, Bihar Assembly Election 2025 : बाहुबली पूर्व विधायक के पत्नी बिहार की सबसे अधिक पैसे वाली नेता, जानिए सबसे गरीब का क्या है नाम

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 80% से अधिक विधायक करोड़पति हैं। ADR रिपोर्ट के अनुसार जेडीयू, बीजेपी और कांग्रेस के विधायक आर्थिक रूप से मजबूत हैं, जबकि वामपंथी दलों के विधायक अपेक्षाकृत कम संपत्ति वाले हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 15 Oct 2025 04:23:29 PM IST

, Bihar Assembly Election 2025 : बाहुबली पूर्व विधायक के पत्नी बिहार की सबसे अधिक पैसे वाली नेता, जानिए सबसे गरीब का क्या है नाम

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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी बढ़ती जा रही है और इस बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ताजा रिपोर्ट ने राजनीतिक और सामाजिक चर्चा को नई दिशा दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार विधानसभा के 241 वर्तमान विधायकों में से 194 विधायक करोड़पति हैं। यानी लगभग 80 प्रतिशत विधायकों की संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है। इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि सत्ता के गलियारों में पहुंचने के लिए पहले से आर्थिक तौर पर मजबूत होना जरूरी हो गया है।


रिपोर्ट में राज्य के मौजूदा विधायकों की औसत संपत्ति लगभग ₹4.65 करोड़ बताई गई है। इसमें सबसे आगे जेडीयू के विधायक हैं, जिनकी औसत संपत्ति ₹7.08 करोड़ है। कांग्रेस के विधायकों की औसत संपत्ति ₹5.57 करोड़, आरजेडी की ₹5.21 करोड़ और बीजेपी की ₹3.51 करोड़ है। वामपंथी दलों की स्थिति इससे काफी अलग है; सीपीआई(एमएल) के विधायकों की औसत संपत्ति केवल ₹43 लाख है।


राज्य की तीन सबसे अमीर विधायकों में दो महिलाएं हैं, और दोनों जेडीयू से हैं। मोकामा से विधायक नीलम देवी इस वक्त बिहार की सबसे अमीर विधायक हैं। 2022 के उपचुनाव में जीतने के बाद उन्होंने अपने हलफनामे में कुल ₹80.43 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी। इसमें चल संपत्ति ₹29.8 करोड़ और अचल संपत्ति ₹50.6 करोड़ शामिल है। नीलम देवी अपने पति अनंत सिंह की मोकामा सीट की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।


दूसरी सबसे अमीर विधायक मनोरमा देवी हैं, जो गया जिले की बेलागंज सीट से जेडीयू की विधायक हैं। 2024 के उपचुनाव में जीतने के बाद उन्होंने कुल ₹72.88 करोड़ की संपत्ति घोषित की। इसमें चल संपत्ति ₹9.58 करोड़ और अचल संपत्ति ₹63.3 करोड़ है। यह दिखाता है कि बिहार की राजनीति में महिलाओं ने न केवल मजबूत उपस्थिति दर्ज की है, बल्कि संपत्ति के मामले में पुरुष नेताओं को पीछे छोड़ दिया है।


तीसरे स्थान पर हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत शर्मा, जो भागलपुर से विधायक हैं। बिजनेसमैन से नेता बने अजीत शर्मा की कुल संपत्ति ₹43.27 करोड़ है, जिसमें चल संपत्ति ₹4.9 करोड़ और अचल संपत्ति ₹38.3 करोड़ शामिल है।


वहीं, कुछ नेताओं की संपत्ति इतनी कम है कि विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। आरजेडी के रामवृक्ष सादा की कुल संपत्ति केवल ₹70,000 है। सीपीआई(एमएल) के गोपाल रविदास के पास ₹1.59 लाख और संदीप सौरव के पास ₹3.45 लाख की संपत्ति है। यह आंकड़ा बताता है कि बिहार की राजनीति में कुछ नेता अब भी साधारण साधनों से जनता तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं।


पार्टियों के हिसाब से करोड़पतियों का प्रतिशत देखें तो आरजेडी के 88%, जेडीयू के 83%, बीजेपी के 87% और कांग्रेस के 76% विधायक करोड़पति हैं। यह साफ संकेत है कि बिहार की राजनीति में गरीब घर से आने वाले नेताओं की संख्या बेहद कम रह गई है।


ADR की रिपोर्ट ने बिहार विधानसभा के आर्थिक परिदृश्य को उजागर करते हुए यह भी सवाल खड़ा किया है कि क्या लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व अब केवल आर्थिक रूप से मजबूत नेताओं तक ही सीमित हो गया है। जहां कुछ नेता लग्जरी कारों और करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, वहीं कुछ नेता अब भी जनता की सेवा में सरल जीवनशैली अपनाए हुए हैं।


इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि चुनावी राजनीति में वित्तीय ताकत का बड़ा असर है। नीलम देवी और मनोरमा देवी जैसे नेता इस बात का उदाहरण हैं कि आर्थिक संपन्नता महिलाओं को भी राजनीतिक प्रभाव और शक्ति दिला सकती है। वहीं, गरीब नेताओं के लिए यह चुनौतियों और संघर्ष का समय है, क्योंकि संसाधनों की कमी उनके राजनीतिक प्रदर्शन और चुनावी सफलता को प्रभावित कर सकती है।


बिहार विधानसभा की संपत्ति रिपोर्ट ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है। मतदाता अब न केवल नेताओं के राजनीतिक कामकाज, बल्कि उनकी संपत्ति और वित्तीय स्थिति पर भी ध्यान देंगे। यही कारण है कि 2025 के बिहार चुनाव में आर्थिक शक्ति और राजनीतिक प्रभाव दोनों ही निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।


कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा में 80% से अधिक विधायक करोड़पति हैं, जेडीयू और बीजेपी के विधायक आर्थिक रूप से सबसे मजबूत हैं, जबकि वामपंथी दलों के विधायक अपेक्षाकृत कम संपत्ति वाले हैं। इस आर्थिक विषमता ने बिहार की राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है और आगामी चुनाव में यह बड़ी भूमिका निभा सकता है।