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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 13 Nov 2025 03:01:45 PM IST
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Success Story: बिहार प्रशासन में एक बड़े बदलाव के बाद विभागीय स्तर पर नई उम्मीदों और चुनौतियों की शुरुआत हुई है। चर्चित आईएएस अधिकारी केके पाठक के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद, बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 10 वरिष्ठ अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपकर प्रशासनिक व्यवस्था में ताजगी और नई दिशा दी है। इसमें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच आर श्रीनिवासन, पंकज प्रधान, नर्मदेश्वर लाल, अजय यादव, देवेश सहारा, संजीव कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को नई पोस्टिंग दी गई है। इस बदलाव के साथ ही 1990 बैच के आईएएस अधिकारी चैतन्य प्रसाद को राजस्व परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है वह जिम्मेदारी जो पहले केके पाठक के हाथ में थी।
चैतन्य प्रसाद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी अधिकारी के रूप में देखा जाता है। उन्होंने नगर विकास विभाग और गृह विभाग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपने प्रशासनिक करियर में उन्होंने कई जिलों के जिलाधिकारी के रूप में काम किया और नीति निर्माण एवं प्रशासनिक सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। केंद्रीय सचिवालय में भी उनके योगदान की सराहना हुई। उनकी ईमानदारी, निष्पक्षता और प्रशासनिक कौशल के कारण उन्हें राज्य और केंद्र सरकार में उच्च सम्मान प्राप्त है।
शिक्षा के क्षेत्र में चैतन्य प्रसाद ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमए (इकोनॉमिक्स) की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा, उन्होंने आईआईटी से भौतिकी में एमएससी भी किया है। वह अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में कुशल हैं। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। चैतन्य प्रसाद 31 जुलाई 2025 को रिटायर होंगे, लेकिन तब तक उन्होंने प्रशासनिक सुधारों और नीति निर्माण में अपने योगदान से बिहार प्रशासन को मजबूत आधार प्रदान किया है।
नई पदस्थापना में, चैतन्य प्रसाद को अध्यक्ष सह राजस्व परिषद बिहार का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जबकि बी राजेंद्र को अपर मुख्य सचिव समाज प्रशासन विभाग का पद सौंपा गया है। एच आर श्रीनिवासन को प्रधान सचिव पिछड़ा वर्ग अति पिछड़ा वर्ग बनाया गया है, और पंकज कुमार को प्रधान सचिव खाद्य उपभोक्ता विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इसके अलावा, महानिदेशक बिहार लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास विभाग बीपार्ट के प्रभार में भी रहेंगे। यह बदलाव बिहार प्रशासन की कार्यकुशलता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के उद्देश्य से किए गए हैं।
यह कदम केवल अधिकारियों के स्थानांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक सुधार, नीति निर्माण, और राज्य में शासन की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक बदलाव माना जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस फेरबदल से राज्य में बेहतर प्रशासनिक निर्णय लेने और जनता के लिए बेहतर सेवाओं को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।