पप्पू यादव ने पीएम मोदी पर बोला हमला, कहा..घुसपैठियों की लिस्ट जारी करें प्रधानमंत्री बिहार विधानसभा चुनाव 2025: इस दिन जारी होगी जन सुराज पार्टी के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, प्रशांत किशोर करेंगे नाम की घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव 2025: इस दिन जारी होगी जन सुराज पार्टी के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, प्रशांत किशोर करेंगे नाम की घोषणा Bihar Election 2025: बिहार चुनाव को लेकर एक्टिव मोड में अरवल जिला प्रशासन, डीएम-एसपी ने लिया तैयारियों का जायजा Bihar Politics: ‘महागठबंधन में सबकुछ तय, जल्द होगी सीटों की घोषणा’ सीट शेयरिंग पर मुकेश सहनी का बड़ा दावा Bihar Politics: ‘महागठबंधन में सबकुछ तय, जल्द होगी सीटों की घोषणा’ सीट शेयरिंग पर मुकेश सहनी का बड़ा दावा BIHAR NEWS : बस की छत पर सवार दो यात्री करंट से झुलसे, हालत गंभीर कैमूर में भीषण जाम से लोग परेशान: मोहनिया से टोल प्लाजा तक NH-19 पर घंटों फंसे वाहन चालक Bihar Crime News: बिहार में नाबालिग लड़के ने चाकू मारकर की लड़की की हत्या, एकतरफा प्यार में वारदात को दिया अंजाम Bihar Crime News: बिहार में नाबालिग लड़के ने चाकू मारकर की लड़की की हत्या, एकतरफा प्यार में वारदात को दिया अंजाम
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 07 Mar 2025 06:58:52 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो google
Health News: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय की भारी कमी होती जा रही है। ऐसे में बढ़ते होटल और रेस्तरां में खाने की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। खासतौर पर युवाओं को तब तक संतुष्टि नहीं मिलती जब तक वे बाहर का भोजन न कर लें।
इसी कारण पैकेटबंद खाद्य पदार्थों का उपयोग अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है।
हाल ही में यूनिसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट में भारत समेत 97 देशों में किए गए अध्ययन के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में पैकेटबंद खाद्य पदार्थों के सेवन में 11% की वृद्धि हुई है। इसका असर न केवल लोगों के बजट पर पड़ा है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। बीते कुछ वर्षों में बड़े ब्रांडों के रेस्तरां और फूड आउटलेट्स के खुलने के बाद ये जगहें लोगों के लिए मनोरंजन और आराम करने के केंद्र बन गए हैं। इसी के चलते बच्चों में मोटापा और महिलाओं में खून की कमी जैसी समस्याएं अधिक पाई गई हैं, क्योंकि ये दोनों वर्ग तुलनात्मक रूप से इनका अधिक सेवन करते हैं। जिन राज्यों में ज्यादा फूड आउटलेट्स खोले गए हैं, वहां यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
पैक्ड फूड खाने की बढ़ती लत
नेचर फूड पत्रिका के विश्लेषण के अनुसार, सुपरमार्केट से तरल और तले-भुने खाद्य पदार्थ, जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, कुरकुरे आदि की खपत भारत, बांग्लादेश, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों में 11% तक बढ़ी है।
खाद्य पदार्थों के व्यापार से जुड़ी एक एजेंसी यूरोमॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत 2010 में 2 किलोग्राम थी, जो 2019 में बढ़कर 6 किलोग्राम हो गई और 2024 में यह 8 किलोग्राम तक पहुंच गई है।
हेल्थ पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, भारत में पैकेटबंद और जंक फूड के बढ़ते उपयोग के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग तेजी से फैल रहे हैं। इसी खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड पर अधिक कर (टैक्स) लगाने की सिफारिश की है।
पैकेटबंद खाद्य पदार्थों का बढ़ता उपयोग स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। यह न केवल मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों को बढ़ावा देता है, बल्कि पोषण की कमी और आर्थिक बोझ भी बढ़ाता है। ऐसे में स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए संतुलित आहार, ताजे और घर के बने भोजन को प्राथमिकता देना आवश्यक है।