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Bihar Assembly Election 2025 : आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर राजनीतिक प्रचार करना मास्टर साहब को पड़ा महंगा, शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई

Bihar Assembly Election 2025 : अररिया जिले में शिक्षक ओमप्रकाश यादव को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर निलंबित कर दिया गया। फेसबुक पर राजनीतिक दल के पक्ष में पोस्ट और तस्वीरें साझा करने के आरोप लगे।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 24 Oct 2025 10:04:17 AM IST

Bihar Assembly Election 2025 : आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर राजनीतिक प्रचार करना मास्टर साहब को पड़ा महंगा, शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई

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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर अररिया जिले में शिक्षा विभाग ने आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) के उल्लंघन के गंभीर मामले में कड़ी कार्रवाई की है। नरपतगंज प्रखंड के खाब्दह डुमरिया स्थित मध्य विद्यालय में कार्यरत विशिष्ट शिक्षक ओमप्रकाश यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक राजनीतिक दल के पक्ष में प्रचार-प्रसार किया, नेताओं के साथ तस्वीरें साझा कीं और सोशल मीडिया पर पक्षपातपूर्ण टिप्पणियाँ कीं। यह कार्रवाई बिहार सरकारी सेवक नियमावली 2005 के तहत की गई है।


जिला शिक्षा विभाग की जांच में पाया गया कि ओमप्रकाश यादव ने अपने फेसबुक अकाउंट पर राजनीतिक दल के नेताओं के साथ तस्वीरें साझा की थीं। इसके अलावा, उन्होंने उक्त दल के पक्ष में टिप्पणियाँ कीं, जो आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के स्पष्ट उदाहरण हैं। विभाग का कहना है कि शिक्षक का यह कृत्य न केवल सरकारी नियमों के विरुद्ध है, बल्कि शिक्षक समुदाय की गरिमा और सार्वजनिक विश्वास को भी प्रभावित करता है।


जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि निलंबन अवधि के दौरान ओमप्रकाश यादव को प्रखंड संसाधन केंद्र, कुर्साकांटा में मुख्यालय रहना होगा। इस दौरान उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, उनके खिलाफ विभागीय जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और आरोप पत्र प्रपत्र 'क' अलग से जारी किया जाएगा। आरोप सिद्ध होने पर उन्हें और कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।


चुनावी प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता का पालन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है। शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर कार्यरत व्यक्ति से निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है। विभाग का कहना है कि ओमप्रकाश यादव का कृत्य इस अपेक्षा के विपरीत है और इसे गंभीरता से लिया गया है। यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि सरकारी कर्मचारियों के आचरण और शिक्षक समुदाय की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करता है।


शिक्षकों और अन्य सरकारी कर्मचारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने पेशेवर कर्तव्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों का पालन निष्पक्ष रूप से करें। चुनावी समय में किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल होना उनके लिए अस्वीकार्य है। शिक्षा विभाग ने इस मामले को एक चेतावनी के रूप में देखा है ताकि अन्य कर्मचारी भी सतर्क रहें और चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखें।


ओमप्रकाश यादव के निलंबन के साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जांच में सभी तथ्यों की गहन समीक्षा की जाएगी। यदि आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें और गंभीर विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इस कदम के माध्यम से जिला शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


विशेष रूप से शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने आचरण से समाज में आदर्श प्रस्तुत करें। उनका व्यवहार केवल स्कूल या छात्रों तक सीमित नहीं होता, बल्कि समाज में शिक्षक की भूमिका और प्रतिष्ठा से भी जुड़ा होता है। ओमप्रकाश यादव की यह घटना अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए चेतावनी भी है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और निष्पक्षता के साथ करें।


अररिया जिले में हुई यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बिहार सरकार और जिला शिक्षा विभाग आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हैं। चुनावी समय में सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्षता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षक जैसे पेशेवर पद पर कार्यरत व्यक्ति का आचरण न केवल नियमों के प्रति जवाबदेह होता है, बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।


ओमप्रकाश यादव के मामले ने यह संदेश दिया है कि यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी या शिक्षक अपने कर्तव्यों में लापरवाही या पक्षपातपूर्ण गतिविधियों में लिप्त होता है, तो विभाग तत्काल सख्त कार्रवाई करेगा। इस घटना ने पूरे शिक्षक और सरकारी कर्मचारियों के समुदाय को सतर्क कर दिया है कि चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा सर्वोपरि हैं।


इस कार्रवाई से यह भी स्पष्ट होता है कि बिहार सरकार सरकारी कर्मचारियों के आचरण और सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर गंभीर है। शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि न केवल ओमप्रकाश यादव, बल्कि अन्य सभी कर्मचारी भी आदर्श आचार संहिता का पालन करें और अपने पद और पेशे के अनुरूप निष्पक्ष एवं जिम्मेदार व्यवहार करें।