1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Nov 2025 03:01:49 PM IST
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Vehicle Fitness Test Price Hike: भारत सरकार ने देशभर में व्हीकल फिटनेस टेस्ट की फीस में बड़े पैमाने पर बदलाव किया है, जिसका मकसद सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों को भारतीय सड़कों से हटाना है। केंद्रीय मोटर व्हीकल रूल्स के पांचवें संशोधन के तहत अब 10 साल या उससे अधिक पुराने वाहनों की फिटनेस टेस्ट फीस में काफी इजाफा किया गया है। पहले यह अधिकतम फीस 15 साल पुराने वाहनों पर लागू होती थी, लेकिन नए नियमों में इसे तीन श्रेणियों में बांट दिया गया है: 10-15 साल, 15-20 साल और 20 साल से अधिक पुराने वाहन।
सरकार का मानना है कि पुराने वाहन न केवल दुर्घटनाओं के लिए खतरा बढ़ाते हैं, बल्कि इनसे निकलने वाले प्रदूषक तत्व भी पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। इस नई नीति के तहत, टू-व्हीलर वाहनों की फिटनेस फीस 400 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये कर दी गई है। लाइट मोटर व्हीकल्स (जैसे कार) के लिए फीस 600 रुपये से 1,000 रुपये तक हो गई है। मीडियम और हैवी गुड्स या पैसेंजर वाहनों (जैसे बस और ट्रक) के लिए फीस 1,000 रुपये से 2,500 रुपये तक बढ़ाई गई है। इसके अलावा, थ्री-व्हीलर वाहनों के लिए भी फिटनेस टेस्ट फीस 400 से 600 रुपये तक निर्धारित की गई है।
मोटर व्हीकल एक्ट के नए नियमों के अनुसार, 15 साल से कम पुराने वाहनों पर लागू शुल्क भी संशोधित किया गया है। इस कदम से पुराने और खराब स्थिति वाले वाहनों की संख्या कम होगी, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की संभावना घटेगी। वहीं, वाहन मालिकों को प्रेरित किया जाएगा कि वे नए और सुरक्षित वाहनों का उपयोग करें। इसके साथ ही, कॉमर्शियल वाहनों में इंजन से जुड़ी तकनीकी समस्याओं और अधिक खतरनाक प्रदूषण फैलाने की संभावना को भी कम किया जा सकेगा।
यह कदम लंबी अवधि में सड़क सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए लाभकारी साबित होगा। हालांकि, वाहन मालिकों के लिए यह अतिरिक्त खर्चा पैदा करेगा, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनके पास 10 साल से पुराने वाहन हैं। सरकार ने यह बदलाव जनता और वाहनों के मालिकों को चेतावनी के रूप में भी माना है कि पुराने और असुरक्षित वाहनों का इस्तेमाल न करें।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के अनुसार, इस नई फीस संरचना का उद्देश्य न केवल सार्वजनिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, बल्कि यह उद्योग और वाहन निर्माताओं को भी प्रोत्साहित करेगा कि वे अधिक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल वाहन बनाएं। इस नीति से धीरे-धीरे भारतीय सड़कों पर सुरक्षित, आधुनिक और कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चलेंगे, जिससे लंबी अवधि में सड़क हादसों और पर्यावरणीय संकट पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
इस बदलाव के चलते अब वाहनों के मालिकों को फिटनेस टेस्ट कराने के लिए अधिक तैयारी करनी होगी। पुराने वाहन मालिकों को तय फीस के अनुसार राशि जमा करनी होगी और साथ ही अपने वाहन की स्थिति सुधारने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है। यह कदम देश में सड़क सुरक्षा के स्तर को ऊंचा करने और पर्यावरण की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस नई व्यवस्था के लागू होने से न केवल सड़क हादसों की संख्या घटेगी, बल्कि वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। वाहन मालिकों को पुरानी और असुरक्षित गाड़ियों की जगह नए, सुरक्षित और कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का विकल्प अपनाना होगा। इस तरह यह नियम देश के सड़क परिवहन ढांचे को अधिक सुरक्षित, प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित होगा।