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नीतीश के चलते देश में होने जा रही जातिगत जनगणना: विजय चौधरी, प्रशांत किशोर बोले..सिर्फ जातीय गणना हो जाने मात्र से देश में सुधार नहीं होगा

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना रिपोर्ट में गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए रोजगार के लिए देने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक नहीं मिला।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 30 Apr 2025 07:12:24 PM IST

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जाति जनगणना कराएगी मोदी सरकार - फ़ोटो google

 Caste Census In India: मोदी कैबिनेट ने बुधवार को देश में जाति जनगणना कराने का अहम फैसला लिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका स्वागत किया है। इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है। इसे लेकर अब श्रेय लेने की होड़ मची है। श्रेय लेने वालों में लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, राहुल गांधी के बाद अब बिहार सरकार में मंत्री व जेडीयू नेता विजय चौधरी शामिल हो गये हैं। विजय चौधरी ने कहा कि देश में अब जातीय जनगणना होने जा रही है, इसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। 


इस पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी प्रकार की गणना जिससे समाज के बारे में बेहतर जानकारी हो इससे कोई दिक्कत नहीं है। सिर्फ गणना हो जाने मात्र से देश में सुधार नहीं होगा। गणना के नतीजों पर सरकार काम करेगी तब सुधार होगा। बिहार में जातीय जनगणना रिपोर्ट में गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए रोजगार के लिए देने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक नहीं मिला। सिर्फ किताब खरीद लेने से आप विद्वान नहीं बन जाएंगे, किताब को पढ़कर समझना भी पड़ेगा।


वही बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि जातीय जनगणना पूरे देश में कराए जाने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हम धन्यवाद देते हैं। यह स्वागत योग्य कदम है। नीतीश कुमार पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने इस मांग को बिहार से उठाया था। इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस और ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था। इंडिया ब्लॉक में नीतीश कुमार ने इसे मुद्दा बनाने की बात कही थी। कांग्रेस आज इसका श्रेय लेने की होड़ में लग गई है। राहुल गांधी की सोच का कुछ पता नहीं चलता है। 


विजय चौधरी ने कहा कि पहले विरोध करते हैं बाद में समर्थन देते हैं। तेजस्वी ने जातीय जनगणना का मुद्दा पहले नहीं उठाया था। यह मुद्दा एनडीए के साथ ही नीतीश कुमार ने पहले उठाया था। देश में जातीय जनगणना होने जा रही है, इसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। बिहार में जातीय जनगणना के लिए सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार लड़ाई लड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट यदि इस विषय पर आरक्षण के बढ़े हुए दायरे के समर्थन में फैसला देती है तो उसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए फिर से प्रस्ताव भेजा जाएगा। बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर सबसे पहले बिहार सरकार ने आरक्षण के दायरे को संविधान के नवमी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के एक्स अकाउंट पर मैसेज लिखकर पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएँ बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन तथा धन्यवाद। 


वही मोदी सरकार के इस ऐलान के बाद विपक्ष की ओर से लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही है. केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद एक बार फिर से राजनीति शुरू हो गयी है। इस घोषणा के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पीएम मोदी की घोषणा के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स से ट्वीट करते हुए लिखा कि' मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया।


लालू ने कहा कि 2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार माँग उठाई। मैंने, स्व॰ मुलायम सिंह जी, स्व॰ शरद यादव जी ने इस माँग को लेकर कई दिन संसद ठप्प किया और बाद में प्रधानमंत्री स्व॰ मनमोहन सिंह जी के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद चलने दिया। देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ। जिसे हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते है उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते है। जातिगत जनगणना की माँग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला। अभी बहुत कुछ बाक़ी है। हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे। #CasteCensus #LaluYadav'


वही लालू प्रसाद यादव के छोटे लाल तेजस्वी यादव ने भी जति आधारित जनगणना की घोषणा के बाद कहा कि यह सामाजिक न्याय आंदोलन की एतिहासिक जीत है। उन्होंने कहा कि अब हमारी बारी है, पिछड़ों के लिए सीट आरक्षण हमारी अगली लड़ाई है। तेजस्वी ने पीएम मोदी के इस ऐलान पर कहा कि जातीय गणना कराए जाने को लेकर हम प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक गए, लेकिन हमारी मांग को अनसुना कर दिया गया। अब जब हमारे कदमों की आहट दिल्ली तक पहुंच गई तब उन्हें भी झुकना पड़ गया। तेजस्वी ने कहा कि उनकी पार्टी अब केवल जातिगत गिनती तक सीमित नहीं रहेगी। तेजस्वी ने आगे कहा कि जैसे दलित और आदिवासी भाई-बहनों के लिए आरक्षित सीटें तय हैं, वैसे ही पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी उनका हक मिलना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देशभर में जातीय जनगणना कराए जाने की यह हमारी तीन दशक पुरानी मांग थी। लेकिन इसे सत्ता में मौजूद लोगों ने खारिज कर दिया था। लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गयी है कि केंद्र को हमारे एजेंडे पर ही काम करना पड़ रहा है।


जाति आधारित जनगणना करने को लेकर केंद्र सरकार के ऐलान पर तेजस्वी ने कहा कि आज हमारी जीत हुई है. हम लोग तो कब से यह मांग कर रहे थे। इसे लेकर हमलोग प्रधानमंत्री से मिल भी चुके हैं। ये लोग हमारे ही बात को दोहरा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी चुनाव को देखकर काम करती है। तेजस्वी यादव ने कहा कि परिसीमन से पहले ही जातीय जनगणना हो जानी चाहिए। तेजस्वी ने सीधे तौर पर इसे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और समाजवादी विचारधारा की वैचारिक विजय करार दिया।


बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय 1 जून 2022 को लिया था। इससे पहले, 18 फरवरी 2019 और 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से जाति जनगणना कराने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन केंद्र ने इसे अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद 1 जून 2022 को सर्वदलीय बैठक हुई जिसमें बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया। इस बैठक में सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हुए। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जाति आधारित गणना कराना का ऐलान किया। राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित जनगणना करायी और 2 अक्टूबर 2023 को गांधी जयंती के अवसर पर इसके आंकड़े सार्वजनिक किए।