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BPSC70th Exam पर बड़ी खबर: सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द करने की याचिका खारिज की, गड़बड़ी का कोई ठोस सबूत नहीं

BPSC 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, कोर्ट ने कहा- गड़बड़ी का कोई ठोस सबूत नहीं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 23 Apr 2025 12:00:01 PM IST

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सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो - फ़ोटो Google

DELHI: BPSC70th: परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाने वालों को सुप्रीम झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई के बाद कहा कि परीक्षा में बड़ी गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं है. लिहाजा ये याचिका खारिज की जाती है. 

इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने भी BPSC परीक्षा रद्द करने को लेकर दायर सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट में आज याचिका दायर करने वालों ने कई बड़े वकीलों को उतारा था, लेकिन वे कोई ठोस तथ्य या सबूत पेश नहीं कर पाए.

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कराने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने की. बेंच ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पेपर लीक का जो आरोप लगाया गया है उसका कोई सबूत नहीं मिला है.


कोर्ट में हुई सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और कॉलिन गोंसाल्वेस याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में व्हाट्सएप मैसेज और कुछ वीडियो क्लिप्स प्रस्तुत किए, जिनमें दावा किया गया कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक हुआ और कुछ परीक्षा केंद्रों पर लाउडस्पीकर के माध्यम से उत्तर बताए गए। हालांकि, पीठ ने इन डिजिटल सबूतों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वीडियो क्लिप्स को देखा और उसमें कोई ठोस आधार नहीं पाया.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी आरोप केवल एक परीक्षा केंद्र — बापू परीक्षा परिसर — से संबंधित हैं, जहां पहले ही पुनर्परीक्षा कराई जा चुकी है। जस्टिस मनमोहन ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के आरोपों के अनुसार भी पेपर लीक तब हुआ जब उम्मीदवार परीक्षा कक्ष में प्रवेश कर चुके थे. हालांकि, याचिका दायर करने वालों की वकील अंजना प्रकाश ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि जब संपूर्ण प्रक्रिया संदेह के घेरे में है तो फिर से परीक्षा कराना जरूरी है.


बिहार सरकार और BPSC की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परीक्षा में चार सेट थे और प्रश्नों को मिलाकर दिया गया था.  वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता गोंसाल्वेस ने कहा कि लगभग 24 प्रश्न कोचिंग संस्थानों द्वारा दिए गए प्रश्नों से मेल खाते थे. इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसा सामान्यतः होता है और कई बार मॉक टेस्ट के प्रश्न असली परीक्षा में आ जाते हैं. जस्टिस मनमोहन ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि कैंपस लॉ सेंटर में डुग्गियों की बिक्री होती थी और 90% प्रश्न वहीं से आ जाते थे.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुल 150 में से केवल 2 प्रश्न मॉक पेपर्स से हूबहू लिए गए थे, जबकि गोंसाल्वेस ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि कई प्रश्न कोचिंग सामग्री से मेल खाते थे.सुनवाई के दौरान जस्टिस मनमोहन ने कहा, "उम्मीदवारों की असुरक्षाओं का लाभ उठाया जा रहा है। हर कोई एक-दूसरे की चिंताओं से खेल रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल कोई भी परीक्षा बिना विवाद के पूरी नहीं हो पा रही है। हम हर किसी को संदेह की नजर से देख रहे हैं।"

बता दें कि इस मामले की शुरुआत तब हुई जब याचिकाकर्ता आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट ने जनवरी में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और BPSC की 70वीं परीक्षा रद्द करने की मांग की थी. उन्होंने BPSC की परीक्षा प्रक्रिया की जांच के लिए एक बोर्ड गठित करने की भी मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें पटना हाईकोर्ट जाने को कहा था. मार्च में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में दाखिल सभी याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दीं थी कि सभी केंद्रों पर गड़बड़ी के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं. हाईकोर्ट ने BPSC को मुख्य परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दे दी थी. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई थी.

गौरतलब है कि BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में लगभग 5 लाख उम्मीदवारों ने 900 से अधिक परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा दी थी. विवाद तब शुरू हुआ जब आयोग ने केवल बापू परीक्षा परिसर में परीक्षा देने वाले लगभग 6000 उम्मीदवारों की पुनर्परीक्षा कराई, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पूरी परीक्षा को रद्द कर फिर से कराने की मांग की थी.