संवेदक द्वारा पुलिस को दिए गए लिखित आवेदन में कहा गया है कि कार्य प्रारंभ होने के समय से ही लगातार दबाव बनाया जा रहा था। विधायक और उनके प्रतिनिधि बार-बार साइट पर पहुंचकर रंगदारी की मांग करते रहे। जब संवेदक ने अवैध मांग मानने से इनकार किया तो कार्य रुकवाने, विभागीय अधिकारियों को गुमराह करने और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। आवेदन में यह भी उल्लेख है कि उन्हें और उनके कर्मचारियों को जान से मारने तक की धमकी दी गई, जिससे वे और उनके मजदूर दहशत में हैं।
संवेदक का कहना है कि तमाम दबाव और धमकियों के बावजूद उन्होंने विभागीय दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए स्थानीय प्रशासन और अभियंताओं की निगरानी में कार्य को जारी रखा। उन्होंने दावा किया कि निर्माण कार्य में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई और गुणवत्ता के साथ काम किया जा रहा है। इसी बीच विधायक प्रो. चंद्रशेखर द्वारा निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए गए, जिसके बाद ग्रामीण विकास मंत्री सह मधेपुरा के प्रभारी मंत्री के निर्देश पर जिला स्तरीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति की बैठक में मामले की जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया।
जांच टीम द्वारा किए गए निरीक्षण और जांच के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, उसमें निर्माण कार्य की गुणवत्ता को संतोषजनक बताया गया। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि कार्य विभागीय मानकों के अनुरूप किया जा रहा है। इसके बावजूद संवेदक का आरोप है कि विधायक और उनके समर्थकों द्वारा उत्पीड़न बंद नहीं हुआ, जिससे मजबूर होकर उन्हें पुलिस की शरण लेनी पड़ी। संवेदक ने आवेदन में अपने और अपने कर्मचारियों की सुरक्षा की भी मांग की है।
वहीं इस पूरे मामले पर राजद विधायक प्रो. चंद्रशेखर ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह सब उनके खिलाफ रची गई एक राजनीतिक साजिश है। विधायक का कहना है कि वे क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होने देंगे और इसी वजह से संवेदक और कुछ अधिकारी उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करवा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि इस तरह के मुकदमों से वे डरने वाले नहीं हैं।
प्रो. चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि जिस नाला निर्माण कार्य को लेकर विवाद खड़ा हुआ है, उसमें गंभीर खामियां हैं। जब तक निर्माण कार्य सही ढंग से और मानक के अनुसार पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने दावा किया कि वे जनता के हित में आवाज उठा रहे हैं और इसी कारण उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
मामले को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। सदर थाना क्षेत्र के एएसपी प्रवेन्द्र भारती ने बताया कि संवेदक के आवेदन के आधार पर विधायक और अन्य नामजद आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है और सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी। जांच के दौरान दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जाएंगे और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल इस मामले ने जिले की सियासत और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। एक ओर संवेदक खुद को दबाव और धमकी का शिकार बता रहा है, वहीं दूसरी ओर विधायक इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दे रहे हैं। अब सबकी नजर पुलिस जांच पर टिकी है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि आरोपों में कितनी सच्चाई है और जिम्मेदार कौन है।