1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Nov 2025 10:58:40 AM IST
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Pusa University acid blast : समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में सोमवार की सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सफाई के दौरान एक एसिड की बोतल फट गई। हादसे में चार मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए, जिनमें से दो की स्थिति नाजुक बताई जा रही है। सभी घायलों को तत्काल पूसा अस्पताल ले जाया गया, जहाँ चिकित्सा टीम उनकी स्थिति को देखते हुए लगातार इलाज में जुटी है।
कैसे हुआ हादसा
प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार को नियमित सफाई कार्य किया जा रहा था। सफाईकर्मी कैंपस के एक हिस्से में रखे पुराने सामान व रसायनों की सफाई में लगे थे। इसी क्रम में एक डब्बे में रखा एसिड का पुराना बोतल अचानक ब्लास्ट कर गया। धमाका इतना तेज था कि आस-पास के मजदूर संभल भी नहीं सके और तेजाब सीधे उन पर आ गया। चारों मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए। अन्य कर्मचारियों ने तुरंत इसकी सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को दी और घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
दो मजदूरों की हालत नाजुक
पूसा अस्पताल में भर्ती कराए गए घायलों में दो मजदूरों की हालत चिंताजनक है। डॉक्टरों के अनुसार एसिड के कारण उनकी त्वचा गहरे तक झुलस गई है, जिसके लिए विशेष उपचार की आवश्यकता है। जरूरत पड़ने पर बेहतर इलाज के लिए उन्हें बड़े अस्पताल रेफर भी किया जा सकता है। डॉक्टरों की टीम घायलों की लगातार मॉनिटरिंग कर रही है और तत्काल राहत उपचार दिया जा रहा है।
विश्वविद्यालय प्रशासन मौके पर पहुंचा
जैसे ही हादसे की सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिली, अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और घटनाक्रम की जानकारी ली। प्रशासन ने घटना की जांच की बात कही है। प्रारंभिक जांच में माना जा रहा है कि बोतल में रखा एसिड काफी पुराना था और समय के साथ वह अस्थिर होकर रासायनिक प्रतिक्रिया का कारण बना। सफाई के दौरान हलचल होते ही बोतल फट गई।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि परिसर में मौजूद खतरनाक रसायनों को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी थी, लेकिन पुराने स्टॉक की अधिकता के कारण यह हादसा हुआ हो सकता है।
हादसा क्यों गंभीर है
किसी भी संस्थान में पुराने रसायनों का बिना सुरक्षित तरीके से संग्रहित होना बड़ा खतरा बन सकता है। कई रसायन समय के साथ अस्थिर हो जाते हैं और हल्की-सी प्रतिक्रिया में भी फट सकते हैं। पूसा विश्वविद्यालय में हुए हादसे ने सुरक्षा मानकों और रसायनों के प्रबंधन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एसिड या अन्य केमिकल्स को समय-समय पर जांचकर निर्धारित प्रक्रिया के तहत नष्ट किया जाना चाहिए।
पूसा विश्वविद्यालय का इतिहास और महत्व
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा देश के महत्वपूर्ण कृषि संस्थानों में से एक है। 7 अक्टूबर 2016 को इसे राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय से अपग्रेड कर केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। इससे पहले यह संस्थान 1970 में बिहार सरकार द्वारा स्थापित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के रूप में कार्यरत था।
यह वह ऐतिहासिक स्थल है जहाँ देश में कृषि अनुसंधान और शिक्षा की नींव रखी गई थी। वर्ष 1905 में ब्रिटिश सरकार ने लगातार पड़ रही खाद्यान्न संकट को रोकने के उद्देश्य से यहाँ ‘इंफीरियर इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च एंड कॉलेज’ की स्थापना की थी, जिसे बाद में पूसा कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाने लगा।
अपनी वर्तमान भूमिका में यह विश्वविद्यालय कृषि तथा संबद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षण एवं विस्तार का केंद्र है। यहाँ देशभर से विद्यार्थी कृषि शिक्षा प्राप्त करने आते हैं और शोधकर्ता विभिन्न आधुनिक तकनीकों पर काम करते हैं।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में हुआ हादसा एक बड़ी चेतावनी है कि रसायन प्रबंधन में थोड़ी-सी लापरवाही भी बड़ा नुकसान पहुँचा सकती है। चार मजदूरों की हालत और घटना की गंभीरता इस बात का प्रमाण है। फिलहाल घायलों का इलाज जारी है और प्रशासन जांच में जुटा हुआ है। आशा है कि भविष्य में विश्वविद्यालय सुरक्षा मानकों को और मजबूत करेगा ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।