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Anant Singh Arrest : 14 दिन के लिए जेल में बंद अनंत सिंह से नहीं होगी किसी की भी मुलाकात, खास सुविधाएं नहीं मिलेंगी

Anant Singh Arrest : मोकामा से जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को दुलारचंद हत्याकांड में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। जेल में विशेष सुविधा नहीं मिलेगी, प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाई।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 03 Nov 2025 02:08:00 PM IST

Anant Singh Arrest : 14 दिन के लिए जेल में बंद अनंत सिंह से नहीं होगी किसी की भी मुलाकात, खास सुविधाएं नहीं मिलेंगी

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Anant Singh : बिहार की राजनीति के धुरंधर चेहरों में शुमार और मोकामा विधानसभा सीट से जेडीयू के प्रत्याशी रहे बाहुबली नेता अनंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दुलारचंद हत्या कांड के मामले में पुलिस ने उन्हें शनिवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद रविवार को अदालत में पेशी के उपरांत उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अनंत सिंह के जेल जाने से न केवल मोकामा की सियासत में हलचल मच गई है बल्कि चुनावी समीकरण भी तेजी से बदलते दिख रहे हैं।


गिरफ्तारी के बाद सख्त जेल प्रबंधन

गिरफ्तारी के बाद से ही अनंत सिंह को लेकर प्रशासन सतर्क मोड में है। जेल प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा के तहत उन्हें रखा है और किसी भी तरह की मुलाकात पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। जेल मैनुअल के अनुसार, उन्हें उच्च श्रेणी बंदी की कैटेगरी में नहीं रखा गया है। इसका अर्थ साफ है कि अनंत सिंह को कोई विशेष सुविधा नहीं दी जाएगी। ना तो एयर-कूलर, टीवी या विशेष भोजन – सब कुछ सामान्य कैदी की तरह। प्रशासन का कहना है कि यह फैसला जेल मैनुअल एवं नियमों के अनुसार लिया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या पक्षपात का आरोप न लगे।


पुलिस और जांच एजेंसियां अनंत सिंह से पूछताछ भी करने वाली हैं। इस दौरान उनसे घटना के वक्त मौजूद हथियारों, गाड़ियों और साथियों की जानकारी ली जाएगी। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि घटना में इस्तेमाल हुआ हथियार कहां से आया और किसने मुहैया कराया। यह भी जांच का विषय है कि क्या इस घटना की कोई साजिश रची गई थी या यह अचानक हुई झड़प का परिणाम थी।


घटना के केंद्र में मोकामा

दरअसल, 30 अक्टूबर को मोकामा विधानसभा क्षेत्र के घोसवरी-भदौर थाना सीमा पर दो प्रत्याशियों के काफिलों के बीच हुई कहासुनी ने हिंसक रूप ले लिया। एक तरफ जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी का काफिला था और दूसरी ओर जेडीयू के प्रत्याशी अनंत सिंह का। मामूली विवाद ने पलभर में उग्र रूप ले लिया। पत्थरबाजी और गोलीबारी में 75 वर्षीय बुजुर्ग दुलारचंद यादव की मौत हो गई। मौत की खबर के साथ ही पूरे इलाके में तनाव फैल गया।


घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की। लेकिन इस बीच पक्ष-विपक्ष में माहौल गरमाता गया। शनिवार देर रात पुलिस ने अनंत सिंह को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद अनंत सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर कहा – “अब चुनाव मोकामा की जनता लड़ेगी।” इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।


प्रशासन की सख्ती और सुरक्षा व्यवस्था

पटना एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि मोकामा और इसके आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। सीएपीएफ की 13 कंपनियां, एसटीएफ की 2 यूनिट और क्यूआरटी की 4 टीमें तैनात हैं। इसके अलावा, भदौर और घोसवरी थानाध्यक्षों को लापरवाही के कारण निलंबित कर दिया गया है। घटना से जुड़े CCTV फुटेज को खंगाला जा रहा है ताकि आरोपियों की पहचान कर उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा सके।


मोकामा की सियासत में बड़ा बदलाव अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद मोकामा विधानसभा चुनाव में समीकरण बदलते दिख रहे हैं। यह सीट लंबे समय से बाहुबली छवि वाले नेताओं के प्रभाव में रही है। अब जबकि जेडीयू प्रत्याशी अनंत जेल की सलाखों के पीछे हैं, पार्टी के लिए उनकी जगह किसी और को उतारना या चुनावी रणनीति को नया मोड़ देना चुनौतीपूर्ण होगा। दूसरी ओर, विपक्षी दल इस घटना का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में हैं।


जनसुराज के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी ने इस मामले में न्याय की मांग की है और अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वहीं, एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।


न्यायिक प्रक्रिया की अगली कड़ी

अनंत सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं। दुलारचंद हत्या कांड में उनकी संलिप्तता, हथियारों के स्रोत, गाड़ी का इस्तेमाल और अन्य सह-अभियुक्तों की भूमिका की जांच पुलिस के लिए प्राथमिकता है। अगले कुछ दिनों में पुलिस रिमांड की अर्जी भी लगा सकती है। वहीं, अदालत में जमानत याचिका का भी मामला उठ सकता है।


कुल मिलाकर, इस घटना ने न केवल मोकामा बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की ओर बढ़ते कदमों के बीच, यह मामला किस करवट बैठता है, यह देखना दिलचस्प होगा।