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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 12 Apr 2025 01:59:13 PM IST
वक्फ कानून - फ़ोटो GOOGLE
Violence Over Waqf Act: वक्फ संशोधन अधिनियम के वजह से देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन और विद्रोह चल रहा है, इस बीच पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों में शुक्रवार यानि 11 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे है। इन प्रदर्शनों में उपद्रवियों ने पुलिस वैन समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया है। पुलिस पर पथराव किया और सड़कों पर जाम लगाया। इस सिलसिले में अब तक 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सुती से 70 और समसेरगंज से 41 लोग शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, हिंसा के बाद सभी प्रभावित जिलों में कड़ी छापेमारी की जा रही है और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। मुर्शिदाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित जिला रहा, जहां धारा 144 लागू कर दी गई है और इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं ताकि अफवाहों पर लगाम लगाई जा सके। हिंसाग्रस्त इलाकों में पुलिस गश्त जारी है और भीड़ एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन ने लोगों से सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने से बचने की अपील की है।
इस घटना पर राजनीति भी तेज हो गई है। भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह हिंसा "सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित जिहादी हमला" था, जो लोकतंत्र और शासन को चुनौती देने का प्रयास है। उन्होंने ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी को "हैरान करने वाला" बताया और आरोप लगाया कि सरकार हालात संभालने में असफल रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाए।
वक्फ संशोधन अधिनियम क्या है?
वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन को लेकर देश के कुछ हिस्सों में असंतोष देखा जा रहा है। कई संगठनों का मानना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
समाज पर असर और आगे की राह
इस हिंसा ने न केवल कानून-व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि समाज में साम्प्रदायिक तनाव को भी जन्म दिया है। प्रशासन अब शांति बनाए रखने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए सक्रिय है। इसके साथ ही यह मामला केंद्र और राज्य सरकार के बीच अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के संतुलन की बहस को भी जन्म देता है।