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CM नीतीश कुमार को बड़ा झटका, JDU छोड़ इन बड़े नेताओं ने थामा राजद का दामन; तेजस्वी ने खुद दी पार्टी की मेंबरशिप

बिहार चुनाव 2025 में जदयू को बड़ा झटका, पूर्णिया के संतोष कुशवाहा, चाणक्य प्रकाश, अजय कुशवाहा और राहुल शर्मा राजद में शामिल।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 10 Oct 2025 04:34:50 PM IST

CM नीतीश कुमार को बड़ा झटका, JDU छोड़ इन बड़े नेताओं ने थामा राजद का दामन; तेजस्वी ने खुद दी पार्टी की मेंबरशिप

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Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। चुनावों से पहले ही राज्य की सियासी धरातल पर कई बड़े घटनाक्रम सामने आए हैं, जो आने वाले समय में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकते हैं। इसी कड़ी में एक बड़ा झटका जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को लगा है। राज्य के कई बड़े और प्रभावशाली नेता जदयू छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गए हैं।


जानकारी के अनुसार, जदयू के कई वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसदों के बेटों ने राजद का दामन थाम लिया है। इसमें पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, बांका के जदयू सांसद गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश, वैशाली से अजय कुशवाहा और जहानाबाद के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे व पूर्व विधायक राहुल शर्मा शामिल हैं। यह बदलाव राज्य की सियासत में नया मोड़ साबित हो सकता है।


राजद के नेताओं का कहना है कि ये नामांकन पार्टी की ताकत को और बढ़ाएंगे। पार्टी अब बिहार के उन हिस्सों में मजबूत स्थिति बनाने की तैयारी कर रही है, जहां पिछले चुनावों में उसे सफलता नहीं मिल पाई थी। राजद अध्यक्ष के मुताबिक, इन नेताओं के शामिल होने से पार्टी की रणनीति को नई दिशा मिलेगी और उम्मीदवारों की टीम को मजबूत करने में मदद मिलेगी।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जदयू के लिए यह झटका इसलिए भी बड़ा है क्योंकि ये नेता अपने क्षेत्रों में काफी प्रभाव रखते हैं। उनकी राजद में शामिल होने से राजद को उन क्षेत्रों में मजबूत पकड़ बनाने का अवसर मिलेगा, जहां पार्टी पहले कमजोर थी। वहीं जदयू के लिए यह चुनौती बढ़ाने वाली बात है, क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी की छवि और संगठनात्मक मजबूती को बनाए रखना होगा।


राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से देखा जाए तो यह बदलाव बिहार के विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण संकेत देता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार चुनाव में गठबंधन और उम्मीदवारों के चयन की रणनीति काफी निर्णायक भूमिका निभा सकती है। जदयू के वरिष्ठ नेताओं का राजद में शामिल होना विपक्ष के लिए एक मजबूत संदेश है और यह सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चेतावनी भी है।


जदयू के कुछ नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी में युवा नेताओं के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिए गए थे, जिसके कारण कुछ नेता नई चुनौतियों और बेहतर राजनीतिक अवसर की तलाश में राजद में शामिल हो गए। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने कहा है कि यह एक सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया है और चुनावों के करीब आते ही नेताओं के रुख में बदलाव आम बात है।


राजद  ने कहा कि ये नए नेता पार्टी के विकास और बिहार की जनता के हित में काम करेंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी अब उन क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाने की तैयारी कर रही है, जहां इन नेताओं का प्रभाव रहेगा। उनका मानना है कि इस कदम से पार्टी की जनाधार और मजबूत होगा और आगामी चुनाव में इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।


राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि बिहार में सियासी परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। नए नेताओं का किसी भी पार्टी में शामिल होना चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, यह बदलाव मतदाताओं पर भी प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि स्थानीय नेता अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय रहते हैं और उनका रुख मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकता है।


इससे पहले भी बिहार में कई बार नेताओं के दल बदलने की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन इस बार यह झटका विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई बड़े और प्रभावशाली नेता शामिल हैं। उनकी राजद में शामिल होने से चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं और यह जदयू के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नामांकन प्रक्रिया और प्रचार अभियान जल्द ही शुरू होने वाले हैं। ऐसे में राजद की ओर से यह रणनीति उनके लिए चुनावी मोर्चे को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जदयू इस झटका का मुकाबला कैसे करती है और अपने संगठन और उम्मीदवारों की ताकत को बनाए रख पाती है या नहीं।


राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ हफ्तों में बिहार की सियासत में और भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जदयू और राजद के बीच इस बार मुकाबला और भी रोचक होने वाला है। वहीं जनता की नजर इस पर है कि कौन सा दल अपने उम्मीदवारों और रणनीति के जरिए विधानसभा में अपनी ताकत दिखाता है।


इस तरह, बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी लड़ाई अब और तेज हो गई है। जदयू के नेताओं का राजद में शामिल होना चुनावी रणनीति और गठबंधन की दिशा को पूरी तरह प्रभावित कर सकता है, और आने वाले समय में यह घटना राजनीतिक विश्लेषकों और जनता दोनों के लिए चर्चा का मुख्य विषय बनेगी।