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Sonpur Fair: एशिया के सबसे बड़े मेले का आज होगा उद्घाटन, थियेटर से लेकर नए ब्रीड के पशु-पक्षियों को लेकर रहा है खूब चर्चित; जानिए इस बार क्या है ख़ास

Sonpur Fair: भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और व्यापारिक विरासत का प्रतीक सोनपुर मेला का उद्घाटन आज किया जाएगा। यह मेला न केवल बिहार की बल्कि पूरे देश की पहचान और गौरव का प्रतीक माना जाता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Nov 2025 09:42:14 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Sonpur Fair: भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और व्यापारिक विरासत का प्रतीक सोनपुर मेला का उद्घाटन आज किया जाएगा। यह मेला न केवल बिहार की बल्कि पूरे देश की पहचान और गौरव का प्रतीक माना जाता है। आमजन का कहना है कि सोनपुर मेला सिर्फ़ एक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, अध्यात्म और लोक-परंपरा का जीवंत अनुभव है। हर साल इस मेले में लाखों श्रद्धालु, विदेशी पर्यटक और व्यापारी एकत्रित होते हैं, जिससे यह केवल पशु व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि स्पिरिचुअल टूरिज़्म, ट्रेडिशनल बिजनेस और लोक-संस्कृति का अद्भुत संगम बन जाता है।


इस बार मेला उद्घाटन सारण प्रमंडल के आयुक्त द्वारा किया जाएगा, जबकि आम जनता और विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उद्घाटन राज्यपाल या मुख्यमंत्री के हाथों होता, तो इसकी गरिमा और प्रतिष्ठा और बढ़ जाती। सोनपुर मेला गंगा और गंडकी के पावन संगम पर स्थित है, जिसे “मिनी महाकुंभ” भी कहा जाता है। यहां बाबा हरिहरनाथ का मंदिर है, जिसमें भगवान शिव और विष्णु दोनों का स्वरूप प्रतिष्ठित है। यही कारण है कि इसे हरिहर क्षेत्र कहा जाता है और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ आस्था का महा-संगम सजता है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोनपुर मेला की पवित्रता का आधार गजेंद्र मोक्ष की कथा है। राजा इंद्रद्युम्न के हाथी और गंधर्व मगरमच्छ के बीच हुई भयंकर संघर्ष की कथा आज भी कोनहारा घाट के नाम से याद की जाती है, जिसका अर्थ है “कौन हारा?”। इसी पवित्र भूमि पर दो भक्त भाई जय और विजय ने मिलकर हरिहरनाथ मंदिर की स्थापना की थी, जो आज भी अद्वैत भक्ति और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। लोक-मान्यताओं में यह भी वर्णित है कि भगवान श्रीराम जनकपुर की यात्रा के दौरान इसी स्थल पर आए और गंगा, गंडक संगम पर भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की।


सोनपुर मेला सदियों से दुनिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता रहा है, लेकिन अब इसकी पहचान केवल पशु व्यापार तक सीमित नहीं है। यह आध्यात्मिक पर्यटन, व्यापार, लोक-कला और अंतरराष्ट्रीय विरासत का संगम बन चुका है। प्रशासन ने मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। जिलाधिकारी अमन समीर और वरीय पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने मेला क्षेत्र का निरीक्षण कर सुरक्षा प्रबंधन, ट्रैफिक सिस्टम और पब्लिक सुविधाओं की समीक्षा की।


वहींं, बिहार विधानसभा चुनाव के तैयारियां,  जनसभाओं और रैलियों के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार सोनपुर मेले का उद्धघाटन समारोह में मौजूद नहीं रहेंगे। बता दें कि मेला परिसर में अस्थायी थाना, पुलिस पिकेट, कंट्रोल रूम, सीसीटीवी कैमरे, पार्किंग व्यवस्था, वन-वे यातायात, महिला सहायता केंद्र, सूचना केंद्र और लोक उद्घोषणा प्रणाली जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं। प्रशासन ने विशेष ध्यान यह रखा है कि श्रद्धालु और व्यापारी सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से मेला का आनंद ले सकें।


सोनपुर मेला केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और लोक-परंपरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाला आयोजन है। इसके माध्यम से बिहार की परंपरा, लोक-संस्कृति और आस्था पूरी दुनिया में चमकती है। आमजन का कहना है कि उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति इस मेले की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा करती है, क्योंकि सोनपुर मेला वैश्विक स्तर पर भारत की संस्कृति और व्यापारिक विरासत का प्रतीक है।


सोनपुर मेला इस बार भी अपनी रोचकता, रौनक और धार्मिक महत्त्व के साथ श्रद्धालुओं, पर्यटकों और व्यापारियों का स्वागत करेगा। यह मेला न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत की संस्कृति, अध्यात्म और लोक-परंपरा का अद्वितीय संगम है।