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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 24 May 2025 04:37:16 PM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार में सड़कों के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे और रामजानकी मार्ग के निर्माण को मंजूरी दे दी है। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 525.6 किलोमीटर है, जिसमें से 417 किलोमीटर बिहार राज्य में निर्मित होगा। इस सिक्स-लेन हाईवे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेंगे।
वहीं, परियोजना की अनुमानित लागत 27,522 करोड़ रुपये है, यानी प्रति किलोमीटर लागत लगभग 66 करोड़ रुपये पड़ेगी। यह बिहार का तीसरा स्वीकृत एक्सप्रेस-वे है, जो वाराणसी-कोलकाता और पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे के बाद मंजूरी प्राप्त कर रहा है। बता दें कि यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को जोड़ते हुए यात्री समय और यात्रा लागत में महत्वपूर्ण कमी लाएगा। बिहार में यह सड़क पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे आठ जिलों से होकर गुजरेगी, जिससे इन क्षेत्रों में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
परियोजना की मंजूरी पर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार जताया है। इसी के साथ केंद्र सरकार ने रामजानकी मार्ग के तहत मशरख से चकिया और फिर चकिया से भिट्ठा मोड़ तक की सड़क को फोरलेन बनाने की भी मंजूरी दी है। यह मार्ग उत्तर प्रदेश के छावनी से नेपाल सीमा स्थित भिट्ठा मोड़ तक जाएगा, जिसकी बिहार में लंबाई 251 किमी और उत्तर प्रदेश में 185.5 किमी है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 7,269 करोड़ रुपये है। इसकी डिज़ाइन स्पीड 100 किमी/घंटा रखी गई है, और इसमें 103 किमी हरित क्षेत्र तथा 42 किमी वर्तमान अलाइनमेंट पर सड़क निर्माण होगा। इसके तहत डुमरसन, केसरिया, चकिया-मधुबन, नया गांव शिवहर, बथनाहा-कुमहां और सुरसंड में बायपास बनाए जाएंगे।
इस सड़क परियोजना का एक विशेष पहलू यह है कि 21.6 किलोमीटर की दूरी तक गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे और रामजानकी मार्ग का अलाइनमेंट समानांतर चलेगा। इसके लिए 521.44 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसकी लागत 2,731 करोड़ रुपये होगी। इस संयुक्त परियोजना के तहत 7 बड़े पुल, 43 छोटे पुल, 6 वायाडक्ट्स, 6 आरओबी (रेल ओवर ब्रिज) और 28 वीयूपी (वाहन अंडर पास) का निर्माण प्रस्तावित है। यह परियोजनाएं न केवल बिहार की यातायात प्रणाली को आधुनिक बनाएंगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, पर्यटन, और कृषि-बाजार के लिए भी एक नई रफ्तार लेकर आएंगी। इसके साथ ही, यह बिहार को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ भी बेहतर रूप से जोड़ेगा।