1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 26 Jul 2025 11:15:46 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार सरकार खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम उठाने जा रही है। अब पूर्णिया जिले के भट्टी चौक क्षेत्र में राज्य का तीसरा खादी मॉल बनाया जा रहा है। 6.64 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह तीन मंजिला मॉल 14,633 वर्गफुट क्षेत्र में फैला होगा और इसका निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है।
इसका लगभग 60% काम पूरा हो चुका है और जल्द ही इसे जनता के लिए खोलने की योजना है। बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के माध्यम से इसकी जानकारी साझा की है। यह मॉल पूर्वी बिहार के लिए एक मॉडल के रूप में विकसित होगा, जो पूर्णिया के साथ-साथ कटिहार, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों के कारीगरों और बुनकरों को लाभ पहुंचाएगा।
पूर्णिया का यह खादी मॉल स्थानीय शिल्प और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। यहाँ खादी वस्त्रों में हस्तनिर्मित मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ियां, रॉ सिल्क साड़ियां (गोल्डन, क्रम, ब्लू, मरून, मस्टर्ड रंगों में) और मटका सिल्क खादी बंदी उपलब्ध होंगे। इसके अलावा जूट से बने स्टाइलिश और पर्यावरण-अनुकूल बैग्स और पर्स, खादी नेचुरल के तहत हर्बल सौंदर्य प्रसाधन जैसे आयुर्वेदिक स्किन और हेयर केयर प्रोडक्ट्स (केवीआईसी, आईएसओ और आयुष प्रमाणित) और ग्रामोद्योग उत्पाद जैसे 'किसान चाची' ब्रांड के मिक्स पिकल (आम, नींबू, लहसुन, मिर्च, इमली, यम) बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। स्थानीय शिल्प के तहत मधुबनी और बलूचारी शैली की साड़ियां, जिनमें सुनहरी जरी और फ्लोरल बॉर्डर शामिल हैं, वो भी ग्राहकों को आकर्षित करेंगी। ये उत्पाद बिहार की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं और पर्यावरण-अनुकूल हैं।
यह मॉल पूर्वी बिहार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को बाजार प्रदान करेगा और शहरी ग्राहकों तक ग्रामीण उत्पादों की पहुंच बढ़ाएगा। पटना और मुजफ्फरपुर में पहले से स्थापित खादी मॉलों की तरह, यह मॉल भी गांधीवादी दर्शन पर आधारित होगा। पटना का खादी मॉल गांधी मैदान के पास 1814.76 वर्गमीटर में फैला है, यह स्थानीय कला और शिल्प को बढ़ावा देने का एक सफल उदाहरण है।
अब पूर्णिया का मॉल भी स्वरोजगार और खादी की ब्रांडिंग को नई पहचान देगा। निर्माण कार्य भट्टी चौक के गांगुली पाड़ा में बोर्ड के पुराने कार्यालय को तोड़कर शुरू किया गया था। 2022 में पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन देरी के कारण अब 2025 में खुलने की तैयारी है। मॉल में प्रदर्शनी और बिक्री के लिए विशेष स्टॉल होंगे, जहां स्थानीय और क्षेत्रीय उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे।
बिहार सरकार का लक्ष्य खादी मॉल के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह मॉल स्थानीय कारीगरों, बुनकरों और छोटे उद्यमियों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने का मंच देगा। खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बढ़ती मांग, विशेष रूप से पर्यावरण-अनुकूल और हस्तनिर्मित वस्तुओं की इस मॉल को एक आर्थिक केंद्र बनाएगी।
यह बिहार की सांस्कृतिक विरासत जैसे मधुबनी पेंटिंग और बलूचारी साड़ियों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करेगा। हालांकि, पहले की देरी ने स्थानीय लोगों में कुछ निराशा पैदा की थी। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि मॉल समय पर शुरू हो और उत्पादों की गुणवत्ता व आपूर्ति बनी रहे।