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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 26 May 2025 07:54:39 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो google
Bihar News: बिहार में मां सीता की जन्मस्थली माने जाने वाले सीतामढ़ी के पुनौराधाम को अब अयोध्या की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 में संशोधन कर दिया है। यह संशोधन अध्यादेश के माध्यम से तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है, जिससे अब सरकार इस ऐतिहासिक स्थल के समग्र विकास की योजना बना सकेगी।
राज्य सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन के तहत अब पुनौराधाम मंदिर की सभी भूमि और परिसंपत्तियों का प्रशासन सरकार के अधीन होगा। इससे पहले जो न्यास समिति मंदिर का संचालन करती थी, वह अध्यादेश लागू होते ही भंग मानी जाएगी। हालांकि, मंदिर के वर्तमान महंथ को सरकार द्वारा गठित की जाने वाली नई समिति में स्थान दिया जाएगा। इस समिति में प्रतिष्ठित और अनुभवी व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा, जो पुनौराधाम के धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटकीय विकास की दिशा में कार्य करेंगे।
विधि विभाग द्वारा जारी गजट अधिसूचना में बताया गया है कि धार्मिक न्यास अधिनियम की धारा 32 में संशोधन करते हुए यह प्रावधान जोड़ा गया है कि अब राज्य सरकार पुनौराधाम को राष्ट्रीय महत्व का धार्मिक और पर्यटन केंद्र बनाने के लिए योजनाएं बना सकेगी। इसके अंतर्गत मंदिर परिसर की भूमियों का पुनर्विकास, परिसंपत्तियों का संरक्षण, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का विस्तार, और रामायण सर्किट के अंतर्गत इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण शामिल है।
मंदिर से जुड़े सभी कर्मचारी भी अब समिति के नियंत्रण में रहेंगे और अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित सेवा में बने रहेंगे। सरकार की योजना के तहत धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक पर्यटन के समन्वय से पुनौराधाम को एक भव्य धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित किया जाएगा।
ध्यान देने योग्य है कि पुनौराधाम और अयोध्या के बीच ऐतिहासिक और धार्मिक सीधा संबंध है। रामायण काल के प्रसंगों के अनुसार, माता सीता का जन्म पुनौराकीला में हुआ था, जो वर्तमान में पुनौराधाम के नाम से जाना जाता है। इस स्थल का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिससे इसकी धार्मिक प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता को बल मिलता है।
बिहार सरकार ने इसे रामायण सर्किट का हिस्सा बनाते हुए, इसे अयोध्या की तरह विकसित करने का निर्णय लिया है। इससे न केवल श्रद्धालुओं की भावनाओं को सम्मान मिलेगा, बल्कि सीतामढ़ी क्षेत्र में पर्यटन, रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।