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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 02 Jul 2025 09:02:59 PM IST
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PATNA:बिहार की सहकारिता राजनीति में मंगलवार को एक बड़ा बदलाव देखने को मिला जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता विशाल सिंह ने बिस्कोमान (बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन लिमिटेड) के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया। यह जीत इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि उन्होंने राजद नेता सुनील सिंह की पत्नी वंदना सिंह को हराकर 21 वर्षों से चले आ रहे राजनीतिक प्रभुत्व को समाप्त कर दिया। इस चुनाव में महेश राय को बिस्कोमान का उपाध्यक्ष चुना गया है। उनकी जीत से यह भी संकेत मिलता है कि सहकारिता राजनीति में भाजपा की पकड़ और मज़बूत हो रही है।
कौन हैं विशाल सिंह?
विशाल सिंह का नाम सहकारिता क्षेत्र में नया नहीं है। वे बिस्कोमान के संस्थापक तपेश्वर सिंह के पोते और दिग्गज सहकारिता नेता व पूर्व सांसद अजित सिंह के पुत्र हैं। इतना ही नहीं, विशाल वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (NCCF) के भी अध्यक्ष हैं। वे भाजपा के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह के दामाद भी हैं, जिससे उनका राजनीतिक और पारिवारिक आधार और मजबूत होता है।
तीसरी पीढ़ी का सहकारिता में दबदबा
विशाल सिंह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं जिन्होंने सहकारिता राजनीति में प्रवेश किया है। उनके दादा तपेश्वर सिंह जहां बिस्कोमान के संस्थापकों में शामिल थे और कांग्रेस के टिकट पर दो बार लोकसभा सांसद बने, वहीं उनके पिता अजित सिंह ने जेडीयू से बिक्रमगंज से सांसद रहकर लंबा राजनीतिक सफर तय किया। पिता की असामयिक मृत्यु के बाद, उनकी मां मीना सिंह ने उपचुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया और 2009 में आरा से सांसद बनीं।
21 साल का वर्चस्व टूटा
राजद नेता सुनील सिंह पिछले दो दशकों से अधिक समय से बिस्कोमान पर राजनीतिक पकड़ बनाए हुए थे। इस बार उन्होंने स्वयं चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि अपनी पत्नी वंदना सिंह को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन विशाल सिंह की रणनीतिक पहुंच, राजनीतिक समर्थन और विरासत ने वंदना सिंह को करारी शिकस्त दी।
कानूनी पेंच से मिली राहत, तब आया नतीजा
बिस्कोमान का चुनाव पिछले कई महीनों से विवादों और कानूनी दांवपेच में उलझा हुआ था। चुनाव के बाद राजद नेता सुनील सिंह झारखंड हाईकोर्ट चले गए, जहां से चुनाव परिणाम पर स्टे ऑर्डर मिल गया था। हालांकि, मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट ने स्टे हटाते हुए चुनाव परिणाम घोषित करने का रास्ता साफ कर दिया। इसके बाद पटना डीएम ने चुनाव नतीजों की आधिकारिक घोषणा की,जिसमें विशाल सिंह को विजेता घोषित किया गया। विशाल सिंह की यह जीत न सिर्फ सहकारिता क्षेत्र में बदलाव की प्रतीक है, बल्कि यह राजनीतिक स्तर पर भी संकेत देती है कि भाजपा बिहार में सहकारी संगठनों के जरिए अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। बिस्कोमान जैसे बड़े संगठन पर नियंत्रण से BJP को ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में भी प्रत्यक्ष प्रभाव बनाने का अवसर मिलेगा।