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Success Story: IAS बनने के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी, फिर 24 की उम्र में दो बार क्रैक किया UPSC

तमिलनाडु की ईश्वर्या रामनाथन ने 24 साल की उम्र में दो बार यूपीएससी परीक्षा पास की। बचपन में प्राकृतिक आपदाओं से प्रेरित होकर उन्होंने आईएएस बनने का सपना देखा। पहले प्रयास में उन्होंने 630वीं और दूसरे प्रयास में 47वीं रैंक हासिल की।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 03 Mar 2025 08:31:44 AM IST

IAS Ishwarya Ramanathan

IAS Ishwarya Ramanathan - फ़ोटो IAS Ishwarya Ramanathan

कुछ लोग असाधारण मेहनत और दृढ़ निश्चय से कम उम्र में ही ऐसी उपलब्धियां हासिल कर लेते हैं, जो लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन जाती है। ईश्वर्या रामनाथन उन्हीं में से एक हैं। महज 24 साल की उम्र में उन्होंने दो बार यूपीएससी परीक्षा पास की और आईएएस अफसर बनने का सपना पूरा किया। 


तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले की रहने वाली ईश्वर्या का बचपन मुश्किलों से भरा रहा। उन्होंने बाढ़, चक्रवात और भारी बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं को बेहद करीब से देखा। साल 2004 में आई सुनामी का उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा। इस दौरान उन्होंने कलेक्टर गगनदीप सिंह बेदी के राहत कार्यों को देखा, जिसने उन्हें सिविल सेवा में आने के लिए प्रेरित किया। ईश्वर्या के परिवार की आर्थिक स्थिति भी बेहद साधारण थी। उनके पिता आर. रामनाथन काजू की खेती करते थे, जबकि मां ने कम उम्र में शादी होने के बावजूद सरकारी नौकरी कर ली.


ईश्वर्या ने 2017 में चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। अपने पहले प्रयास में ही उन्होंने 630वीं रैंक हासिल कर रेलवे अकाउंट्स सर्विस में नौकरी पा ली। लेकिन उनका असली सपना आईएएस बनना था। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर दोबारा परीक्षा देने का फैसला किया।


2019 में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 47वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि यह सिर्फ करियर का विकल्प नहीं था, बल्कि बचपन से देखा गया सपना था। इस सफर में उनकी मां ने हर कदम पर उनका साथ दिया।


फिलहाल, ईश्वर्या तमिलनाडु के तिरुवल्लूर में सब-कलेक्टर और एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं। उनकी कहानी उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों और लक्ष्य स्पष्ट हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।