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मंत्री हैं...BJP के बड़े नेता हैं, सेफ सीट पर है गिद्ध दृष्टि ! नजर सबसे सुरक्षित राजधानी की इस विधानसभा क्षेत्र पर, वैसे 'नेताजी' आज तक चुनाव लड़े ही नहीं हैं

बिहार विस चुनाव से पहले भाजपा में टिकट को लेकर तनाव है. पार्टी के कई वरिष्ठ नेता पटना की सेफ सीट की तलाश में हैं. बताया जा रहा है कि एक मंत्री जो अब तक कोई चुनाव नहीं लड़े, वे भी राजधानी की सीट पर नजर गड़ाए हैं...

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Thu, 09 Oct 2025 12:19:04 PM IST

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- फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. कल 10 अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. हालांकि, अभी तक न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्षी गठबंधन में सीटों का बंटवारा हो पाया है. एनडीए की बात करें तो यहां सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसा हुआ है. एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भारतीय जनता पार्टी में भी सबकुछ ठीक नहीं है. कई विधायकों को इस बार उम्मीदवारी से हाथ धोना पड़ सकता है. इधर, पार्टी के कई नेता सेफ सीट की तलाश में हैं. खबर है कि बीजेपी के एक नेता जो अब तक वार्ड सदस्य का भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं, वो राजधानी में सेफ सीट की तलाश में हैं.

कार्यकर्ता सिर्फ भारत माता की जयकारा लगाएंगे...?

भारतीय जनता पार्टी जो अपने आप को सबसे अलग पार्टी बताती है. खुद को चाल- चरित्र और चेहरा अलग बताने वाली पार्टी का हाल भी दूसरे दलों से अलग नहीं है. यहां भी सेटिंग की दुकान सजती है. कार्यकर्ता सिर्फ झंडा ढोने को हैं, टिकट की बारी आती है तो बड़े लोग बाजी मार ले जाते हैं. भाजपा में इन दिनों वरिष्ठ नेता सेफ सीट की खोज कर रहे हैं. नीतीश कैबिनेट में एक मंत्री हैं, दल के वरिष्ठ नेता हैं, वे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. नामांकन से पहले अपना कागजात दुरूरस्त करने में जुटे हैं. उनकी नजर राजधानी की सबसे सेफ सीट पर है. इस सीट पर लगातार भारतीय जनता पार्टी जीत रही है. 2020 के चुनाव में भी उक्ट सीट पर भाजपा के प्रत्याशी जीते. इस बार सीटिंग विधायक का पत्ता साफ हो सकता है, इसकी पूरी संभावना है. लिहाजा दल के दूसरे वरिष्ठ नेता की नजर उस सीट पर ही टिक गई है. वे अपने गृह जिला के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे, क्यों कि हार का खतरा है. लिहाजा पटना की सबसे सुरक्षित सीट पर गिद्ध दृष्टि लगाये हैं. 

आखिर राजधानी की सेफ सीट क्यों तलाश रहे...? 

बता दें, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जो अपने राजनीतिक जीवन में कभी चुनाव ही नहीं लड़ा. वार्ड सदस्य का चुनाव भी नहीं जीते हैं. फिर भी दल के बड़े नेता हैं, कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री हैं. उनके चुनाव लड़ने की खबर मात्र से ही दल में खलबली मची है. चर्चा चल पड़ी है कि लंबे समय तक ऊपरी सदन के सदस्य रहे, मंत्री रहे, पद पर रहने के दौरान राष्ट्रीय राजधानी से लेकर देश के अन्य जगहों पर संपत्ति बनाई. अब सेफ सीट की तलाश कर रहे. ऐसे में कार्यकर्ता कहां जाएंगे ? क्या भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ झंड़ा ढोने के लिए हैं ? 

भाजपा के कई नेताओं की पटना जिले की सीटों पर है नजर 

वैसे दल के कई नेता सेफ सीट की तलाश कर रहे हैं. दानापुर से लेकर मनेर विधानसभा सीट पर भी कई नेताओं की नजर है. जैसे ही यह खबर सामने आई कि बड़े नेता सेफ सीट की तलाश कर रहे, इसके बाद पार्टी के कार्यकर्ता जो लंबे समय से क्षेत्र में पार्टी का झंड़ा बुलंद किए थे, तनाव में आ गए हैं. तनाव होना स्वाभाविक है, जिसने पांच सालों तक उक्त विस क्षेत्र में संघर्ष किया, जब टिकट देने की बारी आई तो बड़े नेता टपकने को तैयार हैं. ऐसे में नाराजगी होना स्वाभाविक है. 

बता दें, भारतीय जनता पार्टी की बिहार चुनाव समिति की तीन दिनों तक बैठक हुई है. बैठक में 115 विधानसभा सीटों पर मंथन हुआ है. सभी सीटों के लिए 3-4 नामों को फाइल किया गया है. अब उस सूची को केंद्रीय नेतृत्व को भेजने की तैयारी है. खबर है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी अपने कई सीटिंग विधायकों को बेटिकट कर सकती है. यह भी चर्चा है कि दल के कई वरिष्ठ नेता भी इस बार के चुनाव में किस्मत आजमाएँगे.