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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 30 Jul 2025 10:43:50 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: क्या आप इस बार मानसून में कोई खास ट्रिप प्लान कर रहे हैं? तो बिहार के कैमूर जिले की वादियों में घूमने का अनुभव जरूर लें। एक बार यहां आ जाएंगे तो महाराष्ट्र के खंडाला और लोनावाला जैसे फेमस डेस्टिनेशन भी फीके लगने लगेंगे। कैमूर का नैसर्गिक सौंदर्य, पहाड़ों की घाटियां, हरियाली, झीलें, जलप्रपात, ऐतिहासिक किले और सेल्फी प्वाइंट्स इसे मानसून में घूमने के लिए उत्तर भारत का एक आदर्श स्थल बनाते हैं।
कैमूर की विशेषता सिर्फ इसके प्राकृतिक सौंदर्य में ही नहीं, बल्कि यहां की जैव विविधता, मगरमच्छ संरक्षण क्षेत्र, और इको टूरिज्म के प्रयासों में भी दिखाई देती है। यहां के जंगलों में पक्षियों की चहचहाहट, दुर्लभ वन्य जीवों की उपस्थिति और पहाड़ों के बीच से गिरते झरने पर्यटकों को एक अनोखा रोमांच देते हैं। आइए, जानते हैं यहां की प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में
तेल्हाड़ कुंड जलप्रपात
प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है। कैमूर हिल्स और घने जंगलों के बीच स्थित यह झरना करीब 80 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। झरने के चारों ओर हरे-भरे पेड़, ठंडी हवा और शांत वातावरण ट्रैकिंग और पिकनिक के लिए एकदम उपयुक्त है। यह जलप्रपात दुर्गावती नदी के उद्गम स्थल से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए भभुआ रोड रेलवे स्टेशन से भभुआ शहर होकर भगवानपुर के रास्ते जाना पड़ता है, कुल दूरी लगभग 55 किलोमीटर है।
दुर्गावती जलाशय (करमचट डैम)
करमचट डैम यानी दुर्गावती जलाशय पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। यहां कलकल बहती नदी, हरे-भरे पेड़, पक्षियों की चहचहाहट और शांत वातावरण यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस जलाशय में मछलियों और कछुओं को नजदीक से देखने का मौका मिलता है। यहां नौका विहार, जंगल सफारी, और कैम्पिंग की भी सुविधा है। यह स्थल भभुआ से लगभग 30 किलोमीटर दूर है और कुदरा या चेनारी के रास्ते यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
करकटगढ़ जलप्रपात और इको पार्क
यह जलप्रपात खासतौर पर सेल्फी और एडवेंचर लवर्स के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसे मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व के तौर पर विकसित किया गया है। साथ ही, पास में स्थित इको पार्क पर्यटकों को और भी आकर्षित करता है। यहां मखमली घास वाला लॉन, लकड़ी का सस्पेंशन ब्रिज, झूला पुल, छोटे तालाब और शानदार हरियाली बच्चों और परिवार के लिए आदर्श है। यहां ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध है। यह जलप्रपात भभुआ रोड रेलवे स्टेशन से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
जगदहवां डैम: जहां पानी पीते ही लगती है भूख
कैमूर पहाड़ियों की गोद में स्थित यह डैम खास तौर पर युवाओं में लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्थानीय लोगों के अनुसार यहां का पानी जड़ी-बूटियों से युक्त है, जो पाचन क्रिया को तेज करता है और भूख बढ़ाता है। भभुआ शहर से भगवानपुर या चैनपुर होकर यहां पहुंचा जा सकता है। दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। हालांकि, यहां ठहरने की व्यवस्था फिलहाल नहीं है, इसलिए केवल दिन में घूमने की योजना बनाएं।
शेरगढ़ किला, धुआं कुंड और मांझर कुंड: कैमूर के बाद रोहतास भी देखें
कैमूर से सटा हुआ रोहतास जिला भी ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों से भरपूर है। यहां स्थित शेरगढ़ किला 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है और 6 वर्गमील क्षेत्र में फैला है। इसके सामने से बहती दुर्गावती नदी का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। साथ ही, सासाराम से 15 किलोमीटर दूर स्थित धुआं कुंड और 5 किलोमीटर की दूरी पर मांझर कुंड मानसून में पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। मांझर कुंड में तो ऐसा दृश्य होता है जैसे कोई स्थानीय मेला या उत्सव चल रहा हो।
घूमने का सही समय- जुलाई से सितंबर (मानसून का मौसम)
ले जाने योग्य सामान- ट्रैकिंग शूज, रेनकोट, पानी की बोतल, प्राथमिक चिकित्सा किट
सुरक्षा- ट्रैकिंग या जंगल में घूमने के लिए स्थानीय गाइड लें, वन्य जीवों से दूरी बनाए रखें
आवास- करकटगढ़ में सीमित ठहरने की सुविधा है, बाकी स्थानों पर दिन में यात्रा उपयुक्त है
कैमूर और रोहतास जैसे कम चर्चित लेकिन बेहद खूबसूरत जिलों में प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। मानसून के मौसम में जब यह इलाका हरियाली से भर जाता है, तो झरनों की आवाज़, पक्षियों की धुन और पहाड़ों की शांति एक अनोखा अनुभव देती है। अगर आप भीड़-भाड़ से दूर, प्रकृति की गोद में कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो इस बार अपनी यात्रा की डायरी में कैमूर ज़रूर जोड़िए।