Bihar News: बिहार में मोबाइल की फ्लैश लाइट में परीक्षा देते दिखे परीक्षार्थी, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल Bihar News: बिहार में मोबाइल की फ्लैश लाइट में परीक्षा देते दिखे परीक्षार्थी, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल health tips : तनाव से मुक्त होकर पाना चाहते हैं बेहतर नींद तो सुबह सुबह उठकर करें ये काम ... Bihar police transfer court stay: बिहार में 19858 सिपाहियों को राहत! हाईकोर्ट ने रोका तबादला आदेश Swamy In Patna: "पाकिस्तान की और पिटाई करनी थी मगर नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के डर से युद्धविराम कर दिया", सुब्रमण्यम स्वामी का PM पर तीखा हमला Bihar News: रंगदारी और मारपीट के आरोप मामले में थानाध्यक्ष निलंबित, एसडीपीओ की जांच रिपोर्ट के आधार हुई कार्रवाई Bihar Police: बिहार में अब थानाध्यक्ष नहीं बन सकेंगे ऐसे पुलिस अफसर, मुख्यालय ने जारी किया नया फरमान Bihar News: इस जिले में बनेगा शानदार फोरलेन, 17 KM लंबे रिंग रोड का भी होगा निर्माण Bihar News: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में एक और बाघिन की मौत, पिछले कुछ वर्षों में हुआ इतने बाघों का नुकसान Bihar corruption news:यहाँ कोई झुग्गी नही ... फिर भी पास हो गए 49 करोड़! फर्जीवाड़े का खुलासा ,निगरानी में केस दर्ज
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 22 May 2025 08:29:35 AM IST
कोर्ट ने जारी किया स्थायी वारंट - फ़ोटो Google
Bihar News: पटना सिविल कोर्ट के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश-2 ने बुधवार को आयकर विभाग पटना के पूर्व इंस्पेक्टर अरुण कुमार दत्ता को 32 वर्ष पुराने एक आपराधिक मामले में भगोड़ा घोषित कर दिया। साथ ही, उनके खिलाफ स्थायी रूप से लाल वारंट भी जारी कर दिया गया है। आरोपित अरुण कुमार दत्ता पटना के जक्कनपुर थाना क्षेत्र के मीठापुर इलाके के निवासी थे।
मालूम हो कि यह मामला वर्ष 1993 का है, जब जक्कनपुर थाने के तत्कालीन थानेदार बीके गोप ने खुद को सूचक बनाते हुए कांड संख्या 61/93 के तहत अरुण कुमार दत्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध चार्जशीट कोर्ट में दायर की थी। अदालत ने उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए समन, वारंट और यहां तक कि एसएसपी को पत्र भी भेजा था, लेकिन आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
कोर्ट ने आयकर विभाग, पटना को पत्र भेजकर आरोपी की जानकारी मांगी थी। जवाब में विभाग ने बताया कि अरुण कुमार दत्ता वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनका स्थायी पता उपलब्ध नहीं है। इधर, इस मामले के सूचक तत्कालीन थानेदार बीके गोप भी कोर्ट में पेश नहीं हुए। सभी प्रयासों के विफल रहने पर कोर्ट ने आरोपी को भगोड़ा घोषित करते हुए मामले का निष्पादन कर दिया। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और कानूनी प्रक्रिया के विफल क्रियान्वयन का गंभीर उदाहरण है, जहां तीन दशकों में भी एक आरोपी को न्याय के कटघरे में लाया नहीं जा सका।