1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Nov 2025 12:17:15 PM IST
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Darbhanga AIIMS : बिहार का दूसरा एम्स अब धीरे-धीरे अपने वास्तविक स्वरूप में दिखने लगा है। करीब दस वर्षों तक जमीन चयन और अन्य प्रक्रियाओं में फंसा यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अब गति पकड़ चुका है। दरभंगा एम्स की चाहरदिवारी और मुख्य गेट का निर्माण तेजी से चल रहा है। इससे लोगों में उम्मीद जगी है कि उत्तर बिहार को जल्द ही एक विश्वस्तरीय स्वास्थ्य संस्थान की सुविधा मिल जाएगी।
दरभंगा एम्स के निदेशक माधवानंद काग ने बताया कि निर्माण कार्य शुरू होना पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत है। उनके अनुसार, एम्स का निर्माण अगले तीन वर्षों में पूरा हो जाना चाहिए और 2028 के अंत तक पूरा भवन तैयार होगा। उन्होंने कहा कि अब तक भूमि से जुड़े विवाद और मौसम की चुनौतियों के कारण देरी हुई, लेकिन इन सबके बावजूद कार्य जारी रहा।
निदेशक काग के अनुसार, जमीन मिलने में ही काफी समय लग गया। जैसे ही जमीन हस्तांतरित हुई, बारिश का मौसम शुरू हो गया और फिर बिहार चुनाव के कारण प्रशासन पूरी तरह व्यस्त रहा। बावजूद इसके, एम्स की टीम और निर्माण एजेंसियों ने कार्य को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह एम्स देश के अन्य एम्स से थोड़ा अलग बनाया जा रहा है। दिल्ली IIT, रुड़की IIT और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर ने मिलकर इसका डिजाइन तैयार किया है। यहां की बाउंड्री भी विशेष रूप से बनाई जा रही है, जो बांध की तरह कार्य करेगी ताकि बारिश और बाढ़ की समस्याओं का समाधान हो सके।
दरभंगा एम्स का टेंडर दो भागों में हुआ है—एक तरफ बाउंड्री निर्माण और दूसरी तरफ भवन निर्माण। निदेशक काग के अनुसार, लैंड फिलिंग के कारण निर्माण कार्य में कोई बाधा नहीं आएगी। बाउंड्री निर्माण के साथ-साथ भवन निर्माण भी समानांतर रूप से चलता रहेगा।
निदेशक काग ने बताया कि राज्य और जिला प्रशासन से लगातार संवाद हो रहा है। प्रशासन को कई आवश्यक कार्य करने हैं—हाईटेंशन तार हटाना, एप्रोच रोड बनाना, पानी की सप्लाई की व्यवस्था करना और लैंड फिलिंग का काम पूरा करना। ये सभी कार्य बड़े पैमाने पर हैं और इसमें समय व भारी बजट की जरूरत है। पावरग्रिड का निर्माण भी इसमें एक अहम हिस्सा है। उन्होंने बताया कि एम्स का डीपीआर कोविड काल से पहले बना था, इसलिए बजट में भी संशोधन की आवश्यकता है। संसद के अगले सत्र में इस पर समीक्षा संभावित है।
मेडिकल छात्रों की पढ़ाई को लेकर भी बड़ी चुनौती है। निदेशक काग ने कहा कि एम्स में पढ़ाई तभी शुरू हो सकती है जब भवन का कम से कम एक-तिहाई हिस्सा बन जाए। मदुरै एम्स का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भवन तैयार न होने पर छात्रों को दूसरे संस्थान में पढ़ाई करनी होती है, जिससे असंतोष उत्पन्न होता है। इसलिए कोशिश है कि दरभंगा एम्स कैंपस में जल्द से जल्द कक्षाएं शुरू हो सकें। 2027 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज के साथ मिलकर कक्षाओं के संचालन पर विचार किया जाएगा।
निदेशक काग ने दावा किया कि दरभंगा एम्स तकनीक और संरचना के मामले में देश का सबसे आधुनिक एम्स होगा। यहां जटिल रोगों पर शोध किया जाएगा और उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने बताया कि यह एम्स कई मायनों में पटना एम्स से भी अधिक महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यहां न सिर्फ उत्तर बिहार बल्कि नेपाल और पूर्वोत्तर राज्यों के मरीज भी आएंगे।
दरभंगा एम्स में प्रतिदिन 10 हजार मरीजों के इलाज की क्षमता होगी। यदि इनके साथ आने वाले दो लोगों को भी जोड़ा जाए, तो रोजाना लगभग 30 हजार लोगों की आवाजाही होगी। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाएं सुधरेंगी, बल्कि रोजगार, व्यापार और निवेश के नए अवसर भी पैदा होंगे। आसपास के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और यह इलाका पूरी तरह से बदल जाएगा। दरभंगा एम्स को लेकर लोगों में लंबे समय से उम्मीदें थीं। अब जब निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, तो उत्तर बिहार के लोगों को एक बड़े स्वास्थ्य केंद्र का सपना जल्द ही साकार होता दिखाई दे रहा है।