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BIHAR ELECTION : जेडीयू की नई रणनीति: टिकट बंटवारे से पहले विधायकों की जमीनी ताकत परखेगी पार्टी

BIHAR ELECTION : । विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने अपनी तैयारियों को गति दे दी है। इस बार पार्टी एक नई रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतरने की योजना बना रही है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 21 Sep 2025 10:21:27 AM IST

जेडीयू टिकट बंटवारे से पहले विधायकों का मूल्यांकन

जेडीयू टिकट बंटवारे से पहले विधायकों का मूल्यांकन - फ़ोटो FILE PHOTO

BIHAR ELECTION : बिहार की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने अपनी तैयारियों को गति दे दी है। इस बार पार्टी एक नई रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतरने की योजना बना रही है। खास बात यह है कि जेडीयू अपने मौजूदा विधायकों के कार्यों का जमीनी स्तर पर मूल्यांकन कराने जा रही है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि जो विधायक लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं, उनका टिकट कट सकता है। वहीं, कई नए चेहरों को भी मौका देने की तैयारी है।


पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि इस बार किसी भी विधायक या उम्मीदवार को सिर्फ पार्टी वफादारी या राजनीतिक समीकरणों के आधार पर टिकट नहीं मिलेगा। जेडीयू ने तय किया है कि प्रत्येक विधायक की जनता के बीच छवि, कामकाज और लोकप्रियता को परखा जाएगा। इसके लिए पार्टी स्तर पर सर्वे कराने की योजना तैयार हो रही है। यह सर्वे यह तय करेगा कि किस विधायक की लोकप्रियता बनी हुई है और किसकी स्थिति कमजोर हो गई है। सूत्रों के अनुसार, विधायकों के कामकाज की रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व तक पहुंचाई जाएगी। यदि रिपोर्ट संतोषजनक नहीं रही, तो उस सीट पर नए उम्मीदवार की तलाश की जाएगी। यह कदम पार्टी के लिए बेहद अहम है, क्योंकि हाल के वर्षों में जेडीयू को विधानसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली।



पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से केवल 43 उम्मीदवार ही जीत दर्ज कर पाए। शेष सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हालांकि बाद में बसपा के जमा खान और लोजपा के राजकुमार सिंह जेडीयू में शामिल हो गए, जिससे विधायकों की संख्या 45 हो गई। इसके बावजूद पार्टी को वर्ष 2015 की तुलना में 28 सीटों और लगभग डेढ़ प्रतिशत वोटों का नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी नेतृत्व मानता है कि पिछली बार टिकट बंटवारे में गंभीर चूक हुई थी। उस समय पार्टी के एक बड़े और प्रभावशाली नेता की वजह से कई ऐसे उम्मीदवारों को टिकट मिल गया, जिनकी जनता के बीच पकड़ कमजोर थी। नतीजा यह हुआ कि जेडीयू को चुनावी नुकसान झेलना पड़ा।



इस बार पार्टी ने साफ कर दिया है कि टिकट वितरण की प्रक्रिया बेहद पारदर्शी और सख्त होगी। हर उम्मीदवार की पृष्ठभूमि, कामकाज और जनाधार की गहन जांच की जाएगी। पिछले चुनाव में जिन उम्मीदवारों ने हार का सामना किया था, उनके दावों की भी गहराई से पड़ताल होगी। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि अब ऐसे लोगों को मौका देना जरूरी है, जो वास्तव में जनता से जुड़े हों और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकें। जेडीयू की योजना है कि युवा और नए चेहरों को भी मैदान में उतारा जाए। इसके पीछे पार्टी का मकसद यह संदेश देना है कि वह बदलाव और नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना चाहती है।



पार्टी सिर्फ मौजूदा विधायकों पर ही नहीं, बल्कि संभावित उम्मीदवारों पर भी नजर बनाए हुए है। कई क्षेत्रों में ऐसे नए चेहरे सामने आए हैं जो स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय हैं और समाज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इन लोगों को भी पार्टी स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजारेगी। जो भी उम्मीदवार जनता की अपेक्षाओं और संगठन के मानकों पर खरे उतरेंगे, उन्हें टिकट का मौका मिलेगा। जेडीयू नेतृत्व मानता है कि पिछली बार उम्मीदवार चयन में जल्दबाजी और गलत फैसले हुए थे। कुछ नेताओं के दबाव में ऐसे लोगों को टिकट दे दिया गया, जिनका जनता से सीधा जुड़ाव नहीं था। पार्टी ने तय किया है कि इस बार ऐसी गलती नहीं दोहराई जाएगी। बिना स्क्रीनिंग और समीक्षा के कोई भी उम्मीदवार टिकट नहीं पाएगा।



जेडीयू की इस पहल का सीधा संदेश यह है कि पार्टी अब अपनी छवि और प्रदर्शन को सुधारना चाहती है। जनता को यह दिखाना जरूरी है कि पार्टी सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं कर रही, बल्कि वास्तव में विकास और जनहित के मुद्दों को लेकर गंभीर है। पार्टी के भीतर इस रणनीति से उन विधायकों में बेचैनी है, जिन्होंने पिछले पांच सालों में संगठन और जनता से दूरी बना ली थी। वहीं, मेहनत करने वाले और जनता के बीच सक्रिय विधायकों में उत्साह है।



बिहार की राजनीति में टिकट वितरण हमेशा से एक संवेदनशील और निर्णायक पहलू रहा है। जेडीयू का यह कदम जहां संगठन को मजबूत कर सकता है, वहीं असंतोष भी बढ़ा सकता है। लेकिन पार्टी मानती है कि यदि सही और लोकप्रिय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया तो चुनावी नतीजों में सुधार संभव है। आगामी चुनाव में जेडीयू की असली परीक्षा यही होगी कि वह अपने विधायकों और संभावित उम्मीदवारों की सही स्क्रीनिंग कर पाती है या नहीं। जो विधायक जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे, उनका पत्ता साफ होना तय है। इस बार पार्टी की प्राथमिकता साफ है—जनता के भरोसे और मेहनती उम्मीदवारों के सहारे चुनावी मैदान में उतरना।