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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 18 Sep 2025 08:40:59 AM IST
सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE
Success Story: सपनों को केवल बंद आंखों से नहीं, खुली आंखों से भी देखा जाना चाहिए और उन्हें साकार करता है वही, जो कड़ी मेहनत और अटूट लगन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है। इस बात को सच्चाई में बदल कर दिखाया है आयुषी डबास ने, जो आज वसंत विहार एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं। दृष्टिहीनता को कभी कमजोरी न मानने वाली आयुषी ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी चुनौती राह में रुकावट नहीं बन सकती।
रानी खेड़ा निवासी आयुषी डबास का जीवन संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी है। जन्म से दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने शिक्षा को अपनी ताकत बनाया। 12वीं कक्षा के बाद ही उन्होंने नगर निगम स्कूल में संविदा शिक्षक के रूप में पढ़ाना शुरू कर दिया था। साथ ही, कॉलेज में पढ़ाई जारी रखी और तीनों वर्षों में प्रथम स्थान हासिल किया। उनकी मेहनत रंग लाई और वर्ष 2012 में उन्होंने दिल्ली सरकार के स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्ति प्राप्त की।
शिक्षण कार्य के साथ-साथ उन्होंने उच्च लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाए। वर्ष 2015 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) की तैयारी शुरू की और कई प्रयासों के बाद 2022 में चौथे प्रयास में सफलता प्राप्त की। खास बात यह रही कि उन्होंने देशभर में 48वीं रैंक हासिल की, जो अब तक किसी दृष्टिबाधित अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त की गई सर्वोच्च रैंक मानी जाती है। इससे पहले, 2019 में उन्होंने डीएसएसएसबी (DSSSB) परीक्षा के माध्यम से इतिहास विषय की लेक्चरर की नौकरी भी हासिल की थी।
हाल ही में आयुषी ने 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) के मंच पर भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि मई 2025 में जनकपुरी में ‘केबीसी’ द्वारा आयोजित ओपन प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया था। कई चयन चरणों—ऑडिशन, कॉल इंटरव्यू और प्रश्नोत्तरी दौरों—को पार करने के बाद उन्हें 3 सितंबर को मुंबई आमंत्रित किया गया, जहां वह मशहूर होस्ट अमिताभ बच्चन के सामने हॉटसीट पर बैठीं।
केबीसी के मंच पर आयुषी ने 25 लाख रुपये तक का सफर सफलता से पूरा किया। हालांकि 50 लाख के सवाल पर वह थोड़ी अटक गईं। सवाल था: "कल्पना चावला स्पेस मिशन पर किस म्यूजिक बैंड की एल्बम लेकर गई थीं?" इस सवाल का उत्तर न पता होने के कारण उन्होंने रिस्क न लेते हुए गेम को क्विट कर लिया। बावजूद इसके, उनका आत्मविश्वास और प्रस्तुति दर्शकों और शो के मेज़बान दोनों को प्रेरित करने वाला रहा।
आयुषी ने इस अनुभव को सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी मां के सपनों को पूरा करने का जरिया भी बताया। उन्होंने कहा कि उनकी मां की दो बड़ी ख्वाहिशें थीं—देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से मिलना। आयुषी ने दोनों सपनों को साकार किया। जहां एक ओर वह प्रधानमंत्री से एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मिल चुकी हैं, वहीं केबीसी के मंच पर उन्होंने अपनी मां को अमिताभ बच्चन से मिलवाया।
आज आयुषी डबास सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्होंने समाज को यह संदेश दिया है कि शारीरिक चुनौतियाँ सफलता की राह में बाधा नहीं, बल्कि संघर्ष को निखारने का जरिया होती हैं। उनका जीवन यह साबित करता है कि अगर दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो दृष्टिहीनता भी दृष्टि बन सकती है।