1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 29 Nov 2025 08:15:12 AM IST
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Patna Police :' दानापुर के पूर्व विधायक और राजद नेता रीतलाल यादव एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गए हैं। पटना पुलिस की विस्तृत जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रीतलाल अपने क्षेत्र में संगठित आपराधिक गिरोह का संचालन करते हैं और इसी अवैध गतिविधि के माध्यम से उन्होंने करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की है। पुलिस ने यह रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दी है और अब ईडी उनकी अवैध संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, रीतलाल और उनके गिरोह के अन्य सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर की जा चुकी है। जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए, वे चौंकाने वाले हैं। पुलिस ने पाया कि पूर्व विधायक ने कई सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है और उन पर निर्माण कार्य भी करवा दिया है।
सरकारी जमीन पर कब्जे का खुलासा
खगौल थाना में संगठित आपराधिक गिरोह चलाने का केस दर्ज होने के बाद एसआईटी और खगौल पुलिस ने पूर्व विधायक और उनके परिजनों की संपत्तियों की जांच शुरू की। जब अंचलाधिकारी कार्यालय से भूमि संबंधी दस्तावेजों को खंगाला गया, तब खुलासा हुआ कि दानापुर क्षेत्र में कई कीमती जमीन और फ्लैट रीतलाल, उनके रिश्तेदारों और गिरोह के सदस्यों के नाम पर हैं।
रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि अवैध कमाई का इस्तेमाल कर रीतलाल युवाओं को गुमराह करते हैं और उनसे अपराध करवाते हैं। पुलिस के अनुसार, उनके गिरोह के अधिकांश सदस्य पहले से ही कई मामलों में आरोपित हैं।
76 डिसमिल सरकारी जमीन पर बनाई 16 दुकानें
पुलिस जांच में सामने आया कि मुस्तफापुर मौजा स्थित सूर्य विहार अपार्टमेंट और देवलोक मंदिर के बीच 76 डिसमिल सरकारी जमीन पर रीतलाल ने दबंगई दिखाते हुए 16 दुकानों का निर्माण करा दिया था। इन दुकानों का किराया हर महीने उनके गिरोह के सदस्य सिंटू और सन्नी उर्फ रोहित वसूलते थे। प्रशासन को सूचित करने के बाद 15 मई 2025 को अंचलाधिकारी ने इस भूमि को कब्जा मुक्त कराया।
रंगदारी केस से शुरू हुआ खुलासा
बिल्डर कुमार गौरव से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के मामले में रीतलाल यादव, उनके भाई पिंकू और अन्य सहयोगी जेल में बंद हैं। यह मामला 10 अप्रैल 2025 को खगौल थाने में दर्ज हुआ था। इसी मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि पूर्व विधायक संगठित गिरोह का संचालन करते हैं। इसी आधार पर पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर एक और केस दर्ज किया गया।
सिंडिकेट का मुख्य काम: जमीन कब्जा और रंगदारी वसूली
पुलिस की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि रीतलाल यादव दानापुर विधानसभा क्षेत्र में जमीन मालिकों और बिल्डरों से रंगदारी मांगते हैं। धमकी, डर और हिंसा का सहारा लेकर उनकी गैंग वसूली करती है। इस सिंडिकेट में टिंकू, विनोद, श्रवण, चिकू, मंटू, सुनील, सन्नी और कई अन्य अज्ञात लोग शामिल हैं।
3 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा, ग्रामीणों में दहशत
जांच में यह भी सामने आया कि कोथवां मौजा में रीतलाल के गुर्गों ने तीन एकड़ गैर-मजरुआ सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया और लगभग 4000 वर्गफीट क्षेत्र को चहारदीवारी से घेर दिया है। स्थानीय लोगों में इस जमीन को लेकर काफी आक्रोश है, लेकिन रीतलाल के प्रभाव और खौफ की वजह से कोई खुलकर शिकायत दर्ज नहीं करा पा रहा है। इसी गांव में रीतलाल ने अपने पिता के नाम पर ‘रामाशीष चौक’ भी बनवाया है, जो पुलिस के मुताबिक गैर-मजरुआ आम जमीन पर अवैध तरीके से बनाया गया है।
ईडी की एंट्री से बढ़ी मुश्किलें
पुलिस रिपोर्ट ईडी को भेजे जाने के बाद अब मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध संपत्ति की जांच भी तेज होने वाली है। पूर्व विधायक के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है। पुलिस ने कई सबूतों के साथ दावा किया है कि अवैध धंधे के जरिए अर्जित धन को जमीन और निर्माण कार्यों में लगाकर उसे सफेद किया गया।
अब ईडी की कार्रवाई से यह साफ हो जाएगा कि रीतलाल यादव और उनका गिरोह कितने बड़े स्तर पर अवैध रूप से संपत्ति अर्जित कर रहे थे। बिहार की राजनीति में इस केस ने हलचल मचा दी है और आगे की जांच पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।