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आंखों पर पट्टी बांधकर बाबा धाम की पदयात्रा, भक्त ने निभाया हठ योग

सावन में एक अनोखी श्रद्धा का दृश्य, जब एक भक्त ने आंखों पर पट्टी बांधकर बाबा धाम की यात्रा की। मन्नत पूरी होने पर बाबा भोले के प्रति अटूट भक्ति दिखाते हुए उन्होंने हठ योग में जल अर्पण का संकल्प निभाया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 14 Jul 2025 04:40:29 PM IST

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आंखों पर पट्टी, मन में बाबा भोले - फ़ोटो GOOGLE

MUNGER: सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए सिर्फ एक मौसम नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और समर्पण की जीवंत मिसाल होता है। ऐसे ही एक दुर्लभ और अद्वितीय भक्ति के रूप को कच्ची कांवरिया पथ पर देखने को मिला, जब एक श्रद्धालु ने आंखों पर पट्टी बांधकर बाबा धाम (देवघर) की कठिन पदयात्रा शुरू की।


दरभंगा से आए महेंद्र प्रजापति और सिवान के राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि यह यात्रा कोई साधारण संकल्प नहीं, बल्कि बाबा भोलेनाथ के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और ‘हठ योग’ का परिणाम है। महेंद्र प्रजापति ने कहा, “मैंने बाबा भोले से एक मनोकामना की थी। जब वह पूरी हुई, तो मैंने प्रण लिया कि आंखों पर पट्टी बांधकर पैदल बाबा की नगरी जाऊंगा और जल अर्पण करूंगा।”


आंखों पर पट्टी, मन में बस भोले बाबा

महेंद्र प्रजापति की इस यात्रा में न आंखों से रास्ता दिखता है, न ही कोई भौतिक दृश्य। वह केवल अपने साथी श्रद्धालु की मदद से, मन में बस बाबा भोले का नाम लेकर कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं आंखों से कुछ नहीं देखना चाहता, क्योंकि मेरे लिए अब सिर्फ बाबा ही सबकुछ हैं। मेरी आंखों में बस वही बसें, यही मेरी कामना है।


मुंगेर के कच्ची कांवरिया पथ पर जब महेंद्र पट्टी बांधे हुए चलते नजर आए, तो राहगीरों और श्रद्धालुओं ने हैरानी और श्रद्धा से उन्हें देखा। लोग रुक-रुक कर उन्हें प्रणाम करते रहे और कई ने उनकी आस्था को अद्वितीय बताया। हर साल सावन में कांवर यात्रा के दौरान कई रूपों में भक्ति के दर्शन होते हैं, लेकिन यह दृश्य भावनाओं को गहराई से छू लेने वाला था।


हठ योग का अर्थ है–संकल्प, तपस्या और पूरी एकाग्रता से लक्ष्य की ओर बढ़ना। महेंद्र प्रजापति की यह यात्रा इसी संकल्प की मिसाल है। बिना देखे, केवल विश्वास और श्रद्धा के सहारे, वह बाबा के द्वार तक पहुंचने को तैयार हैं। उनका मानना है कि जब भगवान ने उनकी प्रार्थना सुनी, तो अब उन्हें अपनी तरफ से समर्पण की अंतिम सीमा तक जाना होगा। भक्त ने कहा कि "बाबा की आंखों से ही अब दुनिया देखना चाहता हूं"..महेंद्र ने कहा, “जब मैं बाबा के दरबार में जल चढ़ाऊंगा, तब ही पट्टी हटाऊंगा। मैं चाहता हूं कि मेरी आंखें अब सबसे पहले बाबा भोलेनाथ का ही दर्शन करें।”


सावन की इस पवित्र यात्रा में महेंद्र प्रजापति जैसे श्रद्धालु यह साबित करते हैं कि सच्ची आस्था ना तो रास्ता देखती है, ना मंज़िल पूछती है, वह बस दिल से निकलती है और भगवान तक पहुंच जाती है। उनकी यह यात्रा हज़ारों कांवरियों के लिए प्रेरणा बन रही है और यह संदेश दे रही है कि भक्ति जब संकल्प बन जाए, तो असंभव भी संभव हो जाता है।


महेंद्र प्रजापति और राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि यह यात्रा उन्होंने भगवान भोलेनाथ के प्रति अपनी भक्ति और अर्जी के पूरे होने पर प्रारंभ की है। महेंद्र प्रजापति ने कहा कि मैंने बाबा भोलेनाथ से एक मनोकामना के लिए अर्जी लगाई थी। जब मेरी अर्जी पूरी हो गई, तब मैंने प्रण लिया कि मैं आंखों पर पट्टी बांधकर डाक बम लेकर बाबा के दर्शन करने निकलूंगा।उन्होंने इसे भगवान भोले के प्रति "हठ योग" बताया और कहा कि इस रूप में भक्ति करना उनके लिए सौभाग्य की बात है। आंखों पर पट्टी बांधकर यात्रा करना आसान नहीं, लेकिन उन्होंने संकल्प लिया है कि बिना देखे, सिर्फ मन में बाबा का नाम लेकर, अपने सहयोगी के साथ वह जल चढ़ाने बाबा धाम जा रहे है। उनके इस समर्पण को देखकर अन्य श्रद्धालु भी अचंभित हो जा रहे हैं।