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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 03 Aug 2025 08:54:54 PM IST
कारण बताओ नोटिस जारी - फ़ोटो GOOGLE
DELHI: बिहार में अपराधी बेलगाम क्यों हैं, इसकी वजह सामने आने लगे हैं. बिहार के एक SP की कारगुजारी से आपको इसका अंदाजा लग जायेगा कि अपराधियों पर लगाम क्यों नहीं कसी जा रही है. बिहार में एक जिले की पुलिस की कमान संभालने वाले एसपी ने हत्या के एक मामले में कोर्ट से सजा पा चुके यानि अपराधी घोषित चुके व्यक्ति के पक्ष में कोर्ट में क्लीन चिट दे दिया. एसपी ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर सजायाफ्ता मुजरिम को क्लीन चिट दिया. सुप्रीम कोर्ट भी एसपी के कारनामे को देखकर हैरान रह गया है. कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए एसपी को तलब किया है.
समस्तीपुर के तत्कालीन एसपी का कारनामा
ये मामला बिहार के समस्तीपुर जिले का है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के समस्तीपुर जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (SP) अशोक मिश्रा, IPS के व्यवहार पर सख्त नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने अशोक मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. अशोक मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने हत्या के मामले में दोषी अपराधी माने गये व्यक्ति के पक्ष में हलफनामा दायर कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एस.वी.एन भट्टी की बेंच में इस मामले की सुनवाई हो रही है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, "यह गंभीर चिंता का विषय है कि जिस वरिष्ठ अधिकारी ने मामले की जांच कर चार्जशीट दायर कराया, वही अब आरोपियों को क्लीन चिट दे रहा है. राज्य सरकार ने मामले की जांच पड़ताल के बाद उनके खिलाफ चार्जशीट किया, फिर कोर्ट में ट्रायल हुआ और सजा दी गयी. लेकिन एसपी ने उन आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया."
पूरा मामला समझिये
दरअसल, यह मामला एक हत्या का है. समस्तीपुर में हुए इस हत्याकांड में पुलिस ने जांच पड़ताल कर इस मर्डर केस के आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर किया था. समस्तीपुर कोर्ट ने आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनायी थी. बाद में हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगा दिया था. इसके बाद पीड़िता (मृतक की पत्नी) ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें आरोपियों की सजा को निलंबित कर दिया गया था. आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302/34 (हत्या), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और शस्त्र अधिनियम की धारा 27(3) के तहत आरोप तय किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट हैरान
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को यह जानकर हैरानी हुई कि समस्तीपुर के तत्कालीन एसपी अशोक मिश्रा ने अदालत में counter affidavit दायर किया है, जो राज्य सरकार और पुलिस के स्टैंड के ठीक उलट था और आरोपियों के पक्ष में था.
कोर्ट के कड़ा रुख पर मिश्रा की सफाई:
सुप्रीम कोर्ट में मामला पकड़े जाने के बाद आईपीएस अधिकारी अशोक मिश्रा ने कोर्ट में अपनी सफाई भी दी थी. उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि यह एक मानवीय भूल थी और गलती से ऐसा एफिडेविट दायर हो गया था. अशोक मिश्रा ने कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि एसपी लेवल के अधिकारी की ओर दायर एफिडेविट में तीन संगीन धाराओं के आरोपी का पक्ष लेना कोई "अनजाने में हुई गलती" नहीं हो सकती.
कोर्ट ने कहा: "यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि यह सिर्फ मानवीय भूल है। या तो अधिकारी ने बिना पढ़े दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर दिए (जो घोर लापरवाही का मामला है), या फिर उन्होंने जानबूझकर आरोपी का पक्ष लिया (जो जानबूझकर की गई अनुचित कार्रवाई है). दोनों ही स्थितियाँ गंभीर हैं." कोर्ट ने आगे कहा: "सुप्रीम कोर्ट में इस तरह का गंभीर और लापरवाहीपूर्ण हलफनामा दायर करना वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की संवैधानिक जिम्मेदारी की अवहेलना है."
सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हों एसपी
सुप्रीम कोर्ट ने अशोक मिश्रा को आदेश दिया है कि वे19 अगस्त 2025को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हों और यह स्पष्ट करें कि क्यों न उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है- "हम अशोक मिश्रा, IPS को कारण बताओ नोटिस जारी करते हैं और उनसे यह स्पष्ट करने को कहते हैं कि इस अदालत को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए।"
बता दें कि समस्तीपुर के एसपी रह चुके आईपीएस अधिकारी अशोक मिश्रा फिलहाल पुलिस मुख्यालय में तैनात हैं. वे स्पेशल ब्रांच में एसपी पद पर बने हुए हैं. अशोक मिश्रा के एफिडेविट की चर्चा बिहार पुलिस मुख्यालय में भी हो रही है. वरीय पुलिस अधिकारी भी इस मामले को जानकर दंग हैं.