बिहार में सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए नई नीति बनाएगी सरकार, मेगा फूड पार्क और प्रोसेसिंग यूनिट्स का होगा निर्माण

बिहार सरकार सब्जी उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई नीतियां लागू कर रही है। 235 करोड़ रुपये की लागत से मेगा फूड पार्क, डिहाइड्रेशन और प्रसंस्करण इकाइयों का निर्माण, सब्सिडी व जैविक खेती को बढ़ावा।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 27 Dec 2025 02:22:56 PM IST

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प्रतिकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार सरकार सब्जी उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय सुनिश्चित करने के लिए नई नीतियां और योजनाएं बना रही है। इसमें आधुनिक तकनीक अपनाने पर सब्सिडी, जैविक खेती को प्रोत्साहन, प्रोसेसिंग यूनिट्स और सब्जी मार्ट जैसी सुविधाएं शामिल हैं।


सरकार की योजना के तहत 235 करोड़ 54 लाख रुपये की लागत से मेगा फूड पार्क, डिहाइड्रेशन यूनिट, हल्दी प्रसंस्करण इकाई और टमाटर प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जाएगी। यह योजना सहकारिता विभाग के माध्यम से बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन योजना (वेजफेड) के तहत कार्यान्वित होगी।


वेजफेड के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सब्जी की खेती केवल पारंपरिक तरीका न रहे, बल्कि एक लाभकारी व्यवसाय बने। इसके लिए किसानों को सही तकनीक, बेहतर बीज, खाद और बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे उनकी आय बढ़े और वे आत्मनिर्भर बन सकें।


किसानों को जैविक खाद, बीज और कृषि उपकरणों पर प्रति हेक्टेयर 10 हजार रुपये तक का अनुदान भी मिलेगा। इसके अलावा, किसानों द्वारा उत्पादित सब्जियों को प्रोसेसिंग और बाजार तक पहुंचाने की सुविधा दी जाएगी।


सरकार की नई नीति में समूह आधारित सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा और महिला स्वयं सहायता समूहों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। यह प्रयास रोजगार के अवसर बढ़ाने और कृषि-व्यवसाय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। वेजफेड के माध्यम से सब्जी उत्पादन, संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन की पूरी श्रृंखला को सुदृढ़ किया जाएगा, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले और उनकी आय में वास्तविक वृद्धि हो।


सहकारिता मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि आगे आने वाले दिनों में मेगा फूड पार्क, डिहाइड्रेशन यूनिट और हल्दी प्रसंस्करण इकाई का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। इस पहल से कृषि उत्पादों को खेत से सीधे प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंचाने, मूल्य संवर्धन, खाद्य अपव्यय में कमी और रोजगार सृजन संभव होगा।