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भारत में नौकरी छोड़ने की सबसे बड़ी वजह सैलरी नहीं, कुछ और है... जानिए दफ्तर में क्या सोचते हैं कर्मचारी

रैंडस्टैड इंडिया वर्कमॉनीटर 2025 सर्वे के अनुसार, भारतीय कर्मचारी अब सैलरी से ज्यादा काम में लचीलापन, मानसिक शांति और सीखने के अवसरों को महत्व दे रहे हैं। 52% कर्मचारी लचीलेपन की कमी और 60% खराब बॉस के कारण नौकरी छोड़ने को तैयार हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 05 Mar 2025 08:45:48 AM IST

भारत में नौकरी छोड़ने की सबसे बड़ी वजह सैलरी नहीं, कुछ और है... जानिए दफ्तर में क्या सोचते हैं कर्मचारी

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अगर आपको लगता है कि लोग सिर्फ कम सैलरी की वजह से नौकरी छोड़ते हैं तो यह खबर आपको चौंका सकती है। रैंडस्टैड इंडिया वर्कमॉनीटर 2025 सर्वे के मुताबिक भारतीय कर्मचारियों के लिए अब सैलरी से ज्यादा काम का लचीलापन, मानसिक शांति और सीखने के मौके मायने रखते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 52 फीसदी कर्मचारी ऐसी नौकरी छोड़ने को तैयार हैं जहां लचीलापन नहीं मिलता, जबकि 60 फीसदी कर्मचारी अपने बॉस से खराब संबंधों की वजह से नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं।


सर्वे में पता चला कि नौकरीपेशा लोग अब सिर्फ मोटी सैलरी के पीछे नहीं भाग रहे, बल्कि वे चाहते हैं कि उनका कार्यस्थल उनके लिए दोस्ताना और सहयोगी हो। करीब 69 फीसदी भारतीय कर्मचारी ऑफिस में अपनेपन का एहसास चाहते हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा सिर्फ 55 फीसदी है। यानी भारतीय कर्मचारी अब ऐसा वर्क कल्चर चाहते हैं जहां उन्हें समानता और सम्मान मिले। 


आजकल सिर्फ नौकरी करना ही काफी नहीं है, बल्कि उसमें आगे बढ़ने के मौके भी जरूरी हैं। यही वजह है कि 67 फीसदी कर्मचारी ऐसी कंपनियों को छोड़ने को तैयार हैं जो लर्निंग और डेवलपमेंट (एलएंडडी) के मौके नहीं देतीं। इसके अलावा 43% भारतीय कर्मचारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ट्रेनिंग को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं, जबकि दुनियाभर में यह आंकड़ा सिर्फ 23% है।


इस रिपोर्ट से एक और दिलचस्प बात जो सामने आई, वह यह है कि 60% कर्मचारी ऐसी नौकरी नहीं करना चाहते, जिसमें काम के घंटे तय हों और 56% कर्मचारी ऐसी नौकरी से दूर रहना चाहते हैं, जिसमें वे खुद अपने काम की जगह तय न कर सकें। कंपनियों को अब यह बदलाव अपनाना होगा, क्योंकि 73% कर्मचारियों का कहना है कि अगर ऑफिस में लचीलापन होगा, तो कंपनी पर उनका भरोसा बढ़ेगा।


सर्वे के नतीजे यह भी बताते हैं कि भारतीय कर्मचारी अब सिर्फ पैसा कमाने के लिए नौकरी नहीं कर रहे हैं। वे ऐसी नौकरी चाहते हैं, जो उनके व्यक्तिगत मूल्यों, मानसिक शांति और जीवन के लक्ष्यों से मेल खाती हो। पहले जहां सैलरी सबसे महत्वपूर्ण थी, वहीं अब यह प्राथमिकता सूची में चौथे नंबर पर आ गई है।


रैंडस्टैड इंडिया के एमडी और सीईओ विश्वनाथ पीएस कहते हैं कि अब हर पीढ़ी के कर्मचारी लचीलापन चाहते हैं। चाहे वह जेन जेड हो, जो अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं, या मिलेनियल्स और जेन एक्स, जो अपने जीवन और करियर में संतुलन चाहते हैं - हर कोई अपनी सुविधा के अनुसार काम करने की आजादी चाहता है। कंपनियों को इस बदलाव के साथ तालमेल बिठाना होगा, क्योंकि काम में लचीलापन अब कोई विशेष सुविधा नहीं, बल्कि एक बुनियादी जरूरत बन गया है।


इस सर्वे ने यह साफ कर दिया है कि भारतीय कर्मचारी अब सिर्फ ज्यादा सैलरी के लिए नौकरी नहीं बदलते। वे ऐसा कार्यस्थल चाहते हैं, जहां उन्हें सम्मान, समानता और तरक्की के मौके मिलें। कंपनियों को भी अपने कर्मचारियों की इस बदलती सोच को समझना चाहिए और उनके लिए बेहतर और ज्यादा लचीला कार्यस्थल बनाना चाहिए, नहीं तो वे प्रतिभा खो सकती हैं।