Bihar bridge project : बिहार के सबसे बड़े पुल का रास्ता साफ, गंडक नदी पर बनेंगे 29 किमी तक सड़क-पुल; बेतिया से गोरखपुर की दूरी घटेगी

केंद्र सरकार ने बेतिया से गोरखपुर को जोड़ने वाली गंडक नदी पर बनने वाले विशाल पुल-सह-सड़क प्रोजेक्ट को वित्तीय मंजूरी दे दी है। 29 किमी लंबी यह परियोजना दोनों राज्यों के आवागमन को नई रफ्तार देगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Nov 2025 08:31:24 AM IST

Bihar bridge project : बिहार के सबसे बड़े पुल का रास्ता साफ, गंडक नदी पर बनेंगे 29 किमी तक सड़क-पुल; बेतिया से गोरखपुर की दूरी घटेगी

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Bihar bridge project : बिहार के पश्चिमी चंपारण और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीच आवागमन को नई दिशा देने वाला सपना अब साकार होने की ओर बढ़ चला है। केंद्र सरकार ने बेतिया से गोरखपुर को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित सड़क सह पुल परियोजना को वित्तीय मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के साथ ही इस विशाल परियोजना के टेंडर का रास्ता साफ हो गया है और जल्द ही इसका अंतिम प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। मंजूरी मिलते ही निर्माण प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू हो जाएगी।


यह पुल न केवल दो राज्यों को और मजबूत तरीके से जोड़ने का काम करेगा, बल्कि हजारों लोगों की यात्रा को तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक भी बनाएगा। वर्तमान में बेतिया से गोरखपुर की यात्रा में अधिक समय और लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, लेकिन इस पुल के बन जाने के बाद यह दूरी काफी कम हो जाएगी।


बेतिया से यूपी के कुशीनगर को जोड़ेगा नया पुल

नई परियोजना के अनुसार यह पुल बिहार के बेतिया स्थित मनुआपुल को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तिवारीपट्टी सेवराही से जोड़ेगा। गंडक नदी पर बनने वाला यह पुल इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बेहद सुदृढ़ करेगा और स्थानीय लोगों के साथ-साथ व्यापारिक गतिविधियों को भी बड़ा फायदा देगा।


अधिकारियों के अनुसार, हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित PPPAC (Public Private Partnership Appraisal Committee) की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में एनएच-727AA पर बनने वाले इस दो लेन पुल सह सड़क परियोजना को आधिकारिक मंजूरी प्रदान की गई।


क्यों रहेगा पुल दो लेन का?

इस क्षेत्र से आठ किलोमीटर की दूरी पर ही गोरखपुर-सिलीगुड़ी कॉरिडोर के तहत एक छह लेन का बड़ा पुल भी बनना है। इसी कारण इस नए पुल को दो लेन का रखा गया है ताकि ट्रैफिक के अनुसार दोनों पुलों का संतुलित उपयोग हो सके। इससे परिवहन व्यवस्था में भी बदलाव आएगा और बड़े वाहनों का दबाव छह लेन पुल पर रहेगा, जबकि स्थानीय और क्षेत्रीय आवागमन दो लेन पुल से सुगमता से हो सकेगा।


12 किलोमीटर लंबा पुल, कुल 29 किलोमीटर की सड़क

यह परियोजना अपने आप में बेहद विशाल और महत्वाकांक्षी है। पुल की कुल लंबाई 12.036 किलोमीटर होगी, जबकि सड़क समेत संपूर्ण परियोजना की लंबाई 29 किलोमीटर तय की गई है। यह बिहार के लिए अब तक का सबसे बड़ा पुल बनने जा रहा है, जो राज्य के बुनियादी ढांचे में एक ऐतिहासिक जोड़ माना जाएगा।


इस परियोजना में केवल मुख्य पुल ही नहीं, बल्कि इसके साथ छोटे-छोटे 15 अतिरिक्त पुलों का भी निर्माण होगा, जो सड़क को मजबूत और सतत बनाए रखेंगे। इससे बारिश, बाढ़ और नदी के उफान जैसी परिस्थितियों में भी मार्ग अवरुद्ध नहीं होगा।


स्थानीय जनता और व्यापार को मिलेगा बड़ा लाभ

इस पुल के तैयार हो जाने के बाद बेतिया, नरकटियागंज, सेवराही, पडरौना और गोरखपुर की ओर जाने वालों को काफी राहत मिलेगी। अभी लोग लंबा चक्कर लगाकर उत्तर प्रदेश जाते हैं, जिससे समय और ईंधन दोनों की खपत बढ़ती है। नए पुल से बेतिया से यूपी पहुंचने में लगने वाला समय आधे से भी कम हो जाएगा।


इसके अलावा, कृषि और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आएगी, क्योंकि दोनों राज्यों के बीच माल ढुलाई सरल हो जाएगी। गोरखपुर जैसे बड़े बाजार तक पहुंच आसान होने से चंपारण क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।


रोजगार और विकास के नए अवसर

इतनी बड़ी परियोजना के निर्माण के दौरान हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। स्थानीय मजदूर, इंजीनियर, टेक्नीशियन, और निर्माण सामग्री से जुड़े कारोबारियों को बड़ा फायदा होगा। परियोजना के पूरा हो जाने के बाद पर्यटन और व्यापार में वृद्धि के चलते क्षेत्र में नए अवसर स्वतः बनेंगे। बेतिया और कुशीनगर दोनों ही धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले क्षेत्र हैं। बेहतर कनेक्टिविटी से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।


नए बिहार की नई पहचान

नए पुल को लेकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह है। इसे बिहार के बुनियादी ढांचे में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। सड़क और पुल निर्माण को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि विकास की गति को और रफ्तार मिल सके।


कैबिनेट से अंतिम मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा और आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र का आर्थिक और सामाजिक स्वरूप बदलता नज़र आएगा। लोगों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने की दिशा में है और यह परियोजना बिहार के विकास की कहानी में एक नया अध्याय जोड़ने को तैयार है।