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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 04 Oct 2025 10:05:50 AM IST
जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया - फ़ोटो FILE PHOTO
Bihar Bhumi : राज्य सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को और सख्त बना दिया है। अब संरचना (बिल्डिंग या निर्माण) वाली जमीन की रजिस्ट्री तभी होगी, जब संबंधित दस्तावेज की जांच स्वयं जिला अवर निबंधक या अवर निबंधक करेंगे। इस संबंध में मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की ओर से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
विभाग के निबंधन महानिरीक्षक अंशुल अग्रवाल ने सभी जिला अवर निबंधक और अवर निबंधकों को पत्र जारी करते हुए कहा है कि व्यावसायिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों, आयोजना क्षेत्र (Planning Area) में शामिल मौजों, शहरी एवं पेरिफेरल इलाकों में स्थित जमीन की रजिस्ट्री केवल स्थल निरीक्षण (Site Inspection) के बाद ही की जाएगी। यानी अब बिना भौतिक जांच के संरचना वाली जमीन की रजिस्ट्री नहीं होगी।
दरअसल, चालू वित्तीय वर्ष में निबंधन विभाग को अपेक्षित राजस्व प्राप्त नहीं हो सका है। विभाग ने इस वर्ष ₹9130 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया था, लेकिन 13 सितंबर तक केवल ₹3386 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है। यह तय लक्ष्य से करीब 26 प्रतिशत कम है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 15 प्रतिशत कम दस्तावेजों का निबंधन हुआ है, जिससे राजस्व संग्रह में ₹340 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई है।
महानिरीक्षक ने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है। इसलिए विभाग ने निबंधन की प्रक्रिया को और पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए यह नया आदेश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब संरचना वाले दस्तावेज की जांच की जिम्मेदारी सीधे निबंधक अधिकारियों की होगी।
नए दिशा-निर्देशों के तहत संरचना (बिल्डिंग) वाले दस्तावेज की जांच स्वयं जिला अवर निबंधक या अवर निबंधक करेंगे। व्यावसायिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों और आयोजना क्षेत्रों में आने वाली संपत्तियों की रजिस्ट्री से पहले स्थल निरीक्षण अनिवार्य होगा। रजिस्ट्री से पहले दस्तावेज में वर्णित संपत्ति के वर्गीकरण (Classification) की सटीकता सुनिश्चित की जाएगी। पिछले वर्ष की तुलना में उच्च श्रेणी के दस्तावेजों में वृद्धि के लिए गहन जांच की जाएगी।
विभाग का मानना है कि कई बार रजिस्ट्री के दौरान गलत वर्गीकरण या बिना भौतिक सत्यापन के निबंधन होने से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व हानि होती है। विशेष रूप से शहरी और पेरिफेरल इलाकों में व्यावसायिक उपयोग की जमीन को आवासीय बताकर कम शुल्क पर रजिस्ट्री कराने के मामले सामने आते रहे हैं। इस नई व्यवस्था से न केवल ऐसे मामलों पर रोक लगेगी, बल्कि विभाग को राजस्व लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही, रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
राज्य सरकार का यह कदम न केवल भूमि रजिस्ट्री प्रणाली को अधिक व्यवस्थित और विश्वसनीय बनाएगा, बल्कि फर्जीवाड़े और गलत वर्गीकरण पर भी अंकुश लगाएगा। विभागीय अधिकारियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि हर संरचना वाली संपत्ति का निबंधन पूरी जांच और स्थल निरीक्षण के बाद ही किया जाए। इससे सरकारी राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ रियल एस्टेट क्षेत्र में अनुशासन भी स्थापित होगा।