high speed train : 1.5 घंटे में दिल्ली से पटना! 2 सेकंड में 700 kmph तक पहुंच जाती है यह ट्रेन; जानिए क्या है खासियत

चीन ने सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव ट्रेन में नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, 700 kmph की रफ्तार से टेस्ट व्हीकल दौड़ा, भविष्य में हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट क्रांति संभव।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 28 Dec 2025 09:17:53 AM IST

high speed train : 1.5 घंटे में दिल्ली से पटना!  2 सेकंड में 700 kmph तक पहुंच जाती है यह ट्रेन; जानिए क्या है खासियत

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high speed train : अगर भविष्य में ट्रेनों की रफ्तार 700 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाए, तो दिल्ली से पटना का सफर सिर्फ 1.5 घंटे में संभव हो सकता है। चीन ने हाल ही में एक ऐसे प्रयोग में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है, जिसने ट्रेन यात्रा में क्रांतिकारी बदलाव की संभावनाओं को उजागर किया है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी (NUDT) की रिसर्च टीम ने सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक टन वजन वाले टेस्ट व्हीकल को केवल 2 सेकंड में 700 kmph की रफ्तार तक पहुंचा दिया।


यह कोई पैसेंजर ट्रेन नहीं थी, बल्कि टेस्टिंग के लिए डिज़ाइन किया गया स्लेज था। 400 मीटर लंबी मैग्लेव ट्रैक पर यह परीक्षण किया गया और व्हीकल को सुरक्षित तरीके से रोका गया। टेस्ट में एक्सेलरेशन लगभग 97 मीटर प्रति सेकंड² थी, जो लगभग 9.9g फोर्स के बराबर है। इतनी उच्च फोर्स इंसान नहीं सह सकता; फाइटर पायलट्स भी केवल थोड़े समय के लिए 9g ट्रेनिंग लेते हैं।


इस उपलब्धि के पीछे सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रिक मैग्लेव टेक्नोलॉजी है। इसमें व्हीकल को मैग्नेट की मदद से ट्रैक से हवा में लिविटेट किया जाता है, जिससे ट्रैक और व्हीकल के बीच फ्रिक्शन लगभग खत्म हो जाता है और उच्च एक्सेलरेशन संभव हो पाती है। टेस्ट के दौरान CCTV फुटेज में व्हीकल एक ब्लर की तरह नजर आया।


व्हीकल में सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट्स का इस्तेमाल हुआ, जो अल्ट्रा हाई पावर पर काम करते हैं। लेविटेशन और प्रोपल्शन दोनों ही मैग्नेटिक फोर्स से नियंत्रित किए गए, जिससे किसी भी तरह का मैकेनिकल कॉन्टैक्ट नहीं रहा। एनयूडीटी के प्रोफेसर ली जिए के अनुसार, यह उपलब्धि अल्ट्रा हाई स्पीड मैग्लेव और स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए नए रास्ते खोलेगी।


भविष्य में वैक्यूम ट्यूब मैग्लेव सिस्टम में 1,000 kmph से भी अधिक स्पीड हासिल करना संभव होगा। यह तकनीक एयरोस्पेस और स्पेस सेक्टर में भी उपयोगी साबित हो सकती है, जैसे कि रॉकेट लॉन्च असिस्ट और हाई स्पीड टेस्टिंग में।


इस रिकॉर्ड को लेकर चीन की स्टेट मीडिया CGTN और CCTV के साथ-साथ South China Morning Post, Global Times और Interesting Engineering ने भी रिपोर्ट किया है। हालांकि यह अभी कॉमर्शियल पैसेंजर ट्रेन नहीं है, लेकिन उच्च गति वाले ट्रांसपोर्ट सिस्टम के क्षेत्र में यह एक बड़ा ब्रेकथ्रू माना जा रहा है। चीन इस हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट रेस में एक बार फिर आगे नजर आ रहा है।